नौरादेही वाइल्ड लाइफ सेंचुरी कई प्रकार के पक्षी जैसे बगुले, बुलबुल, इरगेट्स और तोता आदि की कई प्रजातियों के लिए जाना जाता है। यह वन क्षेत्र शुष्क पर्णपाती पेड़ों और अन्य पेड़ों से समृद्ध है जिनमें तेंदू, बीर, सेमल, साक, टीक और बेंत आदि शामिल है। हरे भरे वनस्पति और अद्वितीय वन्य जीवन के लिए भी सेंचुरी की पहचान है।
(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
शहर की भाग-दौड़ भरी रोजमर्रा की लाइफ से बचने का तरीका निकालना आज के जमाने में दुरूह कार्य है। लेकिन अगर छुट्टी मिल जाए तो यह काम मुश्किल भी नहीं है। ऐसे में जब फुरसत मिली तो परिवार सहित मध्य प्रदेश के सागर के पास स्थित नौरादेही वाइल्ड लाइफ सेंचुरी जाने का मन बना। चूंकि हमारे मकान मालिक सेवाराम मलिक (जिन्हें हम मलिक साहब कहते हैं) काफी समय से एसडीओ थे और वे कई बार आने का निमत्रंण भी दे चुके थे, तो इस बार उनका निमत्रंण स्वीकार करने का मानस बनाया और पहुंच गए सेंचुरी। साथ में थे हर दिल अजीज मित्र धीरेंद्र सिंह और उनका परिवार। इनके बारे में एक बात बता दें, इन्हें जल, जंगल और जमीन खूब पसंद है और जरा सी फुरसत मिलते ही ये जंगल की ओर निकल पड़ते हैं। नौरादेही जाने का सारा प्लान इन्ही का बनाया हुआ था।
नौरादेही वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में टाइगर के दीदार के लिए जिप्सी में सफर
कैसे पहुंचे
भोपाल से नौरादेही पहुंचने का रास्ता रहेली, सागर होकर है। यह भोपाल से करीब 200 किमी दूर है, जबकि रहेली से यह 50-60 किमी पड़ता है। अगर कोई हवाई मार्ग से आना चाहे तो निकटम हवाई अड्डा जबलपुर है, जहां से सेंचुरी करीब 180 किमी पड़ती है। सड़क मार्ग से यह सागर-रहेली-जबलपुर मार्ग पर है। ट्रेन से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन सागर है। फरवरी की गुन-गुनी धूप में हम सात लोग कार से भोपाल से नौरादेही की ओर निकल पडे़। कुल सफर चार घंटें का था तो साथ में दिन का खाना भी रख लिया गया। मौजमस्ती करते हुए रास्ते में चाय पीते हुए हम लोगों ने शाम करीब चार बजे सेंचुरी में दस्तक दे दी। चूंकि मलिक साहब से बात हो चुकी थी तो सेंचुरी स्थित रिसोर्ट में हमारे लिए कमरे पहले से बुक थे। वहां थोड़ा रूककर फ्रेश आदि से फारिग होकर हम लोगों ने चाय ली।
नौरादेही वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में हिरण का शावक के साथ
खुद निकले सेंचुरी की ओर
यह तय हुआ कि सेंचुरी की गाड़ी सुबह छह बजे हम लोगों को सेंचुरी के अंदर लेकर जाएगी, क्योंकि टाइगर महाराज के दीदार सुबह ज्यादा सुलभ और आसान होते हैं। तो हम लोगों ने तय किया कि खुद की गाड़ी से सेंचुरी का एक चक्कर लगाया जाए। इस सेंचुरी में नील गाय और जैकॉल प्रचुर संख्या में हैं। तो हर मोड़ और सड़क पर नीलगाय के दीदार होते रहे। सेंचुरी में कई तालाब हैं, इनमें से एक के किनारे हमेशा हिरणों का झुंड विचरता रहता है। उस तालाब में मगर भी बड़ी संख्या में नजर आए। सेंचुरी में ताजे पानी के कछुए, स्थलीय कछुआ मोनिटर छिपकली और ताजे पानी के मगरमच्छ और सांप शामिल हैं। पक्षियों में सबसे दुर्लभ पक्षी में से एक है स्पाटेड ग्रे क्रीपर (सालपोनिस स्पिलोनोटोस)।
