यात्रा संस्मरणः भारत मेरी मां का नाम तो मौसी का नाम नेपाल

योगियों के लिए, भोगियों के लिए, घुमंतुओं के लिए, युवाओं के लिए, प्रकृति प्रेमियों के लिए सबके लिए नेपाल अच्छी जगह है। ध्यान करते भी कई लोग दिख जाते हैं। #पशुपतिनाथ मंदिर के पीछे ही #बागमती नदी बहती है, जहां सायं आरती बनारस की गंगा आरती की याद दिलाती है। हालांकि आरती उतनी भव्य नहीं थी, एक ओर आरती तो दूसरी ओर घाट पर चिता जल रहीं थीं।

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-मनु वाशिष्ठ-

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मनु वशिष्ठ

#भारत मेरी मां का नाम, तो मौसी का नाम #नेपाल उचित रहेगा। जैसे मामा, मौसी, नानी के यहां जाने पर लगता है, वैसा ही स्पेशल फीलिंग। नेपाल (काठमांडू) जाने पर आपको लगेगा ही नहीं, कि आप कहीं और दूसरी भूमि पर हैं। भगवान #शिव और #हिल स्टेशन, शायद ही कोई होगा, (अन्य भी) जिसे ये आकर्षित ना करते हों। इसी आकर्षण ने हमें भी बुला ही लिया। इसी के चलते इस बार नेपाल जाने का प्रोग्राम बन गया। दिल्ली से प्रथम पड़ाव काठमांडू, पशुपति नाथ के दर्शन प्रथम मुख्य उद्देश्य, उसके बाद कुछ और। योगियों के लिए, भोगियों के लिए, घुमंतुओं के लिए, युवाओं के लिए, प्रकृति प्रेमियों के लिए सबके लिए नेपाल अच्छी जगह है। ध्यान करते भी कई लोग दिख जाते हैं। #पशुपतिनाथ मंदिर के पीछे ही #बागमती नदी बहती है, जहां सायं आरती बनारस की गंगा आरती की याद दिलाती है। हालांकि आरती उतनी भव्य नहीं थी, एक ओर आरती तो दूसरी ओर घाट पर चिता जल रहीं थीं। बाकी तो, उनकी (शिवजी) महिमा का वर्णन भला कौन कर सका है__
सात समंदर की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ।
धरती सब कागद करौं, हरि गुण लिखा न जाइ।।

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नेपाल में हिंदी प्रेम

नेपाल पहुंचने के बाद अपने गंतव्य पर पहुंचने पर होटल में रुद्राक्ष की माला पहनाकर व चंदन टीका से स्वागत! गर्म चाय, आनंद आ गया। नेपाल की सबसे अच्छी बात यहां का #हिंदीप्रेम, बाजार में सभी जगह पर हिंदी में ही लिखा हुआ, कोई सा भी व्हीकल हो दुपहिया या चौपहिया, सब पर हिंदी में ही #नंबरप्लेट। काठमांडू में स्वयंभूनाथ, बौद्धनाथ मंदिर, (बौद्ध स्तूप) महाराजा का दरबार देखने के बाद, नेपाल में #जीवितदेवी का दर्शन भी सुखदाई था। एक बार को लगा दर्शन नहीं होंगे, दौड़ते हुए समय को थामे, लेकिन प्रभु कृपा (चमत्कार) ही कहेंगे कि देवी ने दर्शन दिए। हुआ यूं कि देवी दर्शन का समय पूर्ण हो चुका था,और वे (देवी) जा चुकी थीं। लगभग सभी दर्शन कर चुके थे, लेकिन हमारी बहू थोड़ा लेट हो गई और दर्शन से चूक गई। लेकिन अंदर ही अंदर मुझे व दीदी को चाहत थी, भरोसा भी था किसी तरह दर्शन हो जाएं। उसी समय एक महात्मा, साथ में एक नेपाली भी था, हो सकता है उनका शिष्य हो, उसने गुहार लगाई, मां! दर्शन दो! और उसी समय मां ने दर्शन दिए। हो सकता है औरों के लिए यह आम बात हो, लेकिन हमें यह चमत्कारिक भी लगी, दिल को आनंद से भर गई। इस तरह बहू ने भी दर्शनलाभ प्राप्त किया।

