-विष्णुदेव मंडल-

चेन्नई। वर्ष 1989 में तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के खिलाफ सामाजिक न्याय के नाम पर वीपी सिंह के नेतृत्व में जनतादल, सीपीआई ,सीपीएम एवं भारतीय जनता पार्टी गोलबंद हुए थे। उस वक्त टारगेट पर थे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और कांग्रेस।
इसके 34 साल बाद भारतीय जनता पार्टी के बढ़ते कद और नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से घबराए देश की तमाम विपक्षी पार्टियां मसलन कांग्रेस, डीएमके, सपा, टीएमसी, नेशनल कॉन्फ्रेंस एवं आम आदमी पार्टी को निरंतर एकजुटता के प्रयास किए जा रहे हैं। इन एकता प्रयासों में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी अब पहल की है।
एमके स्टालिन की अध्यक्षता में सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देश के लगभग सभी विपक्षी पार्टियों के नेता मौजूदा केंद्र सरकार के खिलाफ सामाजिक न्याय के नाम पर एकत्रित हुए और आने वाले 2024 में मौजूदा भाजपा सरकार को सत्ता से हटाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।
स्टालिन ने विपक्षी नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह समय की मांग है कि हम लोग एकजुट होकर सामाजिक न्याय के नाम पर एवं विपक्षी नेताओं पर हो रहे सीबीआई ईडी के रेड के खिलाफ एकजुट होकर लड़े और भगवा दल को केंद्र की सत्ता से हटाएं। उनका कहना था कि सभी संवैधानिक संस्थाओं पर आरएसएस का कब्जा हो चुका है। एससी एसटी और ओबीसी को उनका हक नहीं मिल रहा है इसलिए समाजिक न्याय के लिए देश में जातीय जनगणना जरूरी है ताकि पिछड़े दलित और अल्पसंख्यक समाज को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके और उन्हें आगे की कतार में लाया जा सके।
उन्होंने कर्नाटक का जिक्र करते हुए कहा की कर्नाटक में भाजपा सरकार हैं जहां पर अल्पसंख्यक का 4 परसेंट आरक्षण छीन कर उन कमजोर तबके को देना चाहते हैं जो उनके हकदार नहीं है इसीलिए संविधान को बचाने के लिए हमें एकत्रित होने की जरूरत है। मौजूदा केंद्र सरकार उन लोगों के लिए काम कर रही है जो शिक्षित सक्षम और अगड़ी जाति से हैं।
बता दें कि इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन,बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, कर्नाटक के पूर्व उप मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली, टीएमसी सांसद डरेक ओब्रेन, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह, सीपीआई के महासचिव सीताराम येचुरी तथा सीपीआई के जनरल सेक्रेटरी डी के राजा भी शरीक हुए। तेजस्वी यादव ने कहा कि भाजपा जैसे विघटनकारी पार्टी को सत्ता से बेदखल करने के लिए सभी दलों को एकजुट होना आवश्यक है वही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी जी कहते थे ना खाऊंगा ना खाने दूंगा लेकिन वह अब ना करूंगा न करने दूंगा कि राजनीति कर रहे हैं जो ना देश के हित में है ना राज्यों के हित में है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सभी समान विचारधारा वाली पार्टियों को एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है। सभी राज्यों को जाती आधारित जनगणना कराने की जरूरत है ताकि पता चल सके कि कौन सी जाति का आबादी कितनी है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने विपक्षी एकता पर जोर देते हुए कहा कि जब तक सभी विपक्षी दल एक नहीं होंगे हम मोदी को नहीं हटा सकते। सीपीआई सीपीएम नेता ने सामाजिक न्याय के नाम पर एकजुट होने के संदेश दिया और कहा कि आज केंद्र के सप्ताह में ऐसे लोग बैठे हैं जो एससी, एसटी और ओबीसी का दुश्मन है,उन्हें रोकने के लिए हमें बिना किसी भेदभाव के एकजुट हो जाना चाहिए ताकि आगामी लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल किया जा सके।
यहां उल्लेखनीय है की सामाजिक न्याय के नाम पर राजनीतिक लड़ाई लड़ रही इन सभी विपक्षी पार्टियों नें 34 साल पहले भी कांग्रेस के खिलाफ एकजुट होकर राष्ट्रीय मोर्चा बनाया था। ये कांग्रेस को सत्ता से बेदखल की मंशा लिए साथ आए थे, लेकिन आपसी महत्वाकांक्षा के कारण राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार आपसी महत्वाकांक्षा की लडाई के कारण पांच साल भी सत्ता में नहीं टिक सकी।
गौरतलब है सामाजिक न्याय के नाम पर एकत्रित हो रहे हैं यह सभी दल कभी न कभी सत्ता में रहे हैं। अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव डीएमके सुप्रीमो एम के स्टालिन, हेमंत सोरेन, फारूक अब्दुल्लाह, शरद पवार एवं अन्य विपक्षी पार्टी राज्य और केंद्र में भी यह सहयोगी रहे हैं लेकिन इन लोगों ने कभी भी सामाजिक न्याय के बारे में मुकम्मल काम नहीं किया। सामाजिक न्याय के नाम पर चुनाव जीतने वाली सभी पार्टी ने परिवारवाद की राजनीति की। कांग्रेस के नेतृत्व वाली प्रगतिशील गठबंधन सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण 2014 का चुनाव हारी। तत्कालीन गृह मंत्री एवं वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी सीबीआई और ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए थे , पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव का परिवार आज भी सीबीआई के शिकंजे से बाहर नहीं हो पा रहा है। हेमंत सोरेन के परिवार पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं। आम आदमी पार्टी भी भ्रष्टाचार के आरोपों से अछूती नहीं हैं। डीएमके के नेताओं के घर भी सीबीआई और ईडी की छापामारी होती रही है। ऐसे में 2024 की लड़ाई को संघर्षपूर्ण बनाने के लिए एमके स्टालिन का प्रयास क्या रंग लाएगा यह समय तय करेगा।
(लेखक चेन्नई के स्वतंत्र पत्रकार हैं और यह उनके निजी विचार हैं)