अन्य महत्वपूर्ण निवासी और प्रवासी पक्षी समूहों में क्रेन, एग्रेस, लापविंग्स, गिद्ध, पतंग, उल्लू, किंगफिशर, ईगल, पैट्रिज, बटेर, कबूतर आदि भी नजर आए। चूंकि शाम गहराती जा रही थी, इसलिए हम लोग वापस रिसोर्ट लौट आए। लौटकर रिसोर्ट की ओर से उपलब्ध लजीज डिनर का आनंद लिया और तानकर सो गए। सेंचुरी में वन्य प्राणियों की इतनी अधिक संख्या है कि रात भर सियार, गीदड़ की आवाजें गूंजती रहीं। ऐसा लग रहा था कि पास के कमरे से ही आवाजें आ रही हैं।टाइगर के दीदार से चूके
टाइगर को देखने का प्रयास
सुबह होते ही नाश्ता कर करीब साढ़े छह बजे हम लोग सेंचुरी की जिप्सी से टाइगर देखने निकल पड़े। हल्की सर्दी थी, तो कुछ लोगों ने जैकेट भी धारण कर रखी थी। सेंचुरी के अंदर करीब हम लोग 60 किमी गए, लेकिन टाइगर महाराज की दर्शन नसीब न हुए, अलबत्ता उनके पगमार्ग जरूर नजर आए। एक जगह पर इशारा कर साथ चल रहे वन्यकर्मी ने बताया कि इसी जगह पर कल रात को टाइगर ने शिकार किया है। हो न हो वह, आसपास होना चाहिए। इसी क्रम में रास्ते में हमें टाइगर मूवमेंट ट्रैक करने वाली टीम मिली। जिसने बताया कि अमुक जगह टाइगर है। इन लोगों के पास सेंसर होता है जो कि टाइगर के कॉलर आईडी से जुड़ा होता है, जिसकी मदद से उन्हें टाइगर की सटीक लोकेशन मिल जाती है। टीम के इशारा करते ही हम लोग भी उनके पीछे लग दिए। करीब दो किमी दूर जाने पर टीम ने बताया कि टाइगर आसपास ही है। हम लोग उस दुर्लभ क्षण से चूकना नहीं चाहते थे, इसलिए सब लोग जीप से उतर इधर-उधर नजरें घुमाने लगे, कि शायद कहीं नजर आ जाए। टीम के पास लगातार सिग्नल आ रहे थे, लेकिन टाइगर की लोकेशन ट्रैक नहीं हो पा रही थी, थोड़ी देर में टीम के एक सदस्य ने बताया कि आगे नाले के नीचे टाइगर बैठा है, अब स्थिति यह थी कि नाले के ऊपर हम लोग खड़े और टाइगर नीचे कोने में बैठा था, लेकिन दोनों एक दूसरे को नहीं देख पा रहे थे। बेताबी बढ़ती जा रही थी, लेकिन टाइगर महाराज अपनी जगह से हिल भी नहीं रहे थे। हम लोगों ने करीब एक घंटें तक इंतजार किया, लेकिन मायूसी हाथ लगी। चूंकि लेट भी हो रहा था तो थकहार कर हम लोग सेंचुरी की अन्य साइटें देखने को निकल गए।
नौरादेही वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में घूमने का लुत्फ उठाते हुए
वन क्षेत्र शुष्क पर्णपाती पेड़ों और अन्य पेड़ों से समृद्ध
नौरादेही वाइल्ड लाइफ सेंचुरी कई प्रकार के पक्षी जैसे बगुले, बुलबुल, इरगेट्स और तोता आदि की कई प्रजातियों के लिए जाना जाता है। यह वन क्षेत्र शुष्क पर्णपाती पेड़ों और अन्य पेड़ों से समृद्ध है जिनमें तेंदू, बीर, सेमल, साक, टीक और बेंत आदि शामिल है। हरे भरे वनस्पति और अद्वितीय वन्य जीवन के लिए भी सेंचुरी की पहचान है। सेंचुरी भ्रमण कर हम लोग करीब 11 बजे लौट आए। लौटकर सबने लंच लिया और भोपाल के लिए प्रस्थान कर गए।
मित्र के इस लेख ने दिल जीत लिया।