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नेपाल के लोग बहुत ही भले एवं सहयोगी लगे

यहां बौद्ध धर्म के अनुयायी (भिक्षु) भी खूब दिख रहे थे। नेपाल के लोग बहुत ही भले एवं सहयोगी लगे, होटल में हों या बाहर भी जब हम रोड क्रॉस कर रहे होते, या कहीं भी जा रहे होते तो शिष्टाचारवश वे पहले हमें निकलने देते। यहां तक कि फोर व्हीलर भी रुक कर स्माइल के साथ, हमें निकलने देते। वहां के लोगों के शांत, सहयोगी स्वभाव के कायल हो गए। इस समय (दिसंबर) वहां चारों ओर खूब सर्दी, कोहरा है। यहां का #पोखरा हिल स्टेशन, यहां की प्राकृतिक दृश्य, गुप्तेश्वर #महादेवगुफा, सूर्योदय, सूर्यास्त, फेवा लेक पर बोटिंग, पैराग्लाइडिंग, यूथ के लिए और भी बहुत कुछ, सब कुछ मन को मोह रहा था। सुदूर हिमालय, #अन्नपूर्णा पर्वत श्रंखला, धौलगिरी पर्वतमाला पर बर्फ की चादर बिछी हुई ऊपर से सूर्य की किरणें गिरती हुई, दृश्य को और भी मनमोहक बना रही थी। उसके बाद कई परिवार के सदस्यों के साथ खूब मस्ती की। यह स्थान पर्यटकों के लिए भी बहुत ही लोकप्रिय है, यहां जाते हुए मध्य रास्ते में ही #मनकामना मंदिर, एक सिद्ध #शक्तिपीठ है, पर्यटकों के लिए केबल कार द्वारा ऊपर पहुंचने की व्यवस्था और उसमें से नीचे बहती नदी, बादल, धुंध को देखना मन को अभिभूत कर देता है।

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बादलों के ऊपर सफर

रोप वे का निर्माण चाइना की कंपनी ने किया था, एक बार को तो डर ही बैठ गया कहीं कुछ गलत ना हो जाए, लेकिन बहुत ही तेज रफ्तार से मात्र पंद्रह बीस मिनट में केवल कार द्वारा निचले स्टेशन #कुरिन्तर से ऊपर तक पहुंचने के लिए लगभग पांच सौ रू (not exact) का टिकट दोनों ओर का लेना पड़ता है। यह पंद्रह बीस मिनट का सफर बादलों के ऊपर, नीचे बहती हुई नदी, बहुत ही रोमांचक दृश्य था। ऊपर पहुंचने पर चौड़ी सीढ़ियां चढ़ते हुए मंदिर तक पहुंचना था। वहां पहुंचने पर दर्शन के लिए इतनी लंबी लाइन कि जहां तक निगाह जा सकती थी, वहां तक चढ़ाई+ लाइन जबकि मंदिर पास में ही था, हारकर मंदिर के बाहर से ही दर्शन कर आगे बढ़ते हुए सायं 7:00 बजे तक पोखरा पहुंचना हुआ।
पोखरा पहुंचने के बाद अगले दिन सुबह ही सारंगकोट के लिए जल्दी ही निकलना होता है। पांच, छः किमी की दूरी तय करने में लगभग 45 मिनट का समय लग जाता है, यहां पर सनराइज एवं सनसेट, #विंध्वासिनी देवी मंदिर, देखने के लिए सभी पहुंचते हैं। यहां का उच्चतम व्यूप्वाइंट 5500 फीट की ऊंचाई पर एक रमणीक स्थल है, जहां से हिमालय की बर्फीली चोटियां, प्राकृतिक सौंदर्य, जादुई फोटोग्राफी के लिए यह पॉइंट बहुत ही सुंदर जगह दिखती है, यहां पर ही एडवेंचरस पैराग्लाइडिंग इत्यादि भी करते हैं। मौसम की मार से हम भी नहीं बच सके, और सूर्योदय नहीं देख पाए। लेकिन ये मौसम कई बार आपकी #फ्लाइट भी मिस करवा देता है, बहुत ही रोमांचक भी, अनायास ही प्रभु स्मरण हो आता है।

