
-महाराष्ट्र के चुनावी घमासान में सतपाल मलिक की एंट्री
-द ओपिनियन-
महाराष्ट्र में अभी चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई है, लेकिन वहां सियासी घमासान दिन प्रतिदिन तेज होता जा रहा है। इस सियासी घटनाक्रम के बीच रविवार को एक अहम घटना हुई जब जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सतपाल मलिक ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकत की और विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के लिए प्रचार करने की इच्छा व्यक्त की। मलिक की पीएम मोदी व भाजपा से नाराजगी जगजाहिर है। वह किसान आंदोलन और किसानों को लेकर कई बार भाजपा के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। हालांकि महाराष्ट्र मलिक का प्रभाव क्षेत्र नहीं है, जहां वह चुनावी उलटफेर कर सकें लेकिन वह भाजपा व उसके सहयोगी दलों के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। उनकी छवि एक ईमानदार नेता की रही है। मलिक ने उद्धव ठाकरे को जीत का मंत्र भी बताया- समायोजन और एकजुटता। उन्होंने कहा कि यदि यह दोनों चीजे रहेंगी तो विपक्षी गठबंधन की चुनावी जीत की राह आसान हो जाएगी। उन्होंने ठाकरे को आश्वस्त किया कि वह महाराष्ट्र में अगामी विधानसभा चुनाव में विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के लिए प्रचार करेंगे। उन्होंने तो यहां तक दावा भी किया कि नवंबर में होने वाले संभावित विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा का सफाया हो जाएगा। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मलिक के पास क्या कोई ऐसा गणित है कि वह आपस में खींचतान में उलझे विपक्ष को समायोजन व एकजुटता के लिए राजी कर सकें। लगता है मलिक अब अपनी नाराजगी महाराष्ट्र में निकालेंगे।
लेकिन फिलहाल महाराष्ट्र की राजनीति में जो कमी है, वह है समायोजन व एकजुटता की। फिलहाल महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति और विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) दोनों अंदरूनी खींचतान में उलझे हुए हैं। हर पार्टी को लगता है कि अगला सीएम उसका हो। विपक्षी गठबंधन एमवीए में उद्धव ठाकरे लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि चुनाव से पहले सीएम फेस घोषित किया जाए। हालांकि वह अब खुद के नाम पर जोर न देकर सिर्फ यह कह रहे हैं कि सीएम फेस घोषित कर दिया जाए। वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन में सीएम पद के संभावित दावेदारों में सीएम एकनाथ शिंदे व भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस मुख्य दावेदार हैं। हालांकि राकांपा (अजित गुट) के प्रमुख अजित पवार भी अपनी महत्वाकांक्षा को छुपाते नहीं है और कहते हैं कि वह भी सीएम बनना चहते हैं लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आपके पास जरूरी बहुमत हो। बहुमत के बिना कोई भी व्यक्ति सीएम नहीं बन सकता है। अजित पवार का यह कहना सही है। लेकिन यहां सवाल यह है कि बहुमत आए तो कैसे आए। हर पार्टी की अपनी सीमा और प्रभाव है। एक अकेली कोई भी पार्टी इस स्थिति में नहीं है कि वह अपने बूते पर बहुमत हासिल कर ले। इसलिए हर दल के लिए किसी न किसी गठबंधन में रहना जरूरी है। चुनाव आयोग अगले कुछ दिनों में महाराष्ट्र और झारखंड का दौरा करने वाला है। उसकी टीम पहले महाराष्ट्र व बाद में झारखंड जाएगी। इसके बाद चुनाव की तिथि घोषित की जाएगी। उम्मीद है कि नवंबर तक चुनाव हो जाएंगे
कौन किस गठबंधन में
महाराष्ट्र में 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए नवंबर में चुनाव होने की संभावना है। राज्य में सत्तारूढ़ महायुति में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना, भाजपा और अजित पवार नीत राकांपा शामिल है। वहीं, विपक्षी एमवीए में शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और शरद पवार नीत राकांपा शामिल हैं।