आंखो देखीः कारवां जुड़ा और ऐतिहासिक मंदिर का हो गया जीर्णोद्धार

-देवेन्द्र कुमार शर्मा-

देवेन्द्र कुमार शर्मा

करीब पांच साल पुरानी बात है, कोटा शहर के पास नादर्न बाईपास पर चम्बल नदी का पुल बन रहा था। मैं घूमता हुआ चम्बल के उस पार निकल गया। वहां सड़क की बाईं और जंगल में मुझे एक पुराना मंदिर दिखाई दिया। मैं रास्ता ढूंढता हुआ उस मंदिर पर पहुँच गया। यह पुराना मंदिर गामछ गाँव के बाहर स्थित था जिस में एक छोटा सा शिवलिंग स्थापित था।

mandir old
मैंने उत्सुकतावश जब गाँव वालों से इस मंदिर के बारे में बातचीत की तो पता चला कि वर्षों पहले इस मंदिर में स्थापित चारभुजा नाथ या विष्णु भगवान की मूर्ति को गामछ गाँव में स्थापित कर दिया गया था। इसका कारण यह था कि चम्बल नदी हर साल बाढ़ आने की वजह से मंदिर के चारों ओर पानी भर जाता था।

jagatnaraiyan ji
इतिहासकार जगतनारायण जी एवं ए एच जैदी मंदिर का निरीक्षण करते हुए। फाइल फोटो

मेरी इस मंदिर के बारे में उत्सुकता बढी तो हाडोती के लब्ध प्रतिष्ठित इतिहासकार डॉ जगत नारायण और नेचर प्रमोटर तथा नामचीन फोटोग्राफर ए एच जैदी को लेकर यहां आया। तब जगत नारायण जी ने जांच पडताल के बाद बताया कि यह मंदिर तीन से चार सौ वर्ष पुराना हो सकता है।

murti
गामछ के पुराने मंदिर से हटा कर ये मूर्ति गांव में बनाए गए मंदिर में स्थापित कर दी गई थी

रेलवे से रिटायर, मेरे परिचित पंडित रमन उपाध्याय का आध्यात्म में विशेष झुकाव है। उनकी निगाह इस मंदिर पर पड़ी। उन्हें इस मंदिर पर आकर किसी अदृश्य शक्ति का आभास हुआ। इसके बाद वह प्रायः यहाँ चले आते और घंटों तक बैठ कर ध्यान करते। इसके बाद उन्होंने मंदिर के जीर्णाेद्धार का संकल्प लिया। उन्होंने अपने पैसों से मंदिर की मरम्मत और पुनर्निमाण का काम शुरू करा दिया। उनकी लगन और निष्ठा देखकर इस कार्य में और लोगों ने भी अपना सहयोग दिया।

shivling

इन लोगों के प्रयास रंग लाए और गत 8 दिसम्बर को मंदिर में भगवान लक्ष्मी नारायण के विग्रह की विधिवत स्थापना कर दी गई। इस समारोह में सभी ग्रामवासियों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। हालांकि अभी मंदिर तक पहुँचने का मार्ग कच्चा और धूल भरा है लेकिन आशा है सभी के सहयोग से यह रास्ता शीघ्र ही पक्का बन जाएगा।

mandir old1
ाजब मैने पहली बार 2017/18 में इस मंदिर को देखा था तब गांव के बुजुर्ग बताते थे कि चंबल पर बैराज बनाने से पहले यहां बाढ़ बहुत आती थी। अब भी कई बार मंदिर के आसपास खेतों में चंबल का पानी आ जाता है। गांव पहले मंदिर के आसपास बसा था लेकिन बाढ़ का पानी आ जाता था। इस समस्या से निजात पाने के लिए गांव वालों ने अपने मकान ऊपर शिफ्ट कर लिए। मंदिर के अंदर भगवान चार भुजानाथ का जो विग्रह था उसे गांव के अंदर नया मंदिर बना कर स्थापित कर दिया।

(लेखक रेलवे के सेवानिवृत अधिकारी हैं और पर्यावरणए वन्य जीव एवं पक्षियों के अध्ययन के क्षेत्र में कार्यरत हैं)

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
D K Sharma
D K Sharma
2 years ago

मंदिर में भगवान लक्ष्मी नारायण की सुंदर मूर्ति स्थापित कर दी गई है।