
– विवेक कुमार मिश्र-
चाय एक जीवन कथा की तरह
धीरे – धीरे समझ में आती है
चाय जब पक जाती और मन के रंग में सीझ जाती तो
चाय कथा जीवन कथा के रंग में ढ़ल जाती है कि
कुछ और आप सोच भी नहीं सकते
चाय पर एक भरा पूरा संसार
इस तरह आ जाता है कि चायकथा दुनिया ही हो जाती
यहां सब इस तरह समा जाते कि …
चाय के साथ जीवन संसार व जीवन विस्तार पर
बात करते लोगों का
एक अलग संसार ही बन जाता
ये सब एक दूसरे को अपने सुख दुःख में
पूरेपन के साथ शामिल कर लेते हैं
यहां कोई खाली नहीं होता
सब एक दूसरे के साथ ऐसे आते हैं कि
लगता है कि आंखों के आगे पृथ्वी पर
आसमानी उजास उतर रहा हो
और फिर देखते देखते
पूरा सूरज ही उगा चला आता
कुछ ऐसे ही गर्म भाप से
भरी हुई चाय अपने मन का राग
गाती चाय दुनिया के पटल पर आ जाती है
और यह सूत्र सौंप जाती कि
हर कार्य पूरे मन से करते चलें
यहीं है जिंदगी …..
जो चाय पर खुश रहती – आह्लादित होती ।
– विवेक कुमार मिश्र
(सह आचार्य हिंदी राजकीय कला महाविद्यालय कोटा)
F-9, समृद्धि नगर स्पेशल , बारां रोड , कोटा -324002(राज.)