
-देवेंद्र यादव-

जब भी देश में आम चुनाव या राज्य विधानसभाओं के चुनाव होते हैं तब असदुद्दीन ओवैसी और मायावती पर भारतीय जनता पार्टी की बी टीम होने का आरोप सुनाई देता है। पहले यह आरोप केवल असदुद्दीन ओवैसी पर ही लगाया जाता था मगर 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यह आरोप मायावती पर भी लगता हुआ सुनाई देने लगा। असदुद्दीन ओवैसी अक्सर अपने पर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए भी दिखाई दिए और यह बताते रहे कि वह भारतीय जनता पार्टी की बी टीम नहीं है, बल्कि विपक्ष की पार्टियां अपनी राजनीतिक कमजोरी के कारण भारतीय जनता पार्टी से चुनाव हार रही है। विपक्ष की पार्टियों की कमजोरी क्या है, शायद इसे दिल्ली विधानसभा चुनाव के दरमियान एक बयान देकर बताया था। असदुद्दीन ओवैसी के द्वारा दिल्ली चुनाव के दरमियान दिया गया बयान कि मुसलमान को एकजुट होकर किसी भी राष्ट्रीय पार्टी को समर्थन देना होगा तभी भला होगा। मुसलमान क्षेत्रीय दलों के बहकावे में आकर मतदान न करें तो बेहतर होगा।
ओवैसी का यह बयान और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में दलित संवाद कार्यक्रम में दलितों से पूछा गया सवाल कि मायावती उत्तर प्रदेश में मजबूती के साथ चुनाव क्यों नहीं लड़ रही हैं। दोनों बयान सवाल खड़े कर रहे हैं कि यदि भारतीय जनता पार्टी को हराना है तो सभी विपक्षी दलों को ईमानदारी से एकजुट हो जाना चाहिए। खासकर दलित, मुस्लिम और ओबीसी के क्षेत्रीय दलों के नेताओं को भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए एकजुट हो जाना चाहिए और शायद राहुल गांधी इस दिशा में बढ़ते हुए भी नजर आ रहे हैं। इसीलिए राहुल गांधी दलित नागरिकों से सीधे संवाद करते हुए दिखाई दे रहे हैं और दलित युवाओं को समझा रहे हैं कि आरक्षण और संविधान की रक्षा कैसे होगी। यह राहुल गांधी दलित, मुस्लिम और ओबीसी के नागरिकों को सीधे संवाद के माध्यम से बता रहे हैं। जहां तक असदुद्दीन ओवैसी के बयान और राहुल गांधी के सवाल की बात है तो इसका असर आने वाले दिनों में बिहार विधानसभा के चुनाव में नजर आएगा। शायद इसी रणनीति के तहत कांग्रेस ने अपना राष्ट्रीय प्रभारी बनाकर तेलंगाना के कृष्णा अल्लावरु को बिहार पहुंचाया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी और असदुद्दीन ओवैसी परिवार से बेहतर संबंध हैं और इन संबंधों की झलक कुछ समय पहले एक सार्वजनिक कार्यक्रम में नजर आई जब असदुद्दीन ओवैसी परिवार ने रेवंथ रेड्डी की तारीफ की और रेवंथ रेड्डी ने असदुद्दीन परिवार की तारीफ की थी।
बिहार में कांग्रेस कुछ बड़ा करने की योजना बना रही है और यदि बिहार में कांग्रेस को ओवैसी का साथ मिल जाता है तो बिहार में कांग्रेस अपना बेहतर प्रदर्शन कर सकती है क्योंकि बिहार में कांग्रेस के पास अब ओबीसी नेता पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी हैं।
सवाल यह है कि क्या भविष्य में भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए असदुद्दीन ओवैसी और मायावती अपने पर लग रहे फिजूल के राजनीतिक दाग की ये दोनों भारतीय जनता पार्टी की बी टीम है को खत्म करने के लिए इंडिया गठबंधन मैं शामिल होकर भारतीय जनता पार्टी को हरा पाएंगे। मायावती का तो पता नहीं लेकिन असदुद्दीन ओवैसी के बयान से लगता है तेलंगाना के मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता रेवंत रेड्डी और असदुद्दीन ओवैसी इस पर गंभीर मंथन कर रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)