
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान में कोटा संभाग की वर्तमान में सबसे बड़ी और किसानों की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वाकांक्षी बारां जिले में परवन नदी पर निर्माणाधीन 7355 करोड रुपए की लागत से निर्माणाधीन परवन वृहद सिंचाई परियोजना में लगातार हो रही देरी किसानों की चिंता बढ़ा रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री के रूप में पिछले दूसरे कार्यकाल के समय हाडोती संभाग की इस वृहद परवन सिंचाई परियोजना का शिलान्यास किया गया था तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस परियोजना को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को समर्पित किया था लेकिन बाद में राज्य में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बनी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने इसका नाम वृहद परवन सिंचाई परियोजना रख दिया।
काम की मंथर गति
बहरहाल पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से इस महत्वाकांक्षी परियोजना का काम चल रहा है लेकिन काम आधा पूरा होने के आसपास भी नहीं पहुंच पाया है जबकि इस बांध परियोजना से डूब में आने वाले गांवो के हजारों किसान परिवारों को मुआवजा देने या अन्यत्र बसाने सहित केंद्र सरकार की पर्यावरण स्वीकृति संबंधित सभी औपचारिकताये बरसों पहले ही पूरी हो चुकी हैं और किसी भी तरह की बाधा नहीं होने के बावजूद काम की मंथर गति लगातार परियोजना को विलंबित कर रही है। हालांकि इस बीच करीब साढे तीन महीनों पहले परियोजना में 700 करोड रुपए के बड़े घोटाले का मामला भी सामने आया और तीन बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करके राज्य सरकार ने मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता को हटाया भी लेकिन इसी सरकार ने कुछ समय बाद फिर न केवल उन अधिकारियों को बहाल किया बल्कि वापस इसी परियोजना में काम की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई।
करीब दो लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी
परवन वृहद सिंचाई परियोजना हाडोती अंचल के किसानों के लिए इस मायने में भी काफी अहम और महत्वकांक्षी है कि इससे अंचल के बारां, झालावाड़ और कोटा जिले की करीब दो लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी। इन जिलों में सिंचित होने वाले क्षेत्रों में से ज्यादातर को पहले ही तकनीकी तौर पर ‘डार्क जोन’ यानी भूमिगत जल स्तर काफी नीचे चले जाने वाला क्षेत्र घोषित किया जा चुका है। इसलिए भूमिगत जल समाप्ति के कगार पर पहुंच जाने के कारण यह परियोजना पूरा होने हो जाने के बाद कई हजार किसान परिवारों के लिए यह परियोजना वरदान साबित होने वाली है।
इसके अतिरिक्त यह परियोजना न केवल दो लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई के लिए पानी की जरूरतों को पूरा करेगी बल्कि इस परियोजना क्षेत्र में आने वाले गांवो के रहवासियों के कंठ की प्यास भी बुझायेगी। इनमें से बारां और झालावाड़ जिलों में तो ऐसे गांवों की फेहरिस्त काफी लंबी है जहां भूमिगत जल स्तर इतना गहरे चला गया है कि वहां पीने के लिए कुएं तो क्या 400 से 500 फीट गहरे तक के ट्यूबवेल से भी पानी नहीं मिल पाता। सरकारी स्तर पर खोदे गए सार्वजनिक महत्व के हैंडपंप तो ज्यादातर गांव में बरसों पहले ही जवाब दे चुके हैं।
कार्य पूरा होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे
इस परियोजना से न केवल किसानों को सिंचाई और पीने के लिए पानी मिलेगा बल्कि बारां जिले में कवाई, छबड़ा और झालावाड़ जिले में कालीसिंध जैसी कुछ निजी-सरकारी बिजली उत्पादक कंपनियों को भी पानी उनकी जरूरत के मुताबिक उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है। सात हजार 355 करोड रुपए की इस परियोजना के तहत अकावद गांव के पास हाडोती संभाग की प्रमुख नदियों में शामिल परवन पर दो पहाड़ों के बीच 38 मीटर की ऊंचाई का बांध बनाया जाएगा और उसकी कई हजार किलोमीटर लंबी नहरें-वितरिकायें आदि का जाल तीनों जिलों में बिछाया जाना है। प्रस्तावना के अनुसार इस परियोजना का कार्य वर्ष 2021 में अक्टूबर माह तक पूरा किया जाना था लेकिन इसमें विलंब के मद्देनजर अगले एक साल तक इसका कार्य पूरा होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि परियोजना का काम अभी भी आधे से भी कहीं अधिक अधूरा पड़ा हुआ है।
(कृष्ण बलदेव हाडा वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)
परियोजनाओं को समय पर पूरा नहीं करने से आम जन को कितना न7कसान होता है, यह इसका जीत जागता उदाहरण है।