विश्व साइकिल दिवस 3 जून 2025 पर विशेष: साइक्लिंग फॉर अ सस्टेनेबल फ्यूचर

dr suresh k pandey cycling at kota
डॉ. सुरेश पाण्डेय

-डॉ. सुरेश पाण्डेय

साइकिल—वह दोपहिया सवारी जो बचपन में हमारी सबसे प्यारी साथी थी। गलियों में हवा के झोंकों संग दौड़ना, दोस्तों के साथ साइकिल रेस लगाना, और वो बेफिक्र हँसी—साइकिल सिर्फ एक वाहन नहीं, बल्कि आज़ादी और खुशी का प्रतीक थी। लेकिन समय के साथ, जैसे-जैसे हम बड़े हुए, साइकिल कहीं पीछे छूट गई। आज, जब दुनिया जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण, ट्रैफिक जाम और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही है, साइकिल फिर से हमें पुकार रही है। हर साल 3 जून को मनाया जाने वाला विश्व साइकिल दिवस सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि एक आह्वान है—एक स्वस्थ, स्वच्छ और समान भविष्य की ओर बढ़ने का न्योता। इस बार 2025 में विश्व साइकिल दिवस की थीम है “साइक्लिंग फॉर अ सस्टेनेबल फ्यूचर” यानी “स्थायी भविष्य के लिए साइक्लिंग”। यह थीम हमें बताती है कि साइकिल सिर्फ परिवहन का साधन नहीं, बल्कि एक जीवनशैली, एक आंदोलन और एक जिम्मेदारी है, जो हमें प्रकृति से जोड़ती है और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर दुनिया का निर्माण करती है।

साइकिल की सवारी की शुरुआत बचपन में एक खेल के रूप में होती है। हम में से कई ने गलियों में साइकिल दौड़ाई, हवा को चीरते हुए आज़ादी का मज़ा लिया। लेकिन बड़े होने के साथ-साथ साइकिल हमारी ज़िंदगी से गायब हो गई, और उसकी जगह कारों, मोटरबाइकों और ट्रैफिक के शोर ने ले ली। आज जब विश्व स्वास्थ्य संगठन चेतावनी दे रहा है कि वायु प्रदूषण से हर साल 70 लाख लोग असमय मृत्यु का शिकार हो रहे हैं, और सेडेंटरी लाइफस्टाइल के कारण मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा और हृदय रोग जैसी बीमारियाँ तेज़ी से बढ़ रही हैं, साइकिल हमें फिर से बुला रही है। यह हमें याद दिलाती है कि वह हमारी पुरानी दोस्त है, जो न केवल हमारी सेहत को बेहतर बना सकती है, बल्कि पर्यावरण को बचाने और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने में भी सक्षम है।

विश्व साइकिल दिवस की शुरुआत पोलैंड के डॉ. लेस्जेक सिब्लस्की के अथक प्रयासों से हुई, जिनके दृढ़ संकल्प ने संयुक्त राष्ट्र को 3 जून 2018 को पहला विश्व साइकिल दिवस मनाने के लिए प्रेरित किया। तब से यह दिन हर साल हमें साइकिल के अनगिनत फायदों की याद दिलाता है। साइकिल एक ऐसी सवारी है जो न पेट्रोल मांगती है, न बिजली, और न ही जटिल रखरखाव। यह आपकी मेहनत और इच्छाशक्ति से चलती है। यह हर किसी के लिए सुलभ है—चाहे वह गाँव का किसान हो, शहरी मजदूर, स्कूली बच्चा या ऑफिस कर्मचारी। यही साइकिल की लोकतांत्रिक शक्ति है। यह अमीर-गरीब की खाई को पाटती है और सामाजिक समानता का प्रतीक बनती है।

डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन इसका जीता-जागता उदाहरण है, जहाँ 62 प्रतिशत लोग रोज़ाना साइकिल से काम पर जाते हैं। वहाँ साइकिल सिर्फ़ आदत नहीं, संस्कृति है। नीदरलैंड के एम्स्टर्डम में 8 लाख 11 हजार लोगों के पास 8 लाख 80 हजार साइकिलें हैं। ये आँकड़े हमें प्रेरित करते हैं कि हम भी अपने शहरों को साइकिल-मैत्रीपूर्ण बना सकते हैं।

