पाकिस्तान को नौ आतंकी ठिकानों पर हमलों के बारे में “तभी पता चला जब वे अंजाम दिए गए”

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-सैन्य अभियान को रोकने का निर्णय पाकिस्तान की ओर से अनुरोध के बाद द्विपक्षीय रूप से लिया 

-अमेरिकी मध्यस्थता का कोई सवाल ही नहीं

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने पहले के बयान से पीछे हटते हुए संसदीय पैनल को बताया कि पाकिस्तान को उनके क्षेत्र में नौ आतंकी ठिकानों पर भारतीय हमलों के बारे में “तभी पता चला जब वे अंजाम दिए गए”।

जयशंकर ने इस महीने की शुरुआत में मीडिया से कहा था कि भारत ने “ऑपरेशन की शुरुआत में ही पाकिस्तान को संदेश दे दिया था कि हम केवल आतंकी ढाँचे पर हमला कर रहे हैं, सेना पर नहीं, इसलिए उनके पास इससे दूर रहने और हस्तक्षेप न करने का विकल्प है…उन्होंने उस अच्छी सलाह को न मानने का विकल्प चुना।”

जयशंकर के बयानों की कांग्रेस ने आलोचना की थी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस कदम को “अपराध” बताया था और मंत्री से बार-बार पूछा था कि “इसे किसने अधिकृत किया” और “इसके परिणामस्वरूप भारत ने कितने विमान खो दिए।”

विदेश मामलों की सलाहकार समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने पाकिस्तान से कभी बात नहीं की और कथित अमेरिकी “हस्तक्षेप” के बारे में भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि सैन्य अभियान को रोकने का निर्णय पाकिस्तान की ओर से अनुरोध के बाद द्विपक्षीय रूप से लिया गया था। सूत्रों ने कहा कि उन्होंने दोहराया कि ऑपरेशन सिंदूर को तभी रोका गया जब पाकिस्तान के डीजीएमओ ने शत्रुता को रोकने के लिए कहा। दोनों के बीच अमेरिकी मध्यस्थता का कोई सवाल ही नहीं उठता। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्री ने बैठक में सांसदों को बताया कि केवल दोनों देशों के डीजीएमओ ने एक-दूसरे से बात की और किसी अन्य भारतीय अधिकारी ने पाकिस्तानी पक्ष से बात नहीं की। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत से पाकिस्तान से बात करने का आग्रह कर रहा था और उसे बताया गया कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। बैठक के दौरान सांसदों द्वारा ऑपरेशन सिंदूर को रोकने और अमेरिकी “हस्तक्षेप” के बारे में पूछे गए कई सवालों के जवाब में विदेश मंत्री ने बताया कि डीजीएमओ ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष को सूचित किया था कि अगर वे गोलीबारी करेंगे, तो भारत जवाबी गोलीबारी करेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकी शिविरों पर लक्षित हमलों ने पाकिस्तानी सेना के मनोबल को भी चोट पहुंचाई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्री ने दुनिया भर में पाकिस्तान को “बेनकाब” करने में सभी सांसदों से सहयोग मांगा। उन्होंने कहा कि इसीलिए सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के एकजुट संदेश को दुनिया के सामने रखने के लिए सांसदों के बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडलों को विभिन्न देशों में भेजा है। जयशंकर ने एक्स पर विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए तस्वीरें साझा कीं। मंत्री ने यह भी कहा, “ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ भारत की शून्य-सहिष्णुता नीति पर चर्चा की। इस संबंध में एक मजबूत और एकजुट संदेश भेजने के महत्व को रेखांकित किया।” बैठक में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सांसदों को ऑपरेशन सिंदूर पर एक प्रस्तुति दी, जबकि जयशंकर ने बाद में सवालों के जवाब दिए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस सदस्यों ने सरकार से पूछा कि अमेरिका द्वारा भारत को पाकिस्तान के साथ क्यों “जोड़ा” गया और उन्होंने पाकिस्तान को आईएमएफ सहायता और बैठक में भारत के अनुपस्थित रहने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पाकिस्तान के चीन के साथ बढ़ते संबंधों पर भी चिंता जताई।

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