शांति धारीवाल समेत कांग्रेस के तीनों नेताओं के बारे में फैसला आज-कल में

शांति धारीवाल के आवास पर आयोजित बैठक में पार्टी के बहुसंख्यक विधायकों के शिरकत करने और पुरजोर तरीके से अशोक गहलोत को ही अपना नेता मानते हुए उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाए रखने पर जोर दिया गया था लेकिन सचिन पायलट खेमे के शिकायत के आधार पर पार्टी नेतृत्व ने इसे कथित रूप से पार्टी विरोधी मानते हुए प्रदेश के तीन नेताओं को नोटिस दिया था

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शांति धारीवाल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़के के पदभार ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिये मंगलवार रात्रि मेवाड़ एक्सप्रेस से दिल्ली रवाना हुए।

-कृष्ण बलदेव हाडा-

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कृष्ण बलदेव हाडा

कोटा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मलिकार्जुन खड़गे के आज दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित एक समारोह में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में शपथ लेने के बाद राजस्थान के उन तीनों नेताओं के बारे में आज-कल में फैसला हो जाएगा, जिन्हें पिछले महीने कथित रूप से बगावती तेवर दिखाने के आरोप में नोटिस देकर जवाब तलब किए गए थे। राजस्थान की शासन की बागडोर सचिन पायलट को सौंपे जाने की आहट के कारण पार्टी में उपजे असंतोष के बाद पिछले महीने जयपुर में पार्टी आलाकमान के द्वारा बुलाई गई विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर आयोजित बैठक में पार्टी के बहुसंख्यक विधायकों के शिरकत करने और पुरजोर तरीके से अशोक गहलोत को ही अपना नेता मानते हुए उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाए रखने पर जोर दिया गया था लेकिन सचिन पायलट खेमे के शिकायत के आधार पर पार्टी नेतृत्व ने इसे कथित रूप से पार्टी विरोधी मानते हुए प्रदेश के तीन नेताओं को नोटिस दिया था।

खड़गे आए थे पर्यवेक्षक के तौर पर

जिन नेताओं को नोटिस दिया गया था उनमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सबसे विश्वस्त मंत्रिमंडलीय सहयोगी शांति कुमार धारीवाल, सबसे अधिक विश्वस्त राजनीतिक सहयोगी धर्मेंद्र सिंह राठौड़ और राज्य मंत्री महेश शर्मा शामिल है और यह सभी केंद्रीय नेतृत्व को उनके नोटिस का अपना पक्ष रखते हुये जवाब भी दे चुके हैं। अब अगले एक-दो दिन में पार्टी आलाकमान के उनके बारे में फैसला किए जाने की उम्मीद की जा रही है। आज मलिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यभार संभाला है लेकिन जिस समय पिछले महीने राजस्थान में यह समूचा राजनीतिक घटनाक्रम चला था,तब तत्कालीन कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने उन्हें पर्यवेक्षक के रुप में जयपुर भेजा था और प्रदेश के नेतृत्व के संबंध में विधायकों की राय जानने के लिए मलिकार्जुन खड़गे ने विधायक दल की बैठक बुलाई थी जिसमें भाग लेने के लिए प्रदेश के प्रभारी अजय माकन भी उनके साथ जयपुर आए थे लेकिन कांग्रेस के बहुसंख्यक विधायकों ने उस समय बैठक का बहिष्कार किया था और श्री धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक करके सचिन पायलट को प्रदेश के नेतृत्व सौंपे जाने की कोशिश को स्पष्ट रूप से नकार दिया था।

बहुसंख्यक विधायकों ने कड़ा प्रतिरोध दर्ज करवाया था

आज पार्टी महासचिव और राजस्थान के प्रभारी पद से इस्तीफा दे चुके अजय माकन का उस समय सचिन पायलट के प्रति पक्षपाती चेहरा सबके सामने स्पष्ट रूप से आया था और इसी का शांति धारीवाल की अगुवाई में कांग्रेस की बहुसंख्यक विधायकों ने कड़ा प्रतिरोध दर्ज करवाया था। श्री धारीवाल का तो भी आरोप था कि अजय माकन विधायकों पर सचिन पायलट का मुख्यमंत्री के रूप में समर्थन करने के लिए दबाव बना रहे हैं। उस समय भी और आज भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थक विधायकों की यह स्पष्ट राय है कि सचिन पायलट को कमान सौंपी तो यहां पर भी पंजाब जैसे हालात बनेंगे क्योंकि पायलट ने प्रदेश सरकार को गिराने के लिए खुली बगावत की थी और अमित शाह जैसे दिग्गज भारतीय जनता पार्टी नेताओं की शह पर भाजपा शासित राज्य हरियाणा में पनाह लेकर गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश की लेकिन विधायकों की एकजुटता के कारण यह कोशिश नाकाम रही थी।

अशोक गहलोत तर्कसंगत तरीके से रख चुके पक्ष

पिछले महीने कांग्रेस विधायकों ने आलाकमान के खिलाफ बगावत नहीं बल्कि पार्टी विधायकों ने उनकी इच्छा के विपरीत अजय माकन की सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश का कड़ा विरोध किया था और बहुसंख्यक विधायक आज भी इसी राय पर कायम है। पिछले महीने के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले दिनों श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी, यहां तक कि तत्कालीन पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे के सम्मुख विधायकों का यह पक्ष तर्कसंगत तरीके से रख चुके हैं और जो भी फैसला होगा, इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर किया जाना संभावित माना जा रहा है।

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