
-राजेन्द्र सिंह जादौन-
चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और मोजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल नब्बे के दशक में हरियाणा में भाजपा की राजनीति के निगेहबान थे। यानी कि वे प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री थे। इस पद पर नियुक्त नेता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पृष्ठ भूमि से आते है। मनोहर लाल भी इसी रास्ते से निगहबानी के पद तक पहुंचे थे।उस दौर में 1996से1998 के बीच हरियाणा विकास पार्टी और भाजपा के गठबंधन की बंसीलाल के नेतृत्व वाली सरकार को गिराने में मनोहर लाल की भूमिका की चर्चा होती रहती है। लेकिन अब बंसीलाल और भजनलाल की विरासत को भाजपा में लाने का श्रेय भी मनोहर लाल को मिला है।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पुत्र वधू किरण चौधरी और किरण चौधरी की पुत्री श्रुति चौधरी को भाजपा में लाने के लिए मनोहर लाल ही माध्यम बने। हालांकि किरण चौधरी कांग्रेस में उपेक्षित महसूस कर रही थी। श्रुति चौधरी को लोकसभा चुनाव में भिवानी महेंद्रगढ़ सीट से टिकट न देने से वे खासी आहत थी। हालांकि कांग्रेस नेता अजय माकन की राज्यसभा चुनाव में हार को लेकर शक की सुई किरण चौधरी की ओर मुड़ गई थी। समझा जा रहा था कि किरण चौधरी एक अरसे से कांग्रेस छोड़ने का मन बनाए थी। समय समय पर चर्चाएं भी चलती थी कि किरण चौधरी भाजपा में जाने वाली है। लेकिन किरण चौधरी कहती थी कि में कही नही जा रही।
कांग्रेस में असंतुष्ट कुलदीप विश्नोई भी मनोहर लाल के जरिए भाजपा में आए। कुलदीप विश्नोई हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद चाहते थे।जब भूपेंद्र हुड्डा गुट ने उन्हें इस मुहिम में पटखनी दे दी तो वे खासे असंतुष्ट हो गए।कुलदीप विश्नोई ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन को हरा दिया था। इसके बाद कांग्रेस नेतृत्व ने कुलदीप विश्नोई को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था। कुलदीप विश्नोई के असंतोष को भी मनोहर लाल ने ही भुनाया।कुलदीप विश्नोई के भाजपा में आने के बाद उनके बेटे भव्य विश्नोई को भाजपा के टिकट पर आदमपुर से विधायक बनवाया गया। कुलदीप विश्नोई भाजपा में अपने लिए बड़ी भूमिका चाहते थे।न मिलने से वे फिर असंतुष्ट है।लोकसभा चुनाव में हिसार सीट से टिकट की उम्मीद थी लेकिन न मिलने से असंतुष्ट बैठे थे। मुख्यमंत्री नायब सैनी उन्हे मनाने दिल्ली आवास तक पहुंचे थे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

















