
एक संयुक्त बयान में क्वाड नेताओं ने सीमा पार आतंकवाद समेत इसके सभी रूपों की निंदा की।‘क्वाड नेताओं ने साझा घोषणा पत्र में यह भी कहा है कि चार देशों का यह समूह अच्छे मकसद से बनाया गया है और रणनीतिक रूप से पहले से कहीं अधिक एकजुट है।
-क्वाड की मीटिंग में भारत को अहम कूटनीतिक सफलता
-द ओपिनियन-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर हैं, जहां उन्होंने शनिवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से डेलावेयर में उनके गृहनगर विलमिंगटन में मुलाकात की। यह मुलाकात बाइडेन के घर पर हुई। बाद में पीएम मोदी ने अमेरिका की मेजबानी में हुई क्वाड यानी चतुर्पक्षीय सुरक्षा संवाद की शिखर बैठक में भाग लिया। चीन की दक्षिण चीन सागर व विश्व राजनीति में बढ़ती आक्रामकता के चलते यह बैठक बहुत अहम रही। बैठक में पीएम मोदी के अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज शामिल हुए। भारत, अमेरिका, जापान व ऑस्ट्रेलिया क्वाड के सदस्य हैं। यह बैठक ऐसे समय हुई है जब अमेरिका में जल्द ही राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए यह बहुत बड़ी अंतररराष्ट्रीय मेजबानी थी। क्योंकि वह चुनावी रेस से हट गए थे। इसलिए अमेरिका ने नया राष्ट्रपति मिलने वाला है। नवंबर में चुनाव होने हैं और जनवरी में नया राष्ट्रपति सत्ता संभालेगा। लेकिन अमेरिका में व्यक्ति बदलने के साथ नीतियों में कोई बुनियादी बदलाव नहीं आता। वहां राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर नीतियों में निरंतरता रखी जाती है। इसलिए जो बाइडेन के कार्यकाल का अंतिम दौर होते हुए भी इस बैठक का बहुत महत्वपूर्ण रही।
यह बैैठक भारत की दृष्टि से बहुत अहम रही है। इस बैठक में परोक्ष रूप से पाकिस्तान का भी जिक्र आया। क्वाड समूह के नेताओं ने मुंबई के आतंकी हमले और 2016 पठानकोट हमले की निंदा की और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के जरिए आतंकवाद के अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में क्वाड नेताओं ने सीमा पार आतंकवाद समेत इसके सभी रूपों की निंदा की।‘क्वाड नेताओं ने साझा घोषणा पत्र में यह भी कहा है कि चार देशों का यह समूह अच्छे मकसद से बनाया गया है और रणनीतिक रूप से पहले से कहीं अधिक एकजुट है।
क्वाड में निशाने पर रहा चीन
घोषणापत्र में चीन भी निशाने पर रहा। एक तरह से क्वाड का गठन ही चीन के आक्रामक रूख के चलते हुआ है और आज यह एक महत्वपूर्ण संगठन बन गया है। क्वाड घोषणा पत्र में कहा गया है कि क्वाड आगामी कई दशकों तक हिंद प्रशांत को मजबूत करेगा। हम इस गतिशील क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए स्पष्ट रूप से खड़े हैं जो वैश्विक सुरक्षा एवं समृद्धि के लिए जरूरी है। घोषणा पत्र में कहा गया है कि क्वाड किसी भी ऐसी अस्थिरकारी या एकतरफा कार्रवाई का दृढ़ता से विरोध करता है, जो बल या दबाव के जरिए यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती है। यह है यह बात चीन का नाम लिए बिना कही गई है। लेकिन क्यों कही गई है और किसके लिए कही गई है इसका उल्लेख करने की जरूरत नहीं है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है। दूसरी ओर, वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन, ब्रुनेई और ताइवान भी इस क्षेत्र पर अपने-अपने दावे करते हैं। इसके साथ चीन ंिहद महासागर और हिन्द प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने में जुटा हुआ। घोषणापत्र में कहा गया हम एक ऐसा क्षेत्र चाहते हैं, जहां कोई भी देश किसी भी देश पर हावी न हो, जहां सभी देश दबाव से मुक्त हों और अपने भविष्य को निर्धारित करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकें। साफ है क्वाड के निशाने पर चीन ही था।
पीएम मोदी का रहा जलवा
क्वाड बैठक एक घटना चर्चा का विषय बनी हुई है और यह भी भारत से जुडी हुई है। मीडिया में इसकी खूब चर्चा हो रही है। दरअसल, क्वाड की बैठक के बाद चारों देशों के नेताओं की ग्रुुप फोटो होनी थी। इस दौरान एक पत्रकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति से क्वाड के अस्तित्व के बारे में सवाल पूछ लिया। इस पर जो बाइडन ने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा कि क्वाड चुनाव यानी नवंबर के बाद भी बना रहेगा। क्वाड यहां रहने के लिए है। जाहिर है इससे क्वाड में भारत की अहम भूमिका रेखांकित होती है।
बढेगा सहयोग का दायरा: कैंसर से निपटने में आए साथ साथ
इसके अलावा इस मौके पर क्वाड नेताओं ने कई घोषाएं की । इसमें ‘क्वाड कैंसर मूनशॉट’ की घोषणा भी शामिल है। यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जीवन बचाने के लिए एक अभूतपूर्व साझेदारी है। शुरुआत में ‘क्वाड कैंसर मूनशॉट’ का ध्यान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सर्विकल कैंसर से निपटने पर केंद्रित होगा। साथ ही अन्य प्रकार के कैंसर से निपटने के लिए आधार तैयार किया जाएगा। भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को 75 लाख अमेरिकी डॉलर मूल्य के सर्विकल कैंसर टीके, ‘ह्यूमन पेपिलोमावायरस’ (एचपीवी) किट और जांच किट उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता जताई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह अनुदान भारत के ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ (एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य) के दृष्टिकोण के तहत दिया गया है। भारत, विश्व स्वास्थ्य संगठन की डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल के लिए एक करोड़ अमेरिकी डॉलर की अपनी प्रतिबद्धता के जरिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र के इच्छुक देशों को अपनी उस डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना को अपनाने और लागू करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगा, जो कैंसर की जांच और देखभाल में मदद करती है।
बढ़ेगा आपसी सहयोग
‘क्वाड’ राष्ट्रों ने हिंद-प्रशांत में प्रशिक्षण के लिए एक नई क्षेत्रीय समुद्री पहल (मैत्री) की घोषणा की, ताकि क्षेत्र में उनके साझेदार हिंद-प्रशांत समुद्री क्षेत्र जागरूकता (आईपीएमडीए) और ‘क्वाड’ के साझेदारों की अन्य पहलों के माध्यम से प्रदान किए गए उपकरणों का अधिकतम लाभ उठा सकें जिसकी मदद से वे अपने जलक्षेत्र की निगरानी एवं सुरक्षा कर सकें, अपने कानूनों को लागू कर सकें और गैरकानूनी व्यवहार को रोक सकें।