नई दिल्ली। पिछले दो हफ्तों में भारत में कोविड-19 के मामलों में 400 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके बावजूद कोविड-19 में तेजी नहीं आई है। हालांकि केंद्र सरकार ने परीक्षणों को तेज करने के लिए सलाह जारी की है। लेकिन कुछ राज्यों ने दैनिक रूप से किए जा रहे आरटी-पीसीआर टेस्ट की संख्या पर डेटा सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया है।
एक नए सर्वे में भी पुष्टि हुई है कि लोग कोविड-19 के लक्षण होने के बावजूद आरटी-पीसीआर टेस्ट नहीं करा रहे हैं। देश के 303 जिलों में 11,000 लोगों के बीच किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि 76 प्रतिशत ने कोविड-19 परीक्षण नहीं कराया, जबकि उनमें लक्षण थे। सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में वास्तविक कोविड -19 मामलों को 300 प्रतिशत से कम बताया जा सकता है।
विशेषज्ञों ने कहा कि आरटी-पीसीआर टेस्ट महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे महामारी की वास्तविक स्थिति का पता चलता है। साथ ही संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद करता है क्योंकि रोगी का पता चलता ही उसे पृथक किया जा सकता है।
हालांकि कोविड-19 के मामले बढने के बाद से आरटी पीसीआर टेस्ट क्षमता बढाई गई है लेकिन इस वर्ष ओवर आल आरटीपीसीआर टेस्ट की संख्या में भारी गिरावट आई है।
इस साल, 5 अप्रैल तक जब भारत में एक बार फिर से कोविड-19 मामलों में वृद्धि दर्ज हुई तब 1.1 करोड़ कोविड-19 परीक्षण दर्ज किए गए थे। इसका एक कारण बहुत से लोग अब घर पर ही परीक्षण कर लेते हैं। यह कितने सटीक होते हैं यह दूसरी बात है।
ज्यादातर लोग अपनी दिनचर्या और गतिविधि को जारी रखने के लिए कोविड परीक्षण से बच रहे हैं, जैसे कि वे आमतौर पर सर्दी या मौसमी फ्लू होने पर करते हैं।
लेकिन आरटीपीसीआर टेस्ट नहीं करने का नकारात्मक पक्ष यह है कि जो लोग हल्के लक्षण वाले हैं, वे संक्रमण फैला सकते हैं। इससें कमजोर व्यक्ति शिकार बन सकते हैं।