
-अब सभी की नजर टिपरा मोथा पर टिकी, आशंका किसका रास्ता काटेगी
-द ओपिनियन-
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान निर्णायक दौर में पहुंच गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज त्रिपुरा के दौरे पर हैं और वहां चुनाव सभाओं को संबोधित कर रहे हैं। इससे पहले गत दिनों गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्व सरमा भी भाजपा की चुनाव सभाओं को संबोधित कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अंबासा में भाजपा की विजय संकल्प रैली को संबोधित किया और वाम दलों व कांग्रेस पर विश्वासघात करने का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने पांच साल पहले जो वादे किए थे वे पूरे कर रहे हैं। हवाई सड़क रेल संपर्क बढाने के प्रयास जारी है। पीएम विजय संकल्प रैली मे खूब गरजे और कांग्रेस व वाम दलों को खूब आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने त्रिपुरा को हिंसा से मुक्ति दिलाई है।त्रिपुरा में पिछले पांच साल में तेजी से विकास हुआ है।
वाम दल ‘कांग्रेस में गठजोड़
इस बार त्रिपुरा की राजनीति के दो विपरीत ध्रुव कांग्रेस व वाम दल आपसी गठबंधन कर चुनाव लड़ रहे हैं। वाम दल और कांग्रेस एक ही मकसद से साथ आए हैं कि भाजपा को सत्ता से बाहर करना है। दोनों दलों की इसके लिए प्रद्योत किशोर माणिक्य देव बर्मन की पार्टी टिपरा मोथा पर निगाहें टिकी है। उनको लगता है कि टिपरा मोथा आदिवासी वोट बटोर कर भाजपा को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा सकती है। टिपरा मोथा आदिवासियों के लिए अलग ग्रेटर टिपरालैंड राज्य की मांग कर रही है और उस पर कोई पार्टी सहमत नहीं है। इसलिए टिपरा मोथा से किसी भी दल का चुनाव पूर्व गठबंधन तो नहीं हो सका लेकिन सभी दल यह जरूर चाहते हैं कि उसका चुनाव से पहले और बाद में सहयोग मिल जाए। कांग्रेस और माकपा चाहते हैं कि भाजपा के खिलाफ मतों का विभाजन रोके और चुनाव बाद भी वह व्यहारिक दृष्टिकोण अपनाए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनका व्यवहारिक दृष्टिकोण से मतलब है भाजपा से दूर रहे उसके साथ नहीं जाए। आशंकित भाजपा भी है। उसको भी लगता हैकि आदिवासी इलाकों में टिपरा मोथा परेशानी का सबब बन सकती है।
स्थानीय स्तर पर टिपरा मोथा के साथ सहमति संभव
माकपा नेता सीताराम येचुरी भी शुक्रवार को अगरतला में थे। वहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा भी कि टिपरा मोथा के साथ चुनाव गठबंधन नहीं है लेकिन इस आदिवासी पार्टी के साथ स्थानीय स्तर पर कुछ समझ कायम हो सकती है। उन्होंने तो यह विश्वास जताया कि वाम कांग्रेस गठबंधन 16 फरवरी को होने वाले चुनाव में अपने दम पर जीतेगा और त्रिशंकु विधानसभा नहीं होगी। दूसरी ओर कांग्रेस ने भी साफ कर दिया है कि वह टिपरालैंड की मांग का समर्थन नहीं करती है। कांग्रेस नेता सुदीप राॅय बर्मन ने कहा है कि पार्टी ग्रेटर टिपरालैंड की मांग का समर्थन नहीं करती तथा उन्हें उम्मीद है कि चुनाव बादके परिदृश्य में टिपरामोथा व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाएगी।