कलक्टर सर की क्लास… सेलीब्रेट द प्रिपेरेशन, नॉट द रिजल्ट्स

यदि लगता है कि फालतू के कार्यों में समय व्यतीत हो रहा है तो अटेंशन प्लान आइडेंटिफाई होना जरूरी है। हमें पता होना चाहिए कि हम जहां जा रहे हैं, वहां कितना समय व्यतीत करना है। कब बैठना है और कब उठना है। इससे जब हम काम खत्म कर रहे होंगे तो इस बाद का पछतावा नहीं होगा कि मेरा समय खराब हुआ है।

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-कामयाब कोटा के तहत कलक्टर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी पहुंचे स्टूडेंट्स की क्लास में

-स्टूडेंट्स को खान-पान से लेकर अटेंशन प्लान तक के लिए बताया

कोटा. कामयाब कोटा अभियान के तहत स्टूडेंट्स को सकारात्मक माहौल देने और जिला प्रशासन का कोचिंग स्टूडेंट्स से सीधे संवाद का सिलसिला जारी है। इसके तहत शुक्रवार को जिला कलक्टर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के जवाहर नगर स्थित सत्यार्थ कैम्पस पहुंचे और क्लास में संवाद किया। इस दौरान स्टूडेंट्स ने सवाल किए और कलक्टर डॉ.गोस्वामी ने एक शिक्षक के रूप में जवाब दिए। करीब एक घंटे चले इस संवाद के बाद स्टूडेंट्स बहुत उत्साहित नजर आए।
डॉ.गोस्वामी ने कहा कि स्वास्थ्य सबसे पहले है। हमारे शरीर में विटामिन सी, विटामिन डी और विटामिन बी-12 की कमी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए रोजाना एक नींबू खाना है, रोज आधा लीटर दूध पीना है और 15 मिनट धूप में रहना है। इससे आप बहुत सारी बीमारियों से दूर हो जाएंगे।
स्टूडेंट्स के एक सवाल पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि मैं पूर्व राष्ट्रपति व वैज्ञानिक डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम से प्रभावित हूं। उनकी सादगी और अनुशासित जीवन मेरे लिए प्रेरणा है। वो व्यक्ति सबकुछ होकर भी साधारण रहे। हम सभी के जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यदि लगता है कि फालतू के कार्यों में समय व्यतीत हो रहा है तो अटेंशन प्लान आइडेंटिफाई होना जरूरी है। हमें पता होना चाहिए कि हम जहां जा रहे हैं, वहां कितना समय व्यतीत करना है। कब बैठना है और कब उठना है। इससे जब हम काम खत्म कर रहे होंगे तो इस बाद का पछतावा नहीं होगा कि मेरा समय खराब हुआ है।

सक्सेज नहीं होने की बात पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि मैं आप सभी को सेल्युट करता हूं कि आप सभी ने तैयारी करने का साहस दिखाया। ‘‘सेलीब्रेट द प्रिपेरेशन, नॉट द रिजल्ट्स‘‘ हम में से हर कोई बॉर्डर लाइन पर है। आप लोग अलग हो क्योंकि आप अनुभव ले रहो हो। संघर्ष करना सीख रहे हो, कम्पीटिशन हर जगह है, जो चल रहा है वो लाइफ का एक फेज है, वर्तमान में जिएं और रोजाना मेहनत करें। पढ़ने का तरीका सभी का अलग-अलग हो सकता है। इसलिए पढ़ते समय घंटे नहीं गिनें। मैं तो यही सोचता हूं कि रोज अच्छी मेहनत करूं और अच्छी नींद लूं। प्लान ए के लिए कोशिश कर रहे हो लेकिन प्लान बी भी साथ रखो।
एक अन्य स्टूडेंट के सवाल पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि ओवर थिंकिंग होती है तो जो बात हम सोचते हैं, उस सब्जेक्ट को लिखो। आप देखोगे कि दो से तीन सब्जेक्ट आप लिख नहीं सकोगे। ऐसे में हमारा सोचना कम हो जाएगा। दूसरी बात जो ख्याल आपको आ रहे हैं, उसके बारे में माता-पिता को पत्र भी लिख सकते हैं। पत्र में स्पष्ट करें कि मैं ये सोचता हूं और इसे दूर करने की कोशिश करूंगा। अपनी कमजोरी के बारे में लिख सकते हैं।

टॉस करके ली थी बॉयलोजी
एक स्टूडेंट के सवाल पर डॉ.गोस्वामी ने कहा कि आप सभी के पास आज बहुत साधन और संसाधन हैं। इनका सदुपयोग करें। मुझे जब दसवीं में 84 प्रतिशत अंक आए तो बहुत बड़ी बात थी। तब राजस्थान बोर्ड में इतने नम्बर बहुत अच्छे होते थे। लोगों ने सलाह दी कि साइंस ले लो। अब साइंस के बारे में पूछा तो पता चला कि मैथ्स और बॉयो अलग-अलग है, कौनसी लें, क्यों ले ? कुछ पता नहीं, समझाने वाले नहीं, इतना पता था कि बॉयलोजी में चित्र बनाने पड़ते हैं और मैथ्स में सवाल होते हैं। मैंने सिक्का उछाला और टेल आने पर बॉयलोजी ले ली। इसके बाद भी मैं कई परीक्षाओं में पहले प्रयास में सफल नहीं हुआ लेकिन मैंने फिर भी आगे बढ़ना नहीं छोड़ा।

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