
-मनु वाशिष्ठ-

शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर

उज्जैन में दो शक्तिपीठ माने गए हैं, प्रथम #हरसिद्धि माता और दूसरा #गढ़कालिका माता शक्तिपीठ। कहते हैं कि उज्जैन में क्षिप्रा नदी के पास स्थित भैरव पर्वत पर मां भगवती सती के ओष्ठ गिरे थे। और जहां मां सती की कोहनी गिरी थी वहां हरसिद्धि मंदिर है। हरसिद्धि मंदिर, सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य कुल देवी मानी जाती हैं। हरसिद्धि शक्ति पीठ को इक्यावन शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में इक्यावन फीट ऊंचे दो दीप स्तंभ हैं, जिन पर चढ़कर ११०० दीपक प्रज्वलित किए जाते हैं। इन दोनों मंदिरों को ही शक्तिपीठ माना जाता है। पुराणों में भी इन मंदिरों का उल्लेख मिलता है।

शक्तिपीठ गढ़कालिका देवी
गढ़कालिका देवी को महाकवि कालिदास की आराध्य देवी माना जाता है, उनकी कृपा से ही उनको विद्वता प्राप्त हुई थी। तांत्रिक अनुष्ठान, साधना, धार्मिक क्रिया कलापों के दृष्टिकोण से यह एक सिद्धपीठ है। तथा शक्तिपीठों में इसका छठा स्थान है।

भैरव मंदिर
भैरव बाबा यहां साक्षात विराजते हैं। कहते हैं यहां भैरव बाबा को मदिरा चढ़ाई जाती है। यह कब रिवाज बन गया, और चढ़ाई गई मदिरा जाती कहां है कोई नहीं जानता। इस तरह का मंदिर विश्व में यह अकेला ही है। काल भैरव का मंदिर लगभग छः हजार साल पुराना है। यहां पर दीप स्तंभ है। यह स्थान तांत्रिक साधना हेतु सिद्ध माना जाता है।
श्री मंगलनाथ मंदिर __ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मंगल ग्रह की जन्म भूमि यहीं है। यहां पर शिवलिंग रुप में ही मंगल भगवान और मां भूमि की पूजा होती है। मंगल ग्रह को भूमि पुत्र कहा जाता है। मंगल ग्रह की शांति, शिव कृपा, वाहन, भूमि, धन लाभ, ऋणमुक्ति आदि सुख की प्राप्ति के लिए श्री मंगलनाथ जी की पूजा उपासना की जाती है। देश विदेश से लोग मंगल दोष निवारण के लिए यहां पर पूजा अर्चना के लिए आते हैं। ज्योतिष एवं खगोल विज्ञान की दृष्टि से यह स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है, माना जाता है कि यह स्थान पृथ्वी का नाभि केन्द्र (मध्य) है।

राजा भर्तृहरि की गुफाएं
संपूर्ण उज्जैन नगरी कई सिद्ध संतों, भगवानों की तपोभूमि रही है। गढ़कालिका क्षेत्र में गुरू गोरखनाथ जी के गुरू मत्स्येंद्रनाथ का सिद्ध समाधि स्थल है, यह #नाथ संप्रदाय से संबंधित है। किवंदती के अनुसार इस गुफा से चारों धाम की ओर जाने के रास्ते थे, जो आजकल बंद है। भर्तृहरि गुफा की व्यवस्था नाथ संप्रदाय के साधुगण देखते हैं। यहां दो गुफाएं हैं, जिनके अंदर जा कर देख सकते हैं। लेकिन घुटन (suffocation) बहुत है, थोड़ा रिस्की है। भीड़ अगर अधिक हो, और अंदर कुछ हादसा हो जाए तो इसकी कोई व्यवस्था नहीं है। गुफा में विक्रमादित्य के भाई भृतहरि ने तपस्या की थी। एक श्रुति कथा के अनुसार #अत्रि मुनि ने भी उज्जैन में तीन हजार साल तक तप किया था। भगवान #महावीर स्वामी ने भी यहां विहार किया था।

