
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान में कोटा के नगर निगम (उत्तर) में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के मसले में प्रदेश नेतृत्व और शहर भारतीय जनता पार्टी की ओर से बहुसंख्यक पार्षदों की राय के विपरीत एकतरफा फैसला करने के मसले को लेकर विरोध कर रहे आठ पार्षदों ने इस बारे में विस्तार से एक पत्र भेजकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखित में शिकायत दर्ज करवाई है। इन पार्षदों ने यह भी आरोप लगाया कि पार्टी पर पार्टी की ही खिलाफत करने वाले नेताओं को थोपने की कोशिश की जा रही है। इसका अंतिम दम तक विरोध करेंगे। कोटा नगर निगम (उत्तर) में भारतीय जनता पार्टी के आठ पार्षदों की ओर से नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने के मसले पर पिछले दो साल तक कोई सहमति नहीं करने नहीं बनने के बाद बीते सप्ताह के अंतिम दिनों में ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने लव शर्मा को कोटा नगर निगम (उत्तर) का नेता प्रतिपक्ष घोषित कर दिया था लेकिन बारह में से आठ भारतीय जनता पार्टी के पार्षद इस फैसले के खिलाफ खड़े हो गए हैं।
एकतरफा रूप से नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति कर दी
इन पार्षदों ने लिखित में शिकायत दी है कि लव शर्मा को नेता प्रतिपक्ष बनाने से पहले उनमें से किसी की न तो राय ली गई और ना ही सभी पार्षदों को अपने को विशवास में लेने के कोई प्रयास किये बल्कि एकतरफा रूप से नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति कर दी गई है। नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति का विरोध कर रहे आठ भाजपा पार्षदों की ओर से आज राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखित में भेजे गए पत्र में आरोप लगाया है कि पार्टी के एक पक्ष के दबाव में आकर नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति की गई है और इस मसले में कोटा (उत्तर) विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व में विधायक रह चुके प्रहलाद गुंजल और उनके समर्थक पार्षदों की राय तक नही ली है। हालांकि इस मसले को लेकर अभी पूर्व विधायक श्री गुंजल की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है लेकिन समझा जाता है कि उनके समर्थक पार्षद ही इस सारे मसले को पुरजोर तरीके से हवा दे रहे हैं और उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष की ओर से घोषित नेता प्रतिपक्ष को मान्यता देने से भी इंकार कर दिया है और समानांतर रूप से पार्षद नंदकिशोर मेवाड़ा को अपनी ओर से नेता प्रतिपक्ष घोषित कर दिया। चूंकि 70 सदस्यीय कोटा नगर निगम (उत्तर) में भारतीय जनता पार्टी के 12 पार्षद हैऔर स्वायत्त शासन निकाय के नियमानुसार कम से कम 10 प्रतिशत यानि सात पार्षदों के समर्थन से ही नेता प्रतिपक्ष चुना जा सकता है लेकिन यदि इन आठ पार्षदों के भाजपा के घोषित नेता प्रतिपक्ष को मानने से इंकार कर अपनी ओर से नंदकिशोर मेवाड़ा को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के फैसले के बाद यदि उनकी इस चेतावनी को अमलीजामा पहना गया कि वे उनकी मांग नहीं मानने पर भाजपा से अपनी संबद्धता खत्म कर देंगे तो इस नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी के समर्थक पार्षदों की संख्या घटकर मात्र चार रह जायेगी। श्री मेवाडा को नेता प्रतिपक्ष घोषित करने के भाजपा के आठ पार्षदों के फैसले के प्रति पार्टी के समान विचारधारा वाले चार निर्दलीय पार्षदों ने भी अपना समर्थन व्यक्त किया जाए।
सुनियोजित तरीके से कोशिशें
इन अाठ पार्षदों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजे पत्र में यह भी आरोप लगाए हैं कि कोटा शहर में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एक सुनियोजित तरीके से कोशिशें की जा रही है। कोटा शहर में मंडल से लेकर जिला अध्यक्ष तक और अब कोटा नगर निगम (उत्तर) में नेता प्रतिपक्ष जैसे पद पर ऐसे लोगों को नियुक्त किया जा रहा है जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में तो भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में लेकिन विधानसभा सहित अन्य चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के खिलाफ काम किया है। इन लोगों का मुख्य लक्ष्य येन-केन-प्रकारेण कांग्रेस के लाभ पहुंचाने का रहा है। ऐसे लोगों के दबाव में काम करना पार्टी की विचारधारा और उसके प्रति निष्ठा के खिलाफ है। पार्षदों ने यह भी कहा कि वे पार्टी के खिलाफ नही है बल्कि भाजपा में पार्टी विरोधी लोगों को ही थोपने की कोशिशो के प्रति अपना विरोध जता रहे है।