राहुल की वोटर की अधिकार यात्रा की सफलता को बेकार नहीं होने दें पार्टी नेता!

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-देवेंद्र यादव-

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देवेन्द्र यादव

भले ही सोमवार 1 सितंबर को राहुल गांधी की बिहार में वोटर का अधिकार यात्रा का समापन हो जाएगा, मगर इसके बाद देश की राजनीति का नया अध्याय शुरू होगा। राहुल गांधी ने जो सोचा था, वह बिहार में वोटर का अधिकार यात्रा में देखने को मिला। जहां युवा, बच्चे और बुजुर्गों ने राहुल गांधी की यात्रा को समर्थन और सहयोग किया। राहुल गांधी की बिहार यात्रा के संदर्भ में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि उन्होंने देश को अवगत करा दिया की भविष्य की राजनीति क्या होगी। भविष्य में देश और राज्यों के नेता कौन होंगे। जो नए भारत का निर्माण करेंगे। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, प्रियंक खड़गै, बीके हरिप्रसाद, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, केरल में केसी वेणुगोपाल और युवा विधायक ओमान चांडी, असम कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गौरव गोगोई, उत्तर प्रदेश के समाजवादी नेता पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, लोकसभा सांसद पप्पू यादव और मुकेश सैनी, उड़ीसा के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भक्त चरण दास, राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, गोविंद सिंह डोटासरा और टीकाराम जूली, हरियाणा के दीपेंद्र सिंह हुड्डा, गुजरात के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा, तुषार चौधरी, ऋतिक मकवाना, महाराष्ट्र में परिणीता शिंदे, मध्य प्रदेश में जीतू पटवारी, जयवर्धन सिंह, महाराष्ट्र में प्रणिता शिंदे, आदित्य ठाकरे और सुप्रिया सुले, पश्चिम बंगाल में अभिषेक बैनर्जी सहित अनेक नेता हैं जो, राहुल गांधी के नेतृत्व में नए भारत का निर्माण करते हुए नजर आएंगे। राहुल गांधी अपने लिए नहीं बल्कि सबके लिए, की सोच लेकर आगे बढ़ रहे हैं। यही वजह है कि राहुल गांधी की बिहार यात्रा में और उनके वोटर का अधिकार अभियान को देश के तमाम विपक्षी दलों के नेता समर्थन देते हुए दिखाई दिए।
राहुल गांधी यदि बिहार में वोटर का अधिकार यात्रा को इंडिया घटक दल के नेताओं के बगैर भी निकालते तो भी जनता का समर्थन इतना ही मिलता। बल्कि राहुल गांधी ने बिहार में वोटर का अधिकार यात्रा निकाल कर कांग्रेस के साथ-साथ इंडिया गठबंधन के घटक दलों को भी मजबूत किया। बिहार में राहुल गांधी की वोटर का अधिकार यात्रा से तेजस्वी यादव को चुनाव में अधिक फायदा होगा। लेकिन फायदा तब होगा जब वह कांग्रेस और जुझारू नेता पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को लेकर अपनी गलतफहमी को दिल से दूर करें। कांग्रेस के रणनीतिकार खासकर बिहार कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, को यह समझना चाहिए की बिहार चुनाव कांग्रेस के लिए कितना महत्वपूर्ण है। बिहार चुनाव से ही 2029 के लोकसभा चुनाव के लिए मजबूत रास्ता बनेगा। महा गठबंधन को बिहार विधानसभा चुनाव जीतना जरूरी है वरना भाजपा वोटर के अधिकार यात्रा और राहुल गांधी की मेहनत को, बिहार विधानसभा चुनाव के बाद होने वाले अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव में बेअसर कर देगी। राहुल गांधी ने कृष्णा अल्लावरु को बिहार के प्रभारी मोहन प्रकाश को हटाकर प्रभारी इसलिए बनाया था कि वह बिहार में कांग्रेस को मजबूत करें और बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में अच्छे परिणाम लेकर आए। राहुल गांधी की यात्रा के बाद सारा फोकस बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी सफलता कैसे मिले इस पर होना चाहिए ना की 2029 के लोकसभा चुनाव पर। वैसे भी बिहार में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की परफॉर्मेंस विधानसभा चुनाव से बेहतर रहती है। इसलिए कांग्रेस के बिहार प्रभारी को 2029 के लोकसभा चुनाव की फिक्र करने से ज्यादा 2025 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन कैसे करें और बिहार में इंडिया गठबंधन की सरकार बने करनी चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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