मेघदूत में की गई महाकाल वन की कल्पना को साकार करता महाकाल कॉरिडोर

भव्यता में यह हाल ही में शुरू हुए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को भी मात करता प्रतीत होता है। महाकाल कॉरिडोर पुरानी रूद्रसागर झील के चारों ओर फैला है। मप्र के अलावा देश के अन्य हिस्सों के श्रद्धालु इस नवनिर्मित कॉरिडोर को लेकर खासे रोमांचित हैं और इसमें एंट्री को लेकर उत्सुक भी

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फोटो साभार पीएमओ के टिवटर हैंडल से

-संजीव कुमार-

संजीव कुमार

(मध्यप्रदेश में कार्यरत स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार)

महाकवि कालीदास की आत्मा भी आज सैंकड़ों वर्ष बाद महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग को देखकर खुशी महसूस कर रही होगी, जिसकी परिकल्पना उन्होंने महाकाव्य मेघदूत की रचना करते समय महाकाल वन के रूप में की थी।

पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश के 12 ज्योतिर्लिगों में शुमार उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का नया बना 900 मीटर से अधिक लंबा भव्य महाकाल कॉरिडोर के फेज वन का लोकार्पण किया। भव्यता में यह हाल ही में शुरू हुए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को भी मात करता प्रतीत होता है। महाकाल कॉरिडोर पुरानी रूद्रसागर झील के चारों ओर फैला है। मप्र के अलावा देश के अन्य हिस्सों के श्रद्धालु इस नवनिर्मित कॉरिडोर को लेकर खासे रोमांचित हैं और इसमें एंट्री को लेकर उत्सुक भी। इस मौके पर पीएम ने कहा कि सबकुछ अलौकिक और असाधारण है। आज आनंद का अवसर महाकाल की वजह से मिला है। महाकाल लोक में लौकिक कुछ भी नहीं। आने वाली कई पीढ़ियों को यह अलौकिक दिव्यता का दर्शन करेगी। भारत की सांस्कृतिक चेतना का दर्शन कराएगी।

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साथ महाकाल कॉरीडोर का अवलोकन करते पीएम नरेन्द्र मोदी। फोटो साभार पीएमओ के टिवटर हैंडल से

मप्र की राजधानी भोपाल से करीब 200 किमी दूर उज्जैन महाकालेश्वर में इन दिनों उप्र, राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात सहित कई अन्य राज्यों के हजारों श्रद्धालु रोज दर्शन लाभ पा रहे हैं। इस पूरी परियोजना की कुल लागत 856 करोड़ रूपए है और प्रथम फेज में 316 करोड़ रूपए खर्च हुए हैं।

म्यूजिकल गार्डन और वाटर शो भी

रूद्रसागर तालाब की लहरों पर म्यूजिकल फाउंटेन और वाटर स्क्रीन शो का आयोजन होगा, जिसमें पानी की लहरों में आपको महाकाल और सिंहस्थ से जुड़ी फिल्में देखने को मिलेगी। महाकाल कारीडोर में 24 भवन भी बनाए गए हैं, जिसमें तमाम तरह की सुविधाएं मौजूद हैं। यहां दिन और रात के हिसाब से खास तरह की रंग बदलती लाइटें लगाई गई हैं। यहां मौजूद नाइट गार्डन में महाकाल के भक्त भगवान शिव से जुड़ी कथाओं और दंतकथाओं के बारे में जान सकेंगे। इसके अलावा यहां त्रिपुरासुर वध, कमल ताल में भगवान शिव की मूर्ति, शिव तांडव, सप्त ऋषि, नवग्रह मंडल की विभिन्न भाग-भंगिमाओं की प्रतिमाएं और नंदी की मूर्तियां दिखेंगी।

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गोल्फ कार्ट में बैठकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साथ महाकाल कॉरीडोर का अवलोकन करते पीएम नरेन्द्र मोदी। फोटो साभार पीएमओ के टिवटर हैंडल से

झील का हुआ पुनर्जीवन

महाकाल गलियारा परियोजना से रुद्रसागर झील को नया जीवन मिला है। इसमें (रुद्रसागर) पानी के बारहमासी प्रवाह को बनाए रखने के लिए झील को क्षिप्रा नदी से जोड़ा गया है। पहले रुद्रसागर झील लगभग गंदे नाले में तब्दील हो गई थी। लेकिन महाकाल कारीडोर निर्माण के दौरान उचित सीवर नेटवर्क तैयार किया और इसे इसमें गिरने वाले गंदे पानी से मुक्त किया। एक तरफ नया महाकाल गलियारा है और दूसरी तरफ झील के किनारे को विकसित करने से, न केवल प्राचीन मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि होगी बल्कि उज्जैन में पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा।

बारकोड से मिलेगी पूरी जानकारी

महाकाल लोक की कई खासियतें हैं। इसमें से एक खासियत यह भी है कि यहां आने के बाद अगर आप किसी मूर्ति के बारे में जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको किसी गाइड की आवश्यकता नहीं है। यहां परिसर में स्थापित हर प्रतिमा के सामने एक बारकोड लगाया गया है। उसे मोबाइल से स्कैन करते ही प्रतिमा के बारे में और महाकाल प्रांगण की सारी जानकारी आपके मोबाइल स्क्रीन पर आ जाएगी।

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पीएम मोदी और एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह

सैलानियों के लिए विश्व स्तरीय सुविधा

सैलानियों को यहां विश्व स्तरीय सुविधा मिलेगी। कारिडोर में प्रवचन हाल, नूतन स्कूल परिसर, गणेश विद्यालय परिसर, रूद्रसागर तट विकास, अर्ध पथ क्षेत्र, धर्मशाला और पार्किंग सर्विसेस भी तैयार किया जा रहा है। ऐसे में श्रद्धालुओं को दर्शन करने और कारिडोर घूमने के दौरान भव्य अनुभव होने वाला है।

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