तरणताल में साफ सुथरे पानी में तैराकी कर सकेंगे तैराक

– जर्जर हो चुका पुराना फिल्टर प्लान्ट हटाया

-62 लाख की लागत से नया फिल्टर प्लान्ट तैयार

-हरिमोहन-

harmohan
हरिमोहन

कोटा। स्टेडियम के सामने स्थित यूआईटी का तरणताल मंगलवार से तैराकी सीखने वालों के लिए खुलेगा। लोगों पानी के साथ अठखेलियाँ करते नजर आएगें। इस तरणताल के निर्माण वर्ष1994 में लगाया गया फिल्टर प्लान्ट जर्जर हो चुका था। जिसे हटाकर नया फिल्टर प्लान्ट अनुमानित 62 लाख की लागत से तैयार किया गया है। सोमवार को पूरे दिन न्यास के कर्मचारी तरणताल की साफ-सफाई में जुटे हुए थे। यह तरणताल अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का है। यहां कई बार दुर्घटनाए भी हो चुकी है।
इस 1050 स्क्वायर फिट के इन्दिरा गांधी तरणताल जिसकी गहराई 5 से 16 फिट है का निर्माण हरिकृष्ण जोशी ने न्यास अध्यक्ष रहते हुए करवाया था। जिसका लोकार्पण तत्कालीन स्वायत्त शासन मंत्री भंवर लाल शर्मा ने 20 जून1994 को किया था। तब यहां जो फिल्टर प्लान्ट लगाया गया था वह जर्जर अवस्था में पहुंच चुका था। पाइप व ड्रमों में सुराख होने से पानी की पिचकारियां छूटती थी।
न्यास अधिकारियों ने यहां फिल्टर प्लान्ट नया बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था। जनवरी माह से काम शुरू करवाया गया जिसमें सभी क्षतिग्रस्त पाइपों व दोनों ड्रमों को हटाकर पूरा प्लान्ट नया तैयार करवाया गया है। जिसमें एयरफ्रेशर, क्लोरीन डोजीन, एलम डोजीन ब्रश सहित सभी उपकरण बदले गए हैं।

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निकाले गए पुराने ड्रम

— क्या खूबी है नए फिल्टर प्लांट की
तरणताल का रखरखाव करने वाले कर्मचारी छोटूलाल ने बताया कि पूरा सिस्टम नया तैयार किया गया है। प्लान्ट में 15-15 होर्स पावर के तीन पम्प लगे हुए हैं। 30 वर्ष से अधिक समय होने व लगातार पानी के सम्पर्क में रहने से लोहे के पाइप गल चुके थे। साथ ही इस बार जो वाल्व लगे हैं वो बटर फ्लाई तरीके के होने से खोलने व बन्द करने में सुविधा होगी।
पूल के पानी की सफाई के लिए फिल्टर सेक्शन ब्रश के माध्यम से अन्दर के गन्दे पानी व जमा धूल को बेलेन्स टेंक में पहुंचाया जाता है। जहां से पानी फिल्टर हो वापस पूल में डाला जाता है।

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— काम निपटाने में जुटे रहे मैकेनिक
फिल्टर प्लान्ट में फिटिंग का काम कर रहे मेकेनिक रामरतन, सुनील व जीतमल ने बताया कि 15 मार्च से लगातार फिटिंग का काम कर रहे हैं। प्लान्ट एलाइट कम्पनी के द्वारा तैयार किया गया है। कम्प्रेशर व वाल्व अलग तरीके से बटर फ्लाई स्टाइल में लगाए गए है। काम आज पूरा कर लिया जाएगा।

— व्यर्थ बहता है10 से 15 हजार लीटर पानी
यहां पूल से प्रतिदिन बेकवाश के लिए 10 से 15 हजार लीटर पानी बाहर निकाला जाता है जो किसी काम आने के बजाय नाले में डाला जा रहा है। इस पानी से आस पास की हरियाली को सिंचित किया जा सकता है।

— तैराकी के समय मौजूद रहते हैं लाइफ गार्ड
यहां सामान्य, विद्यार्थी, महिला, फैमिली के अलग अलग पारियां संचालित होती है। साथ ही राज्य व राष्ट्रीय तैराक के लिए माहवार राशि भी अलग-अलग निर्धारित की गई है। वैसे तो यहां जो तैराकी जानते हैं उनके लिए ही एंट्री दी जाती है फिर भी तैराकी के समय 4 लाइफ गार्ड निगाह बनाए रखते हैं। इसके बावजूद यहां वर्ष 1994, 2000, 2007 तथा 2013 में दुर्घटना घटित हो चुकी है। जिस कारण यहां अब डाइविंग पर रोक लगा दी गई है।

— फ्लोर की टाईल्स भी हो चुकी खराब
प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां पूल के फ्लोर में लगी टाईल्स भी खराब होने से धूल जमा हो जाती है। पूल का निर्माण 30 वर्ष पहले हुआ था जिसकी टाइल्स की स्मूथनेस नष्ट हो चुकी है। यहां तैराक को भी असुविधा होती है।
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‘‘सोमवार को करीब 15 प्रवेश फार्म लेने के लिए लोग पहुंचे जिन्हें फार्म उपलब्ध करवा दिए गए हैं। मंगलवार से तरणताल को तैराकी के लिए खोल दिया जाएगा।’’
– गोपाल, लीपिक तरणताल नयापुरा

‘‘ फिल्टर प्लान्ट काफी समय पहले बना था जिसके पाइप में सुराख होने लगे थे। अब यहां नया फिल्टर प्लान्अ तैयार करवाया गया है जिस पर करीब 62 लाख की लागत आई है। यह तरणताल पुराने नियमों के तहत बना हुआ है जिस कारण गहराई अधिक है नए नियमों के तहत गहराई 4 से 6 फिट ही रखी जा रही है।’’
– अंकित अग्रवाल, अधिशासीअभियन्ता यूआईटी

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