
-सावन कुमार टॉक-
कोटा। नगर विकास न्यास कोटा ने शहर में किराए के मकानों में निवासरत लोगों को स्वयं के स्वामित्व की छत मुहैया कराने के लिए अपना घर योजना के तहत शहर के तीन स्थानों जेके नगर, सुभाष नगर, आरकेपुरम में 1837 मकानों का निर्माण करवा लॉटरी प्रणाली के माध्यम से आवंटन किया था। लेकिन इस योजना में जिन लोगों को मकानों का आवंटन हुआ था उनमें से अधिकांश तो अपने मकानों को बढ़े हुई दामों पर बेचकर जा चुके हैं। कई मकानों में निजी स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। हकीकत यह कि नगर विकास न्यास के पास अभी तक केवल 798 मकानों की राशि ही जमा हुई है।

राज्य सरकार ने अपना घर योजना के तहत 2001 में आवास विहीन लोगों का सर्वे कर 2003 में आवेदक से 5000 रूपये जमा करवा आवेदन भरवाए थे। इसके बाद 2005 में 360 स्क्वायर फीट का निर्माणाधीन मकान आवंटियों को दिए गए। बाद में आवंटियों को 43000 की राशि और जमा करवानी थी जिसमें भी 10000 की सब्सीडी के बाद 25000 मकानों के सीड मनी के तौर पर 4-4 हजार की राशि जमा करवानी थी। राशि एक साथ नहीं जमा करवा सकने वाले आवंटियों को सरकार ने 1-1 हजार की त्रैमासिक किश्त जमा करवाने की राहत भी दी थी। लेकिन योजना के 17 वर्ष बाद भी न्यास के पास केवल 798 मकानों के आवंटियों ने ही मकान की राशि जमा करवाई है। अनेक लोग तो अपने मकानों को 4 से 5 लाख की कीमत में बेच भी चुके हैं। राज्य सरकार ने वर्ष 2017, 2018 और 2019 में इन मकानों के आवंटियों को राशि जमा करवाने के लिए वर्ष के दिसम्बर माह की 31 तारीख को अवसर दिया गया। लेकिन किसी ने राशि जमा करवाने में कोई रूचि नही दिखाई।
नगर विकास न्यास ने नहीं की कार्रवाई
अपना घर योजना के तहत आरकेपुरम में 852 मकानों का निर्माण कराया गया था जिसमें से 271 मकानों की, जेके नगर में 616 मकानों का निर्माण करवाया गया था जिसमें से 395 मकानों की, सुभाष नगर में 369 मकानों का निर्माण कराया गया या जिसमें से 132 मकान की राशि ही जमा हो पाई है। आज 17 वर्ष बाद भी 1039 मकानों पर लोगों ने आवंटन राशि जमा करवा कर ही कब्जा किया हुआ है। नगर विकास न्यास ने भी कभी कोई कार्रवाई इन लोगों के विरूद्ध नहीं की ना ही बकाया वसूलने का काम हुआ। जिन लोगों ने मकानों का कब्जा लिया था उनमें से कई लोग तो अपने मकानों का कब्जा लेने के बाद उन्हें दूसरे लोगों को बेच भी चुके हैं।
अपना घर के मकान बिक रहे लाखे में
अपना घर योजना की बात करें के यहां के मकानों को 10 वर्ष तक किसी को नहीं बेचने, मकानों का व्यावसायिक उपयोग नहीं करने जैसी कई शर्तें थी। लेकिन जेके नगर की ही बात करें तो वहां के कई मकानों को खरीदकर लोगों ने व्यापारिक केन्द बना लिए है। मकानों में निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं। जेके नगर में ही पब्लिक स्कूल 4 मकानों में संचालित हो रहा है तो एक और निजी स्कूल भी मकानें में चल रहा है। मकानों के बाहर दुकानें बना ली गई हैं। जिन मकानों को नगर विकास व्यास ने लोगों को खुद के स्वामित्व की छत मुहैया कराने के लिए बहुत ही कम दरों पर दिया था। वहां मकान को किराए पर दिया हुआ है तो सैंकड़ो मकान 3 से 5 लाख की कीमत में बेचे भी जा चुके है।
मकानों के बाहर हो चुके अतिक्रमण
अपना घर योजना के मकानों के बाहर लोगों ने पक्के अतिक्रमण कर लिए हैं। मकानों के बाहर की और 10 से 15 फीट तक अतिक्रमण कर लिए है। सुभाष नगर और आरकेपुरम में भी मकानों की हालत खराब है। लोगों ने बिजली के कनेक्शन तक भी आंकड़े डाल कर लिए हुए हैं। कई लोगों ने नाम नहीं बताने पर कहा कि उन्होंने मकान खरीदें हैं। जिस व्यक्ति ने मकान दिलाए है उसने ही रकम की बात की थी। 201 में रहने वाली उमादेवी शर्मा ने बताया कि उन्हें आरिफ नमक युवक ने मकान साढ़े 3 लाख रूपये में दिलवाया है।
(लेखक कई समाचार पत्रों के रिपोर्टर रहे हैं)