उसके अपने भी थे पराये भी। भूल बैठा वो सबको शोहरत में।।

shakoor anwar 01
शकूर अनवर

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

लिख दिये जो हमारी क़िस्मत में।
वो सितारे नहीं हैं हरकत में।।
*
क़ैस* दाना* नहीं दिवाना था।
लुट गया हाय वो मुहब्बत में।।
*
देखली हमने देखली दुनिया।
और क्या देखना क़यामत में।।
*
क्या सुनूॅं और उसकी क्या मानूॅं।
कोई तो बात हो नसीहत में।।
*
उसके अपने भी थे पराये भी।
भूल बैठा वो सबको शोहरत में।।
*
ऐसे चेहरों से उठ गये परदे।
आईने पड़़ गये हैं हैरत* में।।
*
ज़िंदगी को सराब* मत समझो।
ये तो कुछ और है हक़ीक़त में।।
*
हर तरफ़ रहज़नी* ज़िनाकारी।
ज़िंदगी तंग है हुकूमत में।।
*
कौन सुनता है दिल का हाल “अनवर”।
कौन रहता है इतनी फ़ुर्सत में।।
*

हरकत:गतिशीलता

क़ैस: मजनू का नाम
दाना*समझदार
हैरत*अचरज
सराब* मरीचिका
रहज़नी* लूटपाट
ज़िनाकारी यानी बलात्कार

शकूर अनवर
9460851271

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments