न कार्तिकसमो मासो न कृतेन समं युगं, न वेदं सदृशं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समं’

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छठ पूजा की सुबह सूर्य की रश्मियों से नहाया वातावरण। फोटो अखिलेश कुमार

-अखिलेश कुमार-

akhilesh kumar
अखिलेश कुमार

(फोटो जर्नलिस्ट)

कोटा। न कार्तिकसमो मासो न कृतेन समं युगं, न वेदं सदृशं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समं’, इस श्लोक का अर्थ है कि कार्तिक के समान कोई महीना नहीं, युगों में सतयुग के समान कुछ नहीं। शास्त्रों में वेदों के समान कुछ नहीं और तीर्थ में गंगा के समान अन्य कुछ भी नहीं है।

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सुहाने मौसम का आनंद लेते पक्षी। फोटो अखिलेश कुमार

हिन्दू धर्म में कार्तिक मास को अत्यंत शुभ माना गया है। इस मास में धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा इत्यादि मुख्य पर्व आते हैं। वैसे भी यह भगवान श्री कृष्ण का प्रिय महीना। मान्यता है कि इस महीने में पूजा-पाठ, अनुष्ठान, पवित्र स्नान आदि करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है। मान्यता है की यदि आप कार्तिक मास में कोई पुण्य कर्म करते हैं तो उसका फल सामान्य दिनों में किये गए पुण्य से कई गुना ज्यादा मिलता है। यह भी मान्यता है की कार्तिक मास में किया गया एक बार का गंगा स्नान एक हजार बार गंगा स्नान के सामान फलदायी होता है।

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सूर्य की किरणों के बीच निकलता जलीय पक्षी। फोटो अखिलेश कुमार

कार्तिक माह में चंबल किनारे बसे कोटा शहर के लोग बडी संख्या में तडके नदी में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं। वैसे भी यह माह मौसम और स्वास्थ्य के हिसाब से सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इन दिनों सुबह और शाम की सैर करने वालों की संख्या बढ जाती है क्योंकि न तो सर्दी होती है और न गर्मी। सुहावना मौसम दिल को खुश करने के साथ शरीर को नई उर्जा से भर देता है।

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सूर्य की किरणों को निहारते कतारबद्ध पक्षी। फोटो अखिलेश कुमार

फोटो जर्नलिस्ट अखिलेश कुमार ने ऐसी ही सुहावनी सुबह के कुछ पल कैमरे में कैद किए हैं।

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