साइकिल पर्यावरण संरक्षण का सशक्त हथियार है। एक अध्ययन के अनुसार, रोज़ाना 5 किलोमीटर साइकिल चलाने से सालाना 150 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन रोका जा सकता है। जर्नल ऑफ ट्रांसपोर्ट एंड हेल्थ में प्रकाशित शोध बताता है कि साइकिल से ऑफिस जाने वाले लोग कार से यात्रा करने वालों की तुलना में कम तनावग्रस्त रहते हैं और उनकी कार्यक्षमता 20 प्रतिशत तक बढ़ती है। साइकिल ट्रैफिक जाम और ध्वनि प्रदूषण को भी कम करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 60-85 प्रतिशत लोग सेडेंटरी लाइफस्टाइल के कारण गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के एक शोध, जिसमें 2 लाख 64 हजार लोग शामिल थे, बताता है कि नियमित साइकिलिंग से कैंसर का खतरा 46 प्रतिशत और हृदय रोगों का जोखिम 41 प्रतिशत कम होता है। कैनेडियन फैमिली फिजिशियन जर्नल के अनुसार, डेनमार्क में साइकिल से काम पर जाने वालों में आकस्मिक मृत्यु का जोखिम 25 प्रतिशत कम है। इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन का शोध कहता है कि साइकिल चलाने वालों का बॉडी मास इंडेक्स पैदल चलने वालों या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करने वालों की तुलना में कम होता है। रोज़ाना 30 मिनट साइकिलिंग मोटापे, डायबिटीज और उच्च रक्तचाप से बचाव करती है।
साइकिलिंग का प्रभाव सिर्फ़ शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है। सुबह के शांत वातावरण में साइकिल चलाने से सेरोटोनिन, डोपामिन जैसे खुशी के हार्मोन रिलीज़ होते हैं, जो तनाव और अवसाद को कम करते हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के शोध के अनुसार, सप्ताह में पाँच दिन 30 मिनट साइकिलिंग करने वालों के बीमार पड़ने की संभावना 50 प्रतिशत कम होती है। साइकिलिंग से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है, रक्त संचार बेहतर होता है और हृदय रोगों का खतरा कम होता है। यह मांसपेशियों को मजबूत बनाती है, खासकर पैरों की मांसपेशियों को, जिन्हें “पेरिफेरल हार्ट” कहा जाता है। इससे वैरिकोज़ वेन और स्ट्रोक जैसी समस्याएँ कम होती हैं।

मेरा व्यक्तिगत अनुभव साइकिलिंग के प्रति मेरे विश्वास को और मजबूत करता है। तीन साल पहले कोटा के डॉ. अशोक मूंदड़ा, डॉ. भरत सिंह शेखावत और डॉ. दिनेश मित्तल की प्रेरणा से मैंने साइकिलिंग शुरू की। यह मेरे लिए सिर्फ़ व्यायाम नहीं, बल्कि जीवनशैली बन गई। एक नेत्र सर्जन के तनावपूर्ण पेशे में साइकिलिंग मेरे लिए मानसिक चिकित्सा का काम करती है। मैंने “साइक्लिंग के साथ सकारात्मक संदेश” मुहिम शुरू की, जिससे हजारों लोग जुड़े। साइकिलिंग ने न केवल मेरे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर किया, बल्कि मुझे प्रकृति से जोड़ा। सुबह की ताज़ा हवा, पेड़ों की छांव, नदियों के किनारे और सूर्योदय का नज़ारा—ये अनुभव आत्मा को तृप्त करते हैं। शोध बताते हैं कि नियमित साइकिलिंग से अल्ज़ाइमर और डिमेंशिया का खतरा भी कम होता है।

साइकिलिंग का सामाजिक प्रभाव भी कम नहीं है। यह न केवल स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि सामाजिक समानता को भी बढ़ावा देती है। साइकिल चलाने के लिए आपको किसी बड़े निवेश की ज़रूरत नहीं। यह हर वर्ग के लिए सुलभ है। भारत में साइकिलिंग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास हो रहे हैं—साइकिल ट्रैक, किराए की साइकिल सेवाएँ और “संडे साइक्लिंग” जैसे अभियान। लेकिन हमें और अधिक करने की ज़रूरत है। शहरों में सुरक्षित साइकिल लेन, स्कूलों-कॉलेजों में जागरूकता और साइकिल-अनुकूल ढांचे की आवश्यकता है। जर्मनी और नीदरलैंड जैसे देशों ने साइकिलिंग को अपनी संस्कृति का हिस्सा बनाया है, जहाँ साइकिल सवारों के लिए अलग सड़कें और सुरक्षा व्यवस्था मौजूद हैं। भारत में भी ऐसी पहल होनी चाहिए।

विश्व साइकिल दिवस 2025 हमें साइकिल को फिर से अपनाने का मौका देता है। यह सिर्फ़ परिवहन का साधन नहीं, बल्कि एक बदलाव का प्रतीक है। यह स्वास्थ्य, समानता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। साइकिल चलाना केवल पैडल घुमाना नहीं, बल्कि सोच बदलना और बेहतर भविष्य बनाना है। आइए, इस विश्व साइकिल दिवस पर संकल्प लें कि हम साइकिल को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाएँगे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। सप्ताह में एक दिन परिवार के साथ साइकिल चलाने का समय निकालें। प्रकृति के करीब जाएँ, सूर्योदय का आनंद लें, और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाएँ। साइकिल की हर सवारी एक कदम है—स्वच्छ हवा की ओर, स्वस्थ जीवन की ओर, और एक स्थायी भविष्य की ओर।

 

डॉ. सुरेश पाण्डेय
नेत्र सर्जन, साइक्लिस्ट, प्रेरक वक्ता
संवाहक, “साइक्लिंग के साथ सकारात्मक संदेश”
सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा

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