राहुल गांधी के लिए राज्यों के दौरे से बेहतर है जनता दरबार!

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फोटो सोशल मीडिया

-देवेंद्र यादव-

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देवेन्द्र यादव

श्रीमती सोनिया गांधी का निवास 10 जनपद फिर कार्यकर्ताओं और आम जनता के लिए खुलेगा। क्या राहुल गांधी जनता दरबार लगाकर 10 जनपद को आम कांग्रेस कार्यकर्ताओं और देश की जनता के लिए गुलजार करेंगे। राहुल गांधी 23 जून को कांग्रेस के जनजाति विभाग के कार्यकर्ताओं से और विश्वकर्मा समाज के लोगों से अलग-अलग मिले। कांग्रेस अनुसूचित जनजाति के नेता और कार्यकर्ता और विश्वकर्मा समाज के लोग 10 जनपद पर राहुल गांधी से मिलकर प्रसन्न नजर आए। एक समय था जब इसी तरह से 10 जनपद पर देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और राजीव गांधी की मृत्यु के बाद कुछ समय तक श्रीमती सोनिया गांधी ने भी जनता दरबार लगाया था। श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और श्रीमती सोनिया गांधी के द्वारा 10 जनपद पर जनता दरबार लगाने के पीछे उद्देश्य यह था कि उन्हें देश और संगठन के बारे में सीधा फीडबैक मिलता था। गांधी परिवार देश की जनता और कांग्रेस परिवार के सीधे संपर्क में रहते थे। मगर गांधी परिवार का आम जनता और आम कार्यकर्ताओं से इस तरह से मिलना कांग्रेस में कुंडली मारकर बैठे नेताओं को शायद ना गवार गुजरा। श्रीमती इंदिरा गांधी और राजीव गांधी पर तो उनका बस नहीं चला मगर कुछ समय बाद सोनिया गांधी के निवास पर लगने वाला जनता दरबार बंद हो गया।

क्या राहुल गांधी ने 23 जून को जनता दरबार की शुरुआत कर दी है। यदि राहुल गांधी ने यह कदम बढ़ा दिया है तो इससे कांग्रेस को बहुत बड़ा फायदा होगा क्योंकि आम कार्यकर्ता तो उत्साहित होगा ही साथ में देश की वह जनता जो अनेक समस्याओं से पीड़ित है उन्हें भी बड़े नेता के सामने अपनी समस्या को रखने का अवसर मिलेगा। उसे समस्या के समाधान की उम्मीद जगेगी। राहुल गांधी लंबे समय से निरंतर राज्यों के दौरे कर रहे हैं मगर राजनीतिक परिणाम कांग्रेस के अनुकूल नहीं आ रहे हैं। राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा भी की। यात्रा के बाद राहुल गांधी यदि अपने निवास पर जनता दरबार भी लगना शुरू कर देते तो इसका कांग्रेस को बड़ा फायदा होता। आम जन और कांग्रेस का कार्यकर्ता राहुल गांधी से मिलकर बताते कि कांग्रेस को कैसे मजबूत किया जाए। इसके लिए राहुल गांधी और कांग्रेस हाई कमान को जिलों में पर्यवेक्षक भेजने की जरूरत भी नहीं पड़ती क्योंकि यदि जनता दरबार लगता तो देशभर का कांग्रेस कार्यकर्ता स्वयं दिल्ली जाकर राहुल गांधी को बताता की कांग्रेस को मजबूत करने के लिए क्या करना चाहिए। आम कार्यकर्ता ही राहुल गांधी को बताता की कांग्रेस के भीतर लंगड़ा घोड़ा, शादी वाला घोड़ा, बेल लगाम घोड़ा और रेस का घोड़ा कौन है। राहुल गांधी को यह भी पता चलता कि कांग्रेस के कौन नेता स्लीपर सेल हैं। 23 जून को राहुल गांधी अलग-अलग लोगों से मिले यह अच्छा कदम है। जरूरत है इस कदम को निरंतर आगे बढाते रहने की और मुलाकातों का विस्तार करने की। राहुल गांधी को जनता का मूड और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठीक से समझने के लिए जनता दरबार लगाना होगा। अब एक-एक दिन के राज्य दर राज्य के दौरे करने की जगह दिल्ली में अधिक समय देना होगा और जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिलकर सीधे संवाद करना होगा। राहुल गांधी ने संसद से लेकर गुजरात की सड़कों पर कहा था कि आने वाले दिनों में गुजरात में भारतीय जनता पार्टी को हराएंगे। गुजरात में कांग्रेस विधानसभा के उपचुनाव में अपनी जमानत भी नहीं बचा सकी। केरल उपचुनाव में जीत पर जश्न मनाने की जगह कांग्रेस को चार राज्यों गुजरात, पंजाब, पश्चिम बंगाल चुनाव में मिली हार पर मंथन करना चाहिए, और आम आदमी पार्टी से सतर्क रहते हुए भविष्य के लिए योजना बनानी चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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