
-देवेंद्र यादव-

राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर से भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लेकर चर्चा होने लगी। चर्चा यह है कि वसुंधरा राजे को पार्टी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। वसुंधरा को जिम्मेदारी क्या मिलेगी यह अभी स्पष्ट नहीं है मगर अटकलें लग रही है कि उन्हें राजस्थान सरकार की जिम्मेदारी मिल सकती है। उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। वही अटकलें यह भी सुनाई दे रही हैं की वसुंधरा को उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है। अटकलें यह हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चाहता है कि वसुंधरा को या तो राजस्थान की मुख्यमंत्री या फिर उपराष्ट्रपति बनाया जाए।
जहां तक राजस्थान के मुख्यमंत्री की बात करें तो, लंबे समय से भाजपा के भीतर, नेताओं में यह बात चल रही है कि राजस्थान में यदि भाजपा की सरकार बनी तो गैर राजपूत जाति का मुख्यमंत्री बने। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की और मुख्यमंत्री गैर राजपूत समाज के नेता भजनलाल शर्मा को बनाया। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से राजस्थान में पहली बार देखने को मिला जब गैर राजपूत समुदाय के नेता को मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन बड़ा सवाल यह था कि राजस्थान में गैर राजपूत समाज के नेता को मुख्यमंत्री बनाने से भारतीय जनता पार्टी को क्या राजनीतिक फायदा हुआ? ब्राह्मण मुख्यमंत्री बनाने के बाद प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को फायदे से ज्यादा नुकसान हुआ। 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को राजस्थान में लोकसभा की 10 सीटों का नुकसान हुआ। जबकि इससे पहले भारतीय जनता पार्टी राजस्थान की 25 की 25 लोकसभा सीट जीती थी। मगर 2023 में जैसे ही भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदला लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत का समीकरण भी बदल गया। भारतीय जनता पार्टी केवल 13 सीट जीतने में कामयाब हुई। राजस्थान में लोकसभा की 12 सीट गवाने से नतीजा यह हुआ कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला जबकि राजस्थान भारतीय जनता पार्टी का सबसे मजबूत गढ़ था। राजस्थान में भाजपा के गढ़ को मजबूत रखने में पूर्व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत और पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की बड़ी भूमिका थी। राजस्थान में भाजपा हाई कमान ने शेखावत के विकल्प के रूप में उस समय श्रीमती वसुंधरा राजे को चुना और भाजपा ने राजस्थान सरकार में वापसी की। श्रीमती वसुंधरा दो बार राज्य की मुख्यमंत्री रहीं। तीसरी बार 2023 में भी भाजपा ने वसुंधरा की राजनीतिक ताकत के दम पर राजस्थान सरकार में वापसी की थी। मगर मुख्यमंत्री वसुंधरा को नहीं बनाकर पहली बार चुनाव जीते भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया। मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा वसुंधरा को लेकर हो रही है। चर्चा संघ और भाजपा सरकार के बीच चल रही तल्खी को लेकर हो रही है। ऐसे में क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वसुंधरा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी से बड़ी जिम्मेदारी दिलाने में कामयाब हो जाएगा इस पर सबकी नजर है। वसुंधरा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात भी चर्चा में है। इन मुलाकातों के बाद ही चर्चा तेज होने लगी की श्रीमती वसुंधरा राजे को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। यदि वसुंधरा को लेकर दबाव संघ का हे तो तीन बड़ी जिम्मेदारियां हैं। एक भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष, दूसरा उपराष्ट्रपति, तीसरा राजस्थान का मुख्यमंत्री का पद। वसुंधरा को इन तीन में से कौन सी जिम्मेदारी मिलेगी इसका इंतजार करना होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)