
ग़ज़ल
-शकूर अनवर-
लिख दिये जो हमारी क़िस्मत में।
वो सितारे नहीं हैं हरकत में।।
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क़ैस* दाना* नहीं दिवाना था।
लुट गया हाय वो मुहब्बत में।।
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देखली हमने देखली दुनिया।
और क्या देखना क़यामत में।।
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क्या सुनूॅं और उसकी क्या मानूॅं।
कोई तो बात हो नसीहत में।।
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उसके अपने भी थे पराये भी।
भूल बैठा वो सबको शोहरत में।।
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ऐसे चेहरों से उठ गये परदे।
आईने पड़़ गये हैं हैरत* में।।
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ज़िंदगी को सराब* मत समझो।
ये तो कुछ और है हक़ीक़त में।।
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हर तरफ़ रहज़नी* ज़िनाकारी।
ज़िंदगी तंग है हुकूमत में।।
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कौन सुनता है दिल का हाल “अनवर”।
कौन रहता है इतनी फ़ुर्सत में।।
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हरकत:गतिशीलता
क़ैस: मजनू का नाम
दाना*समझदार
हैरत*अचरज
सराब* मरीचिका
रहज़नी* लूटपाट
ज़िनाकारी यानी बलात्कार
शकूर अनवर
9460851271