कहो तो कह दूं…
-बृजेश विजयवर्गीय-

केंद्र सरकार मध्य प्रदेश के कूनो के बाद अन्य राज्यों मेें चीतों को बसाने की योजना पर काम कर रही है उनमें राजस्थान के मुकुंदरा टाईगर रिजर्व का दावा सर्वथा उपयुक्त है। मुकुंदरा के सवानभादो और बारां के शेरगढ़ में चीते बसाए जाने चाहिए। मैं मुकुंदरा की पैरवी इसलिए कर रहा हूं कि मुकुंदरा अभी टाईगर रिजर्व मौजूदा है और वहां पर नए सिरे से ज्यादा प्रशासनिक व्यवस्थाऐं,सुरक्षा आदि के लिए वन विभाग का अमला मौजूद है। दो वर्ष पूर्व तक यहां पर बाघ भी रहे। लेकिन लावपरवाहीपूर्ण दुर्घटना के कारण वे बचे नहीं। सावन भादो का प्राकृतिक धरातल चीता के लिए सर्वथा तो उपयुक्त है, ख्यातममनाम वन विशेषज्ञ भी इसकी पैरवी कर चुके है। माना कि यह बाघ रिजर्व है लेकिन कहां लिखा है कि बाघ और चीता एक जंगल में नहीं रह सकते।
बारां जिले का शेरगढ़ जंगल भी उपयुक्त है, वहां पर अभी चीता को बसाने के लिए काफी तैयारियां करनी शेष है। मुकुंदरा में चीता रहेगा तो शेरगढ़ में स्थानांतरित करना कौन सा मुश्किल है। जब नामिबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते भारत आ सकते हैं तो कोटा से शेरगढ़ ले जाना तो बहुत आसान है। फिलहाल तो बारां के शेरगढ़ को वहां पर हो रही अवैध गतिविधियों से बचाने की जरूरत है। वन्यजीवों के संरक्षण के लिए संरक्षित वनों का होना बहुत जरूरी है। जिस प्रकार खेती की जमीनों को बचाना कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को सम्हालने के लिए आवश्यक है, उसी प्रकार जैव विविधता संरक्षण और पर्यटन विकास के लिए वन और वन्यजीवों को बचाना जरूरी है। चीता के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को गंभीरता से प्रयास करना होगा। केंद्र सरकार में इस समय कोटा के लोकसभा सदस्य का सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व है जो पूर्व में कभी नहीं रहा।
-बृजेश विजयवर्गीय,स्वतंत्र पत्रकार एवं संयोजक बाघ- चीता मित्र
सर,
मैं इस लेख से असहमत हूं। चीते के लिए जो (हेबिटेट) पारिस्थितिकी तंत्र चाहिए वो मुकुंदरा नेशनल पार्क में नही है। चीतों को खुले घास के मैदान चाहिए। जो यहां सोरसन के अतिरिक्त कहीं नहीं है। सोरसन बहुत ही छोटा क्षेत्र है और वन्य जीव पार्क के लिए नोटिफाई नही है। इसी प्रकार शेरगढ़ फॉरेस्ट को चीते के लिए उपयुक्त बनाने में बहुत समय लग जाएगा। इसके लिए बहुत बड़ी राशि और प्रबल इच्छाशक्ति चाहिए जो सरकार में दिखाई नही देती। चीते घात लगाकर शिकार नही करते बल्कि वे दौड़कर शिकार पकड़ते हैं। अधिक झाड़ियां या पेड़ उनके लिए खतरा होता है। इन पेड़ों पर छिपे पैंथर …और पेड़ों के आड़ में छिपे बाघ इनके लिए बहुत बड़ा खतरा है। चूंकि चीते के पंजे कुत्तों के समान होते है जिससे वह शिकार को चीर फाड़ नही सकता…इसलिए वह बाघ शेर और पैंथर के आगे बहुत निरीह होता है। बाघ और पैंथर बहुत ही जल्दी चीतों का सफाया कर देंगे।
आपके तर्क भी विचारणीय हैं। लेकिन विशेषज्ञ इस क्षेत्र को चीता बसाने के लिए उपयुक्त मान चुके हैं।