
-ए एच जैदी-

(नेचर एवं टूरिज्म प्रमोटर)
कोटा। हाडोती के प्रमुख शहर कोटा का राव माधोसिंह म्यूजियम न जाने कितना इतिहास समेटे हैं। गढ पैलेस में स्थित यह म्यूजियम इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए प्रमुख आकर्षण का केन्द्र है। पर्यटक और कोटा के इतिहास और कला के शोधार्थियों के लिए यह किसी ज्ञान के भंडार से कम नहीं है। कई आकर्षक प्राचीन मूर्तियों, मिनीयेचर पेंटिंग्स (लघु चित्रों), भित्ति चित्रों, शाही शस्त्रागार का संग्रह यहां देखा जा सकता है।

इस म्यूजियम के माध्यम से कोटा रियासत की ऐतिहासिक जानकारियों से अवगत हुआ जा सकता है। उल्लेखनीय है कि कोटा राज्य बनने से पूर्व बून्दी के राज कुमारों की जागीर था। मुगल बादशाह शाहजहां के शासन में यह अस्तित्व में आया।
यह कोटिया भील की जागीर था। लेकिन 1264 ई में बून्दी के राज कुमार ने युद्ध मे कोटिया भील को परास्त कर इस क्षेत्र पर अधिकार प्राप्त किया।

कोटा राज्य के प्रथम शासक राव माधोसिंह जी बने और हाड़ा राज्य की स्थापना हुई। कोटा के शासकों को कला से बहुत लगाव रहा। कोटा गढ़ पैलेस में इसकी झलक देखी जा सकती है। यहां के शासकों को कला के क्षेत्र में भवन निर्माण कला, संगीत कला, चित्र कला, नृत्य कला, शिकार कला, युद्ध कला का बहुत शौक था। कोटा के इतिहास का अध्ययन करने वाले शोधार्थियों के लिए इस म्यूजियम में उपलब्ध सामग्री का अध्ययन बहुत काम आ सकती है।

इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में विस्तार से कोटा के बारे में वर्णन किया है। कर्नल टॉड, डॉ मथुरा लाल शर्मा, डॉ जगत नारायण श्रीवास्तव आदि के अलावा अनेको पुस्तको में कोटा गढ़ की जानकारियां पढ़ने को मिलती है। हाल ही में प्रकाशित इतिहासकार फिरोज अहमद व डॉ पी के सिंघल की पुस्तकों में भी इसका वर्णन देखा जा सकता है। कोटा का पूर्व राजपरिवार हस्त कला को बढ़ावा देने के लिए दो माह में दो हस्त कला प्रदर्शनी लगा चुका है। यह एक कोटा कलम पर दूसरी कोटा डोरिया साडी पर थी। कोटा राजपरिवार के ब्रजराज सिंह ने यहां के चित्रों पर अंग्रेजी में पुस्तक प्रकाशित की। जिसमे चित्रों ओर चित्रकारो का वर्णन है। यह पुस्तक गढ़ पैलेस में उपलब्ध है।
