राजस्थान व मध्य प्रदेश में नई रणनीति के साथ भाजपा मैदान में

इन दोनों ही राज्यों में भाजपा के सामने कांग्रेस की कड़ी चुनौती है। राजस्थान में कांग्रेस सत्तारूढ है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अनेक लोकलुभावन व जनोपयोगी घोषणाएं कर और सरकार के स्तर पर कदम उठाकर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने में जुटे हैं तो मध्य प्रदेश में सत्तारूढ होने के बावजूद भाजपा के सामने कांग्रेस की कड़ी चुनौती है।

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अपने संगठनात्मक तंत्र को कैसे सक्रिय किया जाए यह कोई भाजपा से सीखे। उसने ऐसा कई बार कर दिखाया और इसके बलबूते पर वह बाजी भी पलट देती है। वह अब भी चुनावी बाजी जीतने के लिए सियासी बाजी पलटने की ही कोशिश में है और अपनी चुनावी रणनीति में यह नया नवाचार किया है।

-दूसरे राज्यों से आए भाजपा विधायक हर विधानसभा क्षेत्र का जमीनी स्तर लेंगे जायजा

-द ओपिनियन-

भाजपा राजस्थान व मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए नई चुनावी रणनीति के तहत मैदान में आ गई है। यह रणनीति प्रदेश के बाहर के विधायकों को मैदान में उतारना और जमीनी हकीकत का पता लगाना है ताकि पार्टी की स्थिति का सही आकलन किया जा सके और उसके अनुरूप रणनीति बनाई जा सके। मध्य प्रदेश में 230 और राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें हैं । दोनों ही राज्यों में अन्य राज्यों के विधायकों की टीम संबंधित राज्यों की राजधानी में शनिवार को ही पहुंच चुकी थी और वे आज रविवार से अपने अपने विधानसभा क्षेत्र का दौरा शुरू करेंगी। एक सप्ताह बाद वे अपनी रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को देंगी। अपने संगठनात्मक तंत्र को कैसे सक्रिय किया जाए यह कोई भाजपा से सीखे। उसने ऐसा कई बार कर दिखाया और इसके बलबूते पर वह बाजी भी पलट देती है। वह अब भी चुनावी बाजी जीतने के लिए सियासी बाजी पलटने की ही कोशिश में है और अपनी चुनावी रणनीति में यह नया नवाचार किया है।
भाजपा ने मध्य प्रदेश के लिए कुछ प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है। ये प्रत्याशी ऐसी सीटों पर घोषित किए गए हैं जहां वह सबसे कमजोर है। जो सीटें उसके पास नहीं हैं, जहां कांग्रेस का दबदबा है। इसी चुनाव रणनीति को धार देने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता व गृह मंत्री अमित शाह आज मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं, जहां वह पहले भोपाल में शिवराज सिंह चौहान सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी करेंगे और बाद में ग्वालियर में प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बैठक लेंगे। भाजपा ने मध्य प्रदेश में बिहार, यूपी, गुजरात और महाराष्ट्र के विधायकों को चुनावी आकलन के लिए मैदान में उतारा है। यानी 230 सीटे और उतने ही विधायक। शनिवार को इनको गुरु मंत्र दे दिया गया कि जमीनी स्तर पर उनको क्या करना है। इसी तरह राजस्थान की 200 सीटों पर उत्तर प्रदेश, गुजरात व हरियाणा समेत छह राज्यों से आए विधायकों को मैदान में उतारा है। वे 26 अगस्त तक अपने अपने जिम्मे में आए राजस्थान के विधानसभा क्षेत्र का दौरा करेंगे और मतदाता मूड टटोलेंगे। वे क्षेत्र के जातिगत समीकरण, टिकट के दावेदारों की क्षेत्र पर पकड़ और उनकी पैठ के बारे में जमीनी स्तर पर जानकारी लेंगे।
दोनों ही राज्यों में ये विधायक समूह अपने प्रवास के दौरान पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों और मतदाताओं से बातचीत करेंगे। दूसरे राज्यों से आए विधायक भाजपा के बूथ कार्यकर्ताओं, पन्ना प्रमुख और शक्ति केंद्र प्रभारियों से चर्चा करेंगे। साथ ही वे अपने राज्यों हुए कार्यों के माॅडल को भी बताएंगे ताकि स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता उन्हें मतदाता तक पहुंचा सकें। इन दोनों ही राज्यों में भाजपा के सामने कांग्रेस की कड़ी चुनौती है। राजस्थान में कांग्रेस सत्तारूढ है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अनेक लोकलुभावन व जनोपयोगी घोषणाएं कर और सरकार के स्तर पर कदम उठाकर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने में जुटे हैं तो मध्य प्रदेश में सत्तारूढ होने के बावजूद भाजपा के सामने कांग्रेस की कड़ी चुनौती है। पार्टी ग्वालियर चंबल क्षेत्र में विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। शनिवार को मध्य प्रदेश में भाजपा को तब बड़ा झटका लगा जब पार्टी के नेता समंदर पटेल कांग्रेस में शामिल हो गए। पटेल ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाते थे और वह कांग्रेस से ही भाजपा में आए थे। लेकिन उन्होंने वापस कांग्रेस में लौटने की राह पकड़ ली। ऐसे में भाजपा चाहेगी कि चुनाव से पहले उसे इस तरह के कोई और झटके नहीं झलेने पड़ें।

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