नगरकोट की रानी
उज्जैन नगरी के प्राचीन कच्चे परकोटे पर स्थित पुरातन काल से दक्षिण पश्चिम कोने की सुरक्षा देवी हैं। राजा विक्रमादित्य और राजा भर्तृहरि की अनेक कथाएं इस स्थान से संबंधित हैं। यह नाथ संप्रदाय से जुड़ा स्थान है। मंदिर के सामने एक कुंड है।
मोक्षदायिनी क्षिप्रा
इसे मालवा क्षेत्र की गंगा कहा जाता है, क्षिप्रा नदी के किनारे बहुत सारे मंदिर और सुंदर घाट बने हुए हैं, लेकिन यहां पर रामघाट मुख्य है, माना जाता है कि भगवान राम ने भी यहां अपने पिता का श्राद्ध कर्म किया था। रोज शाम को तट पर आरती होती है। कुंभ के चार स्थानों में से एक क्षिप्रा नदी है, जहां अमृत कलश से अमृत की बूंदें छलक कर गिरी थी। इसीलिए हर बारह वर्ष बाद क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित उज्जैन नगरी में कुंभ मेले का आयोजन होता है, जिसे सिंहस्थ कहते हैं। महाकाल से संबंधित एक भजन _
बाबा भोलेनाथ है हमारा, तुम्हारा।
महाकाल की इस नगरी में हो उद्धार हमारा बाबा भोलेनाथ है हमारा, तुम्हारा …
महाकाल की इस नगरी में पाऊं जन्म दोबारा
बाबा भोलेनाथ है हमारा तुम्हारा…
इस नगरी के कंकर पत्थर हम बन जाएं
भक्त हमारे ऊपर, चढ़कर मंदिर जाएं
संतजनों के पैर पड़ें तो हो उद्धार हमारा
बाबा भोलेनाथ है हमारा तुम्हारा …
जब भी तन मैं त्यागूं, त्यागूं क्षिप्रा तट पर
इतना करना स्वामी, और मरूं मरघट पर
मेरे तन की भस्म चढ़े, हो श्रृंगार तुम्हारा
बाबा भोलेनाथ है हमारा तुम्हारा …

सिद्धवट
सिद्धवट को चार प्राचीन और प्रमुख पवित्र वटों में से एक माना गया है। धार्मिक ग्रंथों में अक्षयवट प्रयागराज में, वंशीवट मथुरा वृंदावन में, गया में बौद्धवट या गयावट और उज्जैन में सिद्धवट का वर्णन है। इतना कुछ है महाकाल की नगरी, चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य की धार्मिक नगरी उज्जैन में कि समय की हमेशा कमी खलती है।
चिंतामण गणेश, चिंता हरण गणेश, रुद्र सागर, नवग्रह शनि मंदिर, संदीपनी आश्रम जहां भगवान कृष्ण, बलराम, सुदामा ने शिक्षा प्राप्त की थी, रामघाट और भी कई विशेष दर्शनीय स्थल हैं। जो कि भगवान राम और कृष्ण बलराम से संबंधित कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। समयाभाव के कारण सभी स्थल पर जाना मुमकिन नहीं था लेकिन लोकल गाइड (ऑटो रिक्शा चालक) ने हमें बहुत कुछ जानकारियां दीं। एक सरकारी दुकान (एम पी क्राफ्ट कॉटेज इंडस्ट्री) जहां #कैदियों द्वारा बनाई गई सामग्री उचित मूल्य पर उपलब्ध थी। धातु निर्मित मूर्तियां, शो पीस, चालीस ग्राम वजन की साड़ी, नारियल रेशे की साड़ी, धतूरे की साड़ी, और न जाने क्या क्या, कितना सही है कहना मुश्किल फिर भी हमने भी साड़ी, दुपट्टे, टी शर्ट वगैरह खरीदे। समय और शरीर दोनों ही ज्यादा घूमने की इजाजत नहीं दे रहे थे। इस तरह डेढ़ दिन की अल्प अवधि में एक एक पल का भरपूर आनंद उठाया, और वापिसी के लिए चल दिए।

__ मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान

















