
-देवेंद्र यादव-

सब कुछ राहुल गांधी ही करें, बाकी कांग्रेस के नेताओं को कुछ नहीं करना। उनका केवल एक ही काम है कांग्रेस को सत्ता मिल जाए, तो सत्ता की मलाई जीमना।
लगभग एक दशक से भी अधिक समय से कांग्रेस केंद्र और कई राज्यों की सत्ता से बाहर है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी एक दशक से अकेले प्रयास कर रहे हैं कि कांग्रेस केंद्र और राज्यों की सत्ता में वापसी करे। नोटबंदी, जीएसटी और राफेल जैसे मुद्दों पर अकेले राहुल गांधी लड़ते हुए नजर आए। राहुल गांधी को कांग्रेस के अन्य किसी बड़े नेता का सहयोग नहीं मिला। कांग्रेस 2019 में भी लोकसभा का चुनाव बुरी तरह से हार गई। राहुल गांधी ने कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़कर, एक बड़ा प्रयास कांग्रेस के बब्बर शेरों के साथ, कन्याकुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा के रूप में शुरू किया। यात्रा की सफलता के बाद राहुल गांधी ने मणिपुर से मुंबई तक भारत जोड़ो यात्रा निकाली। कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में 99 सीट जीतने में कामयाब हुई। कांग्रेस को 2024 में मिली कामयाबी राहुल गांधी की मेहनत, जनता का समर्थन और कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं का अपने नेता के प्रति आत्मिक समर्पण था। यही वजह है कि राहुल गांधी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अपना बब्बर शेर बता कर उन्हें संबोधित करते हैं। दूसरी तरफ वह नेता हैं जो लंबे समय से सत्ता और संगठन पर कुंडली मारकर बैठे हैं और इंतजार कर रहे हैं कि कांग्रेस सत्ता में कब वापसी करें और कब हमें सत्ता की मलाई खाने को मिले। इन दिनों राहुल गांधी अपनी तीसरी यात्रा वोटर का अधिकार को लेकर बिहार में है। जहां उन्हें भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा की तरह जनता और कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं का अपार जन समर्थन मिल रहा है। राहुल गांधी भाजपा सरकार और चुनाव आयोग पर वोट की चोरी का आरोप लगा रहे हैं। इसके खिलाफ राहुल गांधी बिहार में वोटर का अधिकार यात्रा निकाल रहे हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि चुनाव आयोग ने बिहार में एस आई आर के बहाने लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से काट दिए हैं। सवाल यह है कि राहुल गांधी चुनाव आयोग पर जो आरोप लगा रहे हैं और बिहार में वोटर का अधिकार यात्रा निकाल कर आम जनता को अपने वोट के अधिकार के लिए जागरुक कर रहे हैं क्या देश के अन्य राज्यों में भी वोट चोरी नहीं हो रही है। अन्य राज्यों में सब कुछ ठीक है। यदि ठीक नहीं है तो उन राज्यों के कांग्रेस के नेता क्या कर रहे हैं। क्या वहां के नेता राहुल गांधी के वहां आने का इंतजार कर रहे हैं।
राजस्थान में निकट भविष्य में पंचायत राज और निकाय के चुनाव होने हैं। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। राजस्थान के नेता राजस्थान में मतदाता सूचियों को लेकर क्या कर रहे हैं। बिहार जाकर राहुल गांधी को अपनी शक्ल दिखाने के अलावा वह राजस्थान में मतदाता सूचियों को लेकर कितने गंभीर हैं। क्या वे मतादाता सूचियों की छानबीन कर रहे हैं यह अभी तक दिखाई नहीं दे रहा है। राजस्थान में तीन बार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राष्ट्रीय महामंत्री सचिन पायलट, भंवर जितेंद्र सिंह और श्रीमती प्रियंका गांधी के खास समझे जाने वाले नेता धीरज गुर्जर मौजूद हैं। इसके बावजूद राजस्थान में राहुल गांधी के द्वारा भाजपा और चुनाव आयोग पर लगाए जा रहे चोरी के मुद्दे की हलचल सुनाई नहीं दे रही है। जबकि निकट भविष्य में राजस्थान में पंचायत राज और निकाय के चुनाव होने हैं। मध्य प्रदेश की बात करें तो, वहां के नेता राहुल गांधी के अभियान कांग्रेस संगठन सृजन के तहत संगठन में अपने और अपने परिवार के लोगों को पद कैसे मिले इस जुगाड़ में लगे हुए हैं। जब मध्य प्रदेश के जिला अध्यक्षों की घोषणा हुई तो कई नेता अपने और अपने परिवार के लोगों को जिला अध्यक्ष बनाने में सफल भी हो गए। मध्य प्रदेश में भी जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर उत्तर प्रदेश की तरह विवाद खड़ा हो गया क्योंकि वर्षों से कांग्रेस की सेवा कर रहे कार्यकर्ताओं को जगह ही नहीं मिली। जिला अध्यक्षों की बंदर बांट हो गई। अक्सर देखा गया है, कांग्रेस के बड़े स्वयंभू नेता बड़ी चालाकी से, अवसर की तलाश कर, अपना राजनीतिक स्वार्थ हल कर लेते हैं। राहुल गांधी बिहार की यात्रा पर हैं और उनका पूरा फोकस अपनी वोट के अधिकार यात्रा पर है। राहुल गांधी की यात्रा का फायदा मध्य प्रदेश के स्वयंभू नेताओं ने उठाया और जिला अध्यक्षों की घोषणा कर दी। जबकि राहुल गांधी ने दिल्ली से जिन नेताओं को कांग्रेस के संगठन सृजन के कार्य के लिए पर्यवेक्षक लगाया था उनको हिदायत दी गई थी कि वह जिला अध्यक्षों की घोषणा करने से पहले नाम को राहुल गांधी के संज्ञान में लाएं और उसके बाद घोषणा करें। यह बात राहुल गांधी ने ही कही थी। अब सवाल उठता है कि क्या मध्यप्रदेश के जिला अध्यक्षों की घोषणा करने से पहले जिला अध्यक्षों की सूची को राहुल गांधी के संज्ञान में लाया गया था। उत्तर प्रदेश का विवाद राहुल गांधी के जेहन में था। वह नहीं चाहते थे कि उत्तर प्रदेश की तरह अन्य राज्यों में भी जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर कोई विवाद खड़ा हो। राहुल गांधी बिहार में यात्रा पर हैं और मध्य प्रदेश में जिला अध्यक्षों की सूची जारी हो गई जिस पर विवाद खड़ा हो गया। सवाल यह है कि सब कुछ राहुल गांधी ही करें बाकी कांग्रेस के नेताओं को कुछ नहीं करना। उनका केवल एक ही काम है सत्ता और संगठन में रहकर मलाई खाएं !
देवेंद्र यादव, कोटा राजस्थान, मोबाइल नंबर 9829678916
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हें। यह लेखक के निजी विचार हैं)