प्रभाकर जोशी की जुबानी ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की कहानी…

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पत्रकारों के प्रश्नों का जवाब देते प्रभाकर जोशी
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में स्थित आतंकियों के ठिकानों को नष्ट किया तो पाकिस्तान बैचेन हो गया। उसने ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए लेकिन हमारे डिफेंस सिस्टम ने उसके अधिकांश हमलों को विफल कर दिया। लेकिन जब हमने उन पर गोले बरसाये तो उनके पास भागने के अलावा कोई रास्ता नहीं रहा। पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा।

-शैलेश पाण्डेय-

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शैलेश पाण्डेय

भारत ने पहलगाम में आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान के आंतकी ठिकानों को निशाना बनाकर इस दुश्मन पड़ोसी देश को घुटनों पर ला दिया। भारतीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई से पाकिस्तान को न भारी भरकम नुकसान हुआ बल्कि वह युद्ध विराम के लिए भारत के सामने गिड़गिड़ाने को भी मजबूर हुआ। यह कहना था आपरेशन सिंदूर में सक्रिय भूमिका निभाने वाले कोटा के जांबाज प्रभाकर जोशी का। प्रभाकर जोशी हाल ही में सीमा सुरक्षा बल से डीआईजी के पद से रिटायर हुए हैं। आपरेशन सिंदूर को प्रभाकर जोशी बीएसएफ में अपने दीर्घ और सफल करियर का सबसे स्वर्णिम अवसर मानते हैं। मजबूत स्थिति में होने के बावजूद युद्धविराम पर आलोचनाओं पर उन्होंने कहा कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है। भारत को जो संदेश देना था वह सफलतापूर्वक दिया। अपने कॅरियर में फील्ड में आतंकवाद से निपटने से लेकर सीमा की सुरक्षा में व्यूहरचना बनाने तक की भूमिका निभाने वाले प्रभाकर जोशी का कहना है कि आपरेशन सिंदूर के दौरान सीमा सुरक्षा बल अग्रिम मोर्चे पर रहा इसलिए हम जानते हैं कि पाकिस्तान को कितना नुकसान हुआ है। भारत ने जो जवाबी कार्रवाई की वह हमारी सैन्य ताकत का प्रमाण है।

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प्रभाकर जोशी अपने आवास पर पत्रकारों से बीएसएफ के अपने अनुभव साझा करते हुए।

सोमवार 13 जुलाई को आर के पुरम स्थित अपने आवास पर वरिष्ठ पत्रकार धीरेन्द्र राहुल, पुरुषोत्तम पंचोली, हरिबल्लभ मेघवाल, दिनेश मामा, सावन कुमार टांक और अन्य पत्रकारों से अपने कॅरियर के बारे में चर्चा करते हुए प्रभाकर जोशी ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं जो सीमा सुरक्षा बल में रहकर उन्हें देश सेवा का मौका मिला। कोटा के लाडपुरा में अपना बचपन और कॉमर्स कॉलेज से बीकॉम की शिक्षा ग्रहण करने के बाद प्रभाकर जोशी ने सीमा सुरक्षा बल को असिस्टेंट कमांडेंट के तौर पर ज्वाइन किया। इस अवधि में उन्होंने पंजाब, असम, मेघालय, जम्मू कश्मीर तथा बाग्लादेश की सीमा पर आतंकी गतिविधियों के खिलाफ अपनी जाबांजी का प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति सम्मान समेत कई बार अपनी बहादुरी के लिए प्रशंसा पत्र प्राप्त किए। विशेषकर असम में उल्फा और बोडो उग्रवादियों तथा जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ उनके आपरेशन चर्चा में रहे। उन्होंने पंजाब और राजस्थान की सीमा पर नशीले पदार्थों के खिलाफ सफल अभियान भी चलाए और अरबों रूपए कीमत की हेरोइन जैसे प्रतिबंधित मादक पदार्थ जब्त किए। वह कोसोवो में संयुक्त राष्ट्र की ओर से शांति सेना का भी हिस्सा रहे हैं।
प्रभाकर जोशी अपने स्कूली जीवन में बाल माध्यमिक विद्यालय में पुरुषोत्तम पंचोली के शिष्य भी रहे और आज भी अपने गुरू के प्रति वही श्रद्धाभाव रखते हैं। रिटायर होने के बाद कोटा पहुंचते ही उन्होंने पुरुषोत्तम पंचोली को सबसे पहले याद किया। हालांकि पंचोली एक शिक्षक के बाद एक सफल पत्रकार और साहित्यकार का सफर पूरा कर चुके हैं लेकिन प्रभाकर की नजर में वह आज भी उनके गुरू ही हैं। वह पंचोली जी के कहने पर ही पत्रकारों से रूबरू हुए और अपने जीवन के उन पहलुओं को भी उजागर किया जिनसे आमतौर पर सैन्य बलों से जुड़े लोग दूर रहने का प्रयास करते हैं।
पत्रकारों से चर्चा के दौरान भी वह आतंकियों के खिलाफ अपने सफल आपरेशन के लिए रणननीति और अपनी बहादुरी के बजाय बार बार ईश्वर का ही आभार व्यक्त करते रहे। वह असम और जम्मू कश्मीर में कई बार आतंकियों के खिलाफ अभियानों में क्रास फायरिंग और यहां तक कि ग्रेनेड और लैंड माइन के हमलों की चपेट में भी आए लेकिन हर बार इतने ही घायल हुए कि तुरंत संभलने के बाद अपने हमलावरों को मौत की नींद सुलाने में सफल हुए। इन हमलों में बाल-बाल बचने पर भी वह यही कहते रहे कि मुझ पर ईश्वर की कृपा रही। उन्होंने कई आपरेशन के उदाहरण दिए जिसमें उनके कई साथी बुरी तरह घायल हुए या वीर गति तक को प्राप्त हो गए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ आपरेशन सिंदूर में बीएसएफ की अहम भूमिका थी। उन्होंने कहा कि जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में स्थित आतंकियों के ठिकानों को नष्ट किया तो पाकिस्तान बैचेन हो गया। उसने ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए लेकिन हमारे डिफेंस सिस्टम ने उसके अधिकांश हमलों को विफल कर दिया। लेकिन जब हमने उन पर गोले बरसाये तो उनके पास भागने के अलावा कोई रास्ता नहीं रहा। पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा। जहां तक आतंकी ठिकानों पर हमलों का सवाल है आपने आतंकियों के परिजनों को बिलखते टीवी पर देखा होगा। उन्होंने कहा कि यही कारण रहा कि पाकिस्तान ने हमारे डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल मिलटी आपरेशन्स) से युद्ध विराम की गुहार लगा दी। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम कराने के दावे को नजर अंदाज करते हुए प्रभाकर जोशी ने कहा कि भारत की नीति है कि हमें तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं है। इसलिए कौन क्या दावा करता है इस पर बहस ही बेमानी है।  प्रभाकर जोशी से हुई बातचीत के वीडियो संलग्न हैं। इनके माध्यम से उनके सुरक्षा बल में दीर्घ और सुनहरे कॅरियर को उनकी जुबानी सुना और समझा जा सकता है…

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