
-देवेंद्र यादव-

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को देश उनकी उदारीकरण की नीति, शिक्षा का अधिकार, भोजन का अधिकार, रोजगार की गारंटी और सूचना का अधिकार, आधार कार्ड जैसी बड़ी योजनाओं के कारण याद करेगा। लोकसभा का चुनाव नहीं जीतने वाले डॉक्टर मनमोहन सिंह एक बार देश के वित्त मंत्री दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे। देश की इस महान प्रतिभा को पीवी नरसिम्हा राव ने समझा और उन्हें अपनी सरकार में देश का वित्त मंत्री बनाया। वित्त मंत्री रहते हुए डॉक्टर मनमोहन सिंह देश में उदारीकरण की नीति लेकर आए। 2004 में जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी तब कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने पार्टी के दिग्गज नेताओं को एक तरफ कर डॉक्टर मनमोहन सिंह को देश का प्रधानमंत्री बनवाया। सवाल यह है कि क्या डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के रूप में इतिहास लिखने वाले थे। क्या डॉक्टर मनमोहन सिंह 2014 में जीत कर तीसरी बार प्रधानमंत्री बनते। यह मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि 2004 में किसी भी राजनीतिक पंडित, राजनीतिक विश्लेषक यहां तक की कांग्रेस के नेताओं को भी विश्वास नहीं था कि केंद्र में कांग्रेस की वापसी होगी और कांग्रेस सरकार बनाएगी। उस समय मैं लिख भी रहा था और कांग्रेस के नेताओं और राजनीतिक विश्लेषकों को बता भी रहा था कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनेगी। वाक्या वर्ष 2003 का है, जब राजस्थान विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई थी और डॉक्टर मनमोहन सिंह स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष थे तब मैं डॉक्टर मनमोहन सिंह जी से मिलने उनके नजदीकी सेवा दल के राष्ट्रीय नेता के साथ उनके घर गया था। लेकिन मेरी मुलाकात डॉक्टर मनमोहन सिंह जी से नहीं हो पाई तब मैंने डॉक्टर मनमोहन सिंह के सहायक मलिक को कहा था कि 2004 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनेगी और प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह होंगे। मेरी बात पर उनका रिएक्शन क्या हुआ इसे आप समझ सकते हैं। यही बात में लिखता रहा और मेरे कांग्रेसी मित्रों को बताता रहा। अंत में जब कांग्रेस की सरकार बनी तब डॉक्टर मनमोहन सिंह के नजदीकी राजनीतिक मित्र डॉक्टर साहब के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री रहे भुवनेश चतुर्वेदी ने मुझसे पूछा कि प्रधानमंत्री कौन बनेगा। तब मैंने उनसे कहा डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बनेंगे। उन्हें यकीन नहीं हुआ और वह मेरे से बहस करने लगे लेकिन मैंने कहा आप लोग तो कांग्रेस की सरकार भी नहीं बना रहे थे और मैं बता रहा था कि 2004 के लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा दल कांग्रेस होगी और सरकार कांग्रेस की बनेगी!
सवाल यह है कि क्या 2014 में लगातार कांग्रेस की तीसरी बार सरकार बनती और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह होते। मौजूदा कांग्रेस की स्थिति को देखते हुए कांग्रेस के संदर्भ में राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस के भीतर बैठे स्लीपर सेलों की चर्चा होती है। चर्चा यह होती है कि आज कांग्रेस कमजोर है तो इसका कारण कांग्रेस के भीतर बैठे स्लीपर सेल हैं।
दरअसल कांग्रेस के भीतर स्लीपर सेलों का पनपना 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के द्वारा गुजरात की 26 में से 11 लोकसभा सीट जीतने के बाद से ही शुरू हो गया था। 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का माहौल गुजरात में कांग्रेस की सत्ता में वापसी का था। मगर कांग्रेस को 60 विधानसभा सीट पर जीत मिली, जबकि 2012 में गुजरात के भीतर कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में थी। यदि उस समय कांग्रेस गुजरात में अपनी सरकार बना लेती तो 2014 में केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार बनती।
2014 में कांग्रेस की सरकार नहीं बनने का एक कारण 10 जनपद से श्रीमती सोनिया गांधी के विश्वासपात्र बी जॉर्ज का बाहर होना और गुजरात के नेता अहमद पटेल को 10 जनपद के भीतर प्रवेश मिलना रहा।
अहमद पटेल पटेल तो अब इस दुनिया में नहीं रहे मगर उनके राजनीतिक संगी साथी अभी भी कांग्रेस के भीतर मौजूद हैं, जो अपना राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए पार्टी हाई कमान और गांधी परिवार को राजनीतिक रूप से भ्रमित करते हुए दिखाई देते हैं।
कांग्रेस हाई कमान के लिए डॉक्टर मनमोहन सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि देने का बड़ा अवसर है। वह कांग्रेस के भीतर बैठे स्लीपर सेलों को पहचान कर बाहर करें। डॉ मनमोहन सिंह के संदर्भ में बताने और कहने के लिए बहुत कुछ है। डॉक्टर मनमोहन सिंह महान व्यक्तित्व के धनी थे, जो अब हमारे बीच में नहीं रहे। उनकी यादें शेष रह गई हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)