
-देवेंद्र यादव-

भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में 27 साल के बाद अपनी सरकार बनाई है। अरविंद केजरीवाल ने अपने ही जाल में फंसकर आम आदमी पार्टी की दिल्ली की सत्ता को गवां दिया।
मैंने अपने ब्लॉग में 26 जनवरी को लिखा था क्या अरविंद केजरीवाल अपने ही जाल में फस गए हैं। 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आते ही पता चल गया कि आम आदमी पार्टी के नेता पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दोनों चुनाव हार गए और भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में अपनी सरकार बना ली। अरविंद केजरीवाल दिल्ली फतह के बाद, देश को फतह करने का सपना देख रहे थे। अरविंद केजरीवाल अपनी विधानसभा सीट को भी नहीं बचा पाए और भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता परवेश वर्मा से चुनाव हार गए। जनता ने अरविंद केजरीवाल के हाथों में बगैर रगड़ाई के दिल्ली की सत्ता को सौंपा था, मगर आसानी से मिली सत्ता को अरविंद केजरीवाल यह समझ बैठे थे कि वह दिल्ली राज्य की सत्ता के अलावा देश के अलग-अलग राज्यों में भी अपनी सरकार बना सकते हैं। पंजाब में सरकार बनाकर वह कामयाब भी हुए और पंजाब की जीत ने अरविंद केजरीवाल को कॉन्फिडेंस नहीं दिया बल्कि वह घमंड में आ गए और देश की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी और देश की सबसे बड़ी पुरानी पार्टी कांग्रेस को कमजोर और भ्रष्ट पार्टी बताकर उन्हें चुनौती दे कर देश की सत्ता पर काबिज होने के सपने देखने लगे।
अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सत्ता में आने के बाद यह भूल गए थे कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के कारण ही बनी थी। अन्ना आंदोलन के बाद देश में कांग्रेस के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी और उसके नेता नरेंद्र मोदी ने माहौल बनाया था। इस माहौल के कारण कांग्रेस का पारंपरिक मतदाता आम आदमी पार्टी में शिफ्ट हुआ और इस कारण दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बने थे। भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली की सत्ता से कांग्रेस को बाहर रखना था इसलिए वह दिल्ली में सरकार बनाने के लिए गंभीर नहीं रही। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी को केंद्र में अपनी सरकार बनाए रखने के लिए दिल्ली लोकसभा की सभी सीट मिल रही थी, शायद अरविंद केजरीवाल को गुमान हो गया था कि वह नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी से भी बड़े नेता हैं।
शायद उनके इस गुमान के कारण आम आदमी पार्टी 11 साल बाद सत्ता से बाहर हो गई।
अरविंद केजरीवाल कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से बाहर निकलवाना चाह रहे थे। दिल्ली की जनता और कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की सत्ता से बाहर कर दिया। भले ही दिल्ली में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली मगर कांग्रेस ने दिल्ली में ऐसा माहौल बनाया कि अरविंद केजरीवाल को स्वयं हार देखनी पड़ी।
सवाल यह है कि क्या भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अंदर खाने मिलकर आम आदमी पार्टी को दिल्ली में हराकर सत्ता से बाहर किया। यह आरोप स्वयं अरविंद केजरीवाल ने चुनाव प्रचार के दरमियान कांग्रेस पर लगाया था।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)