दिल ने इतने ज़ख्म खाये। रोते रोते सो गया है।।

shakoor anwar books

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

shakoor anwar
शकूर अनवर

क्या मुक़द्दर सो गया है।
ऐसा कैसे हो गया है।।
*
इस जहाने-रंगो-बू से।
फिर न लौटा जो गया है।।
*
मेरे हिस्से का उजाला।
रास्ते में खो गया है।।
*
तारे किस पर हॅंस रहे हैं।
चाॅंद किस को रो गया है।।
*
दिल ने इतने ज़ख्म खाये।
रोते रोते सो गया है।।
*
आने वाले कल की सोचो।
हो गया जो हो गया है।।
*
गुलशने हस्ती में “अनवर”।
कौन काॅंटे बो गया है।।
*

मुक़द्दर*भाग्य
जहाने-रंगो-बू*रंग और खुशबू की दुनिया
गुलशने हस्ती*जीवन रूपी उपवन

शकूर अनवर
9460851271

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments