
-शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने से सरकार पर बरसा विपक्ष
-द ओपिनियन-
महाराष्ट्र में अक्टूबर नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तिथियों की अभी घोषणा होने वाली है लेकिन राज्य की राजनीति अभी से गरमाई हुई है। सियासी हमलों व वार प्रतिवार को बोलबाला है। राज्य में ताजा सियासत में उबाल पिछले दिनों सिंधुदुर्ग के राजकोट किले में स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने की वजह से आया है। इसके बाद से राज्य में सत्तारूढ़ महायुति सरकार विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाडी के निशाने पर है। महाराष्ट्र में आज रविवार को विपक्षी गठबंधन एमवीए की ओर से सरकार के खिलाफ जूते मारो मार्च निकाला गया । हालांकि शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार महाराष्ट्र के लोगों से माफी मांग चुके हैं। पीएम मोदी शुक्रवार को महाराष्ट्र के दौरे पर थे। इस दौरान बढावण पोर्ट का शिलान्यास किया था। इसी मौके पर पीएम मोदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को अपना आराध्य बताते हुए माफी मांगी थी। लेकिन चुनाव नजदीक हैं , इसलिए लोग राज्य में सियासी उबाल बनाए हुए हैं। प्रतिमा गिरने के विरोध में विपक्ष की ओर से रविवार को दक्षिण मुंबई के हुतात्मा चौक से ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ तक मार्च निकाला गया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) सुप्रीमो शरद पवार, शिवसेना ( यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे, कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख नाना पटोले और पार्टी की मुंबई इकाई की प्रमुख वर्षा गायकवाड़ ने हुतात्मा चौक पर पुष्पांजलि अर्पित कर विरोध मार्च की शुरुआत की।
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि हालांकि प्रत्यक्ष में यह आंदोलन शिवाजी की प्रतिमा गिरने के विरोध में है, लेकिन इसके निशाने पर अगामी विधानसभा चुनाव हैं और विपक्ष ऐसे में लोगों के दिलों को छूने वाले मुद्दों को कैसे छोड़ दे। प्रतिमा गिरने के बाद से ही उद्धव ठाकरे भ्रष्टाचार को लेकर शिंदे सरकार को घेर रहे हैं और सीएम शिंदे पर जमकर प्रहार कर रहे हैं। शिंदे की वजह से उद्धव की सरकार गिर गई थी और बाद में राज्य का राजनीतिक परिदृश्य बदल गया। शिवसेना के बाद राकांपा में टूट हो गई थी। बाद में अजित पवार नीत राकांपा का गुट भाजपा के साथ चला गया। इसलिए अजित पवार भी विपक्षी गठबंधन के निशाने पर हैं। विपक्ष सत्तारूढ गठबंधन पर शिवाजी का अपमान करने का आरोप लगा रहा है। इससे महायुति सरकार पर सियासी दबाव बढ़ रहा है। मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर सरकार पहले से ही विपक्षी के तेवरों को झेल रही है। मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल द्वारा बार-बार निशाने पर लिए जाने को लेकर फडणवीस बयान भी दे चुके हैं। दरअसल विपक्ष चुनाव से पहले एक बडा आंदोलन खडा करना चाहता है जिसमें सत्तारूढ गठबंधन को कठघरे में खड़ा किया जा सके। इसकी वजह लोकसभा चुनाव में एमवीए में शामिल दलों को मिली सफलता है। इससे उनको लगता है कि वे सत्ता में वापसी कर सकते हैं। इसलिए बार-बार वे सीएम शिंदे के साथ साथ पीएम मोदी को भी निशाना बना रहे हैं। लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति को कुल 48 सीटों में से 17 सीटें मिली थी। बीजेपी ने 9, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 7 और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 1 सीट जीती। दूसरी ओर एमवीए 30 सीटें जीतीं, जिसमें कांग्रेस ने 13 सीटें, शिवसेना (यूबीटी) ने 9 सीटें और शरद पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट ने 8 सीटें जीतीं। इससे एमवीए का आत्मविश्वास बढ़ गया है और वे सरकार को घेरने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।