कांग्रेस: संदीप सिंह मतलब सत्ता और संगठन में पद पक्का !

-देवेंद्र यादव-

छात्र नेता संदीप सिंह 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से चर्चा में आए थे। श्रीमती प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप शुक्रवार 30 अगस्त को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के द्वारा जारी की गई सेक्रेटरी और जॉइंट सेक्रेटरी की जंबो लिस्ट के बाद फिर एक बार सुर्खियों में है।
सूची में कुछ नाम ऐसे हैं कि जो संदीप सिंह की वजह से शामिल हुए हैं। यह कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति से वाकिफ लोग अच्छी तरह समझते हैं। सवाल यह है कि क्या कांग्रेस के भीतर संदीप सिंह का मतलब सत्ता और संगठन में पद मिलने की गारंटी है।
स्वर्गीय राजीव गांधी के जमाने में बी जार्ज और श्रीमती सोनिया गांधी के जमाने में अहमद पटेल पार्टी में प्रभावशाली हुआ करते थे। कांग्रेसियों के जेहन में यह बात कौंध रही है कि क्या संदीप सिंह भी ऐसे प्रभावशाली बनने की राह पर हैं।
राजस्थान में अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की कुर्सी को बचाए रखने में संदीप सिंह की प्रमुख भूमिका थी। यह बात अलग है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान और छत्तीसगढ़ से कांग्रेस का सफाया हो गया। इन दोनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता में वापसी कर ली।
राजस्थान और छत्तीसगढ़ दोनों ही राज्यों में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर पार्टी के अंदर विवाद था। राजस्थान में अशोक गहलोत को सचिन पायलट तो छत्तीसगढ़ में सिंह देव भूपेश बघेल को चुनौती दे रहे थे। मगर अशोक गहलोत और भूपेश बघेल ने अपनी सरकार के 5 साल पूरे किए।
जहां इन दोनों ही नेताओं से राहुल गांधी की नाराजगी की खबरें थीं वही प्रियंका गांधी दोनों नेताओं के पक्ष में थीं। इसमें प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह की भूमिका समझी जा रही थी।
2024 के लोकसभा चुनाव में अमेठी और रायबरेली के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पहली बार ऐसा देखा जब दो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भूपेश बघेल को लोकसभा चुनाव का मुख्य प्रभारी लगाया गया।
रायबरेली और अमेठी लोकसभा चुनाव की कमान श्रीमती प्रियंका गांधी ने अपने हाथों में ले रखी थी। ऐसे में स्वाभाविक था कि अशोक गहलोत और भूपेश बघेल को प्रभारी लगाने में बड़ी भूमिका संदीप सिंह की होगी।
संदीप सिंह उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को फिर से खड़ा करना चाहते हैं, यह झलक कांग्रेस की सेक्रेटरी और जॉइंट सेक्रेटरी की लिस्ट में देखने को मिली। रायबरेली के साधारण नेता सुशील पासी को कांग्रेस का राष्ट्रीय सचिव बनाया। लंबे समय से उत्तर प्रदेश से यादव चेहरा कांग्रेस में बड़े पद पर नहीं था। संदीप सिंह ने आईसीसी में उत्तर प्रदेश के युवा यादव नेता को भी जगह दिलाई।
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भले ही संदीप सिंह से नाराज हैं मगर संदीप सिंह उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के भीतर ऊर्जावान निष्ठावान और वफादार कार्यकर्ताओं की टीम तैयार करने में जुटे हुए हैं। हालांकि उन्हें आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है मगर राजनीति में आलोचना उसी की होती है जिसमें दम होती है और संदीप सिंह अपनी दम दिखाने में जुटे हुए हैं।
संदीप सिंह ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की कमजोर नस को पकड़ा है। उत्तर प्रदेश में लंबे समय से चुनिंदा नेता ही खास पदों पर बैठे हुए हैं, और कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 4 दशक से भी अधिक समय से सत्ता से बाहर है। कांग्रेस को मजबूत स्थिति में कैसे लाएं इस पर प्रियंका गांधी की टीम संदीप सिंह की अगुवाई में काम करती नजर आ रही है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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