विधानसभा से भी फाटक बाहर हुये गुढ़ा

-संसदीय मर्यादाओं की सारी हदें पार कर गए गुढ़ा

 

-कृष्ण बलदेव हाडा-

kbs hada
कृष्ण बलदेव हाडा

राज्य सरकार से बर्खास्त किए गए बड़बोले मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने राजस्थान विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल के संभवत: इस आखिरी सत्र में सोमवार को अपनी तमाम सारी हदें पार कर दी।
राजस्थान विधानसभा के सत्र के दौरान सोमवार को जब कार्यवाही शुरू हुई तो राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने न केवल विधानसभा के बीच पहुंचकर और बाद में विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर सी पी जोशी के आसन के सामने जाकर उनके साथ दुर्व्यवहार करते हुए अनर्गल प्रलाप किया बल्कि बाद में संसदीय मर्यादाओं की सारी हदे पार करते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के साथ धक्का-मुक्की तक पर उतर आए जिसके चलते विधानसभा अध्यक्ष को उन्हें मार्शल बुलाकर विधानसभा से भी फाटक बाहर करना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और बाद में उनके साथ सामूहिक बलात्कार करने की घटना की तुलना राजस्थान विधानसभा में राज्य में महिलाओं के प्रति अपराधों से किए जाने के चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार की रात राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र को सिफारिश कर राजेंद्र सिंह गुढ़ा को अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद आज विधानसभा का पहला दिन था और इसके पहले से ही वे पिछले दो दिनों से यह लगातार कहते आ रहे थे कि वह सब का ‘जवाब’ विधानसभा में ही देंगे। उनसे उम्मीद की जा रही थी कि वे शब्दों के जरिए अपनी बात सदन और जनता के बीच रखेंगे लेकिन इसकी जगह वह हंगामे और सीधे हाथापाई पर उतर आए।
अशोक गहलोत के राजेंद्र सिंह गुढ़ा को उनके मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने के बाद जब इस बारे में पूछे जाने पर संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने यह कहा था कि राजेंद्र सिंह गुढ़ा बिगड़ा हुआ केस है कि तभी गुढ़ा ने यह कहकर अपने दुर्भावनापूर्ण इरादे को जगजाहिर कर दिया था कि ऐसा बयान पर क्या करना है, वह सोमवार को देखेंगे और आखिरकार उन्होंने सोमवार को विधानसभा में अपनी तमाम सारी मर्यादाओं को लांघ ही दिया।
यह सर्वविदित है कि पूर्व में भी राजेंद्र सिंह गुढ़ा किसी वरिष्ठ नागरिक या व्यक्ति के प्रति सम्मान का भाव रखने के बजाए राज्य के वरिष्ठ मंत्री शांति धारीवाल के बुजुर्गवार होने को लेकर मर्यादाओं से परे हटकर अभद्र टिप्पणियां करते रहे हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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