-द ओपिनियन-
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा आज एक अहम मुकाम पर पहुँच गई है। इसने 100 दिन पूरे कर लिए हैं। यात्रा मे अभी तक 2500 किलोमीटर से अधिक का सफर तय किया जा चुका है। यह यात्रा राजस्थान में ऐसे समय पहुंची है जब पार्टी व सरकार में आपसी कलह चरम पर पहुँच गई। राहुल गांधी अपनी यात्रा के साथ राजस्थान पहुंचे तो प्रदेश कांग्रेस के परस्पर विरोधी धड़े आपसी मतभेदों को दरकिनार कर यात्रा में शामिल हुए। यदि सुलह का यह भाव आगे भी कायम रहता है तो पार्टी के लिए एक बहुत सकारात्मक प्रभाव होगा। क्योंकि राजस्थान में विधानसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं है। राज्य की गहलोत सरकार अपने कार्यकाल का चौथा साल पूरा कर रही है। इन चार सालों में आधे से अधिक समय आपसी कलह और विवादों में गुजरा है। इससे निश्चित रूप से पार्टी और सरकार की छवि पर विपरीत असर पड़ा है। लेकिन यदि राज्य में अब भी एकजुटता का भाव जागता है तो यह पार्टी और सरकार दोनों के लिए अहम होगा। कहा भी गया है-जागो तभी सवेरा।

चिरंजीवी योजनाः बड़ी उपलब्धि
ऐसे समय में जबकि कांग्रेस सरकार अपने कार्यकाल के चार वर्ष पूरे होने का जश्न मना रही है राहुल गांधी खुद जयपुर में होंगे और कई कार्यक्रमोें में हिस्सा लेंगे। गहलोत के पास अपनी सरकार की उपलब्धियां बताने का अवसर होगा। यदि कुछ समय के लिए कांग्रेस की आतंरिक कलह को एकतरफ रख दिया जाए तो इस सरकार की कई उपलब्धियां सामने आती हैं जिनमें सबसे अहम है चिरंजीवी योजना। गहलोत सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में निशुल्क दवा योजना से शुरुआत की थी और अब यह चिरंजीवी योजना के माध्यम से प्रदेश के लोगों के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत बड़ा संबल बन चुकी है। हां सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ , डॉक्टरों की कमी या कुछ बनियादी सुविधाओं की कमी हो सकती है लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस योजना ने खासकर गरीब व मध्यवर्गीय लोगों को बहुत बड़ी राहत दी है जिनके लिए निजी अस्पतालों का खर्च वहन करना आसान नहीं था। अब जरूरत राज्य के हर व्यक्ति को इस योजना से जोडने की है।

भूजल थामने का काम हो युद्धस्तर पर
स्वास्थ्य के क्षेत्र में लाई गई चिरंजीवी योजना की तरह ही सरकार की ओर से अपने शेष बचे एक साल के कार्यकाल में भूजल के स्तर में सुधार के लिए कोई अहम पहल किए जाने की जरूरत है। यदि कोई कदम आज उठाया जाता है तभी आगे चलकर उसके परिणाम सामने आते हैं। आज प्रदेश में अधिकतर इलाके डार्क जोन में हैं या उसकी कगार पर पहुंच गए हैं। हालांकि जल संरक्षण की दिशा में हाल के वर्षों में काफी प्रयास हुए हैं लेकिन उनके उतने सार्थक नतीजे सामने नहीं आए हैं जितनी कि आने चाहिए थे। इसके लिए जरूरी है कि चिरंजीवी योजना की तरह ही कोई रास्ता निकाला जाए कि बारिश की हर बूंद का संग्रह हो जाए। इसमें पंचायत अहम भूमिका निभा सकती हैं। इसके लिए पंचायतों व नगरीय इलाकों मेंहर विकास कार्य को भूजल संरक्षण से जोड़ दिया जाए। विकास के लिए पैसा उसी अनुपात में मिले जिस अनुपात में संबंधित क्षेत्र में भूजल कितना सुधारा है। यदि भूजल संरक्षण की दिशा में कोई पहल कारगर होती है तो आने वाले समय में यह बहुत उपयोगी और सार्थक पहल हो सकती है। राहुल गांधी की मौजूदगी में यदि गहलोत सरकार ऐसी कोई पहल करती है तो प्रदेश को आगे चलकर बहुत फायदा हो सकता है।

