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सेती नदी का पानी देखने में दूधिया

पोखरा के नजदीक ही #सेती नदी बहती है, इस नदी का सारा पानी देखने में दूधिया दिखता है, लेकिन हाथ में लेकर देखने में बिल्कुल साफ, शायद पानी में चूने की अधिकता या कुछ और कारण हो सकता है, हमने पी कर भी देखा। इसी में 5000 साल पुरानी #गुप्तेश्वर महादेव गुफा डेविस फॉल से गुफा के अंदर जाना रोमांचकारी था, इसके अंदर भी एक झरना बह रहा था, जो कि सड़क की दूसरी और ऊंचाई से गिरने वाले डेविस फॉल ही था, जैसा कि लोगों ने बताया और नीचे जाने पर यहां गुफा में भी दिख रहा था। पोखरा घूमने के बाद अंत में शहर के अंदर ही स्थित से #फेवा झील भी कम आकर्षक नहीं थी, चारों और पहाड़ों से घिरा हुआ बहुत ही सुंदर कुछ-कुछ अपनी उदयपुर (राजस्थान) की #फतेहसागर झील की याद दिला रही थी। रात को पोखरा में खूब चहल-पहल, हर गली बाजार में रोशनी, रेस्टोरेंट, रिसॉर्ट में क्रिसमस #डिस्को पार्टी की धूम मची हुई थी। यहां पर गर्म कपड़े, तिब्बती सामान, रत्न भी, रेकी में काम आने वाले कई आइटम खूब बिक रहे थे। हमने भी रेकी के लिए सिंगिंग बाउल खरीदा, जिनकी कीमत भी 1000 से लेकर 30,000 तक भी थी।

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इंडियन करेंसी भी चलन में

यहां इंडियन करेंसी भी चलन में थी, इंडियन ₹100 के बदले नेपाल के ₹160 थे। लेकिन ₹100 का ही यहां पर प्रावधान है, फिर भी कहीं कोई दिक्कत नहीं थी। और भी बहुत कुछ है, यहां कई ऐसी जगह है जो अनायास ही आप का मन मोह लेंगी, कभी आ कर तो देखिए। लेकिन साथ में थोड़ा #एक्स्ट्रा समय अवश्य लेकर चलें, नहीं तो कभी कभी, ये मौसम कई बार आपकी #फ्लाइट भी मिस करवा देता है, जिससे फ्लाइट की मार झेलनी पड़ सकती है, जो शायद आपका बजट बिगाड़ दे। फिर भी नेपाल यात्रा एक रोमांचक यादगार अनुभव था।
__ मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान

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Neelam
Neelam
2 years ago

आपकी कलम में जादू है।भारत में बैठे लोगों को नेपाल से प्यार हो गया।आभार

Manu Vashistha
Manu Vashistha
Reply to  Neelam
2 years ago

हृदय से आभार ????

Sanjeev
Sanjeev
2 years ago

आपके साथ की यह यात्रा यादगार थी, आपकी लेखनी ने इसे फिर से जीवंत कर दिया । बहुत बहुत बधाई

Manu Vashistha
Manu Vashistha
Reply to  Sanjeev
2 years ago

हां भाई, फिर चलेंगे????

शैलेश
शैलेश
2 years ago

यदि आलेख की फोटो में यह बताया जाता की कहां की हैं तो और भी अच्छा लगता।

Manu Vashistha
Manu Vashistha
Reply to  शैलेश
2 years ago

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