त्योहार के अवकाश में कटौती से बिहार में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति शुरू

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-विष्णुदेव मंडल-

विष्णु देव मंडल

(बिहार मूल के स्वतंत्र पत्रकार)
बिहार सरकार ने राज्य में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए सालाना छुट्टियों में कटौती करने की घोषणा कर दी है! जहां लोक आस्था के पर्व छठ में पहले चार दिनों के लिए अवकाश मिलता था अब वह घटाकर 2 दिन कर दिया गया है। वहीं रक्षाबंधन, कृष्ण जन्माष्टमी सरीखे कई त्योहारों में छुट्टियां खत्म कर दी गई हैं। इसके कारण जहां बिहार की राजनीति में उबाल है वहीं शिक्षकों ने भी छुट्टियों की कटौती पर रोष व्याप्त है।
बता दें कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था दशकों से बदहाल है। जहां कई विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं वहीं जहां शिक्षक है वहाँ स्कूलों की हालात ठीक नहीं है। जर्जर अवस्था में विद्यालय होने के कारण वहां पर अध्यनरत छात्रों को पठन-पाठन में समस्याओं से दो चार होना पडता है। पिछले कई महीनो से शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग में तरकरार होती रही है। बिहार के शिक्षा सचिव के के पाठक और शिक्षा मंत्री श्री चंद्रशेखर यादव के बीच तकरार इतनी बढ़ गई थी कि शिक्षा मंत्री अपने चेंबर में आने से कतरा रहे थे।
बहरहाल बिहार में हिंदू त्योहारों पर छुट्टियों की कटौती राजनीतिक मुद्दा बन गई है। जहां भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे को आमजन के बीच ले जाने की मन बना ली है वहीं बिहार सरकार के मंत्री और प्रवक्ता इस फैसले के बचाव में अलग-अलग राय प्रस्तुत कर रहे हैं। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि मौजूदा सरकार तुष्टीकरण मोड में है। उसने किसी खास समुदाय के वोट के लिए अब हिंदू महोत्सव पर भी प्रतिबंध लगना शुरू कर दिया है जो सरासर गलत है। लोक आस्था के महापर्व छठ जो निर्जला व्रत होते हैं जिसमें छठ पर्व पर चार दिनों के लिए उपवास रखते हैं इस महापर्व पर छुट्टियों का कटौती दर्शाता है कि नीतिश सरकार अब बिल्कुल तुष्टीकरण के चक्कर में हिंदुओं को आस्था से खेलने लगी है। यह चिंताजनक है। आगामी चुनाव में इस तथाकथित इंडिया एलाइंस को जनता जवाब देंगी।
वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा प्रहार किया है। गिरिराज सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार के राज में हिंदुओं का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है। अभी तो इस सरकार ने हिंदुओं के त्योहारों में कटौती की है। आगे वह शरिया कानून लागू करना चाहती है। लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास के पुत्र चिराग पासवान ने भी कहा कि बिहार सरकार को पहले कानून व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। लोगों की समस्याओं को समझ कर उसका निदान करना चाहिए । लेकिन नीतीश कुमार सामाजिक सुधार करने के बजाय त्योहारों की छुट्टियों में कटौती करके शिक्षकों के ऊपर अतिरिक्त भार देने का प्रयास कर रहे हैं। हमें लगता है कि नीतीश कुमार अब बिहार को चलाने में सक्षम नहीं है। उन्हें अपने पद से त्याग पत्र दे देना चाहिए।
बिहार में हिंदू त्यौहार में छुट्टियों की कटौती पर राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए ग्रामीण विकास मंत्री अशोक चौधरी कहते हैं कि सरकार केंद्र सरकार के गाइडलाइन को ही फॉलो कर रही हैं इसलिए छुट्टी में कटौती की गई ह।ै क्योंकि हिंदुओं का त्योहार ज्यादा है इसीलिए हिंदुओं के त्यौहार में कटौती की गई है। इसे भाजपा गलत तरीके से पेश करने का प्रयास कर रही है। बिहार सरकार किसी जाति मजहब से भेदभाव नहीं करती। वहीं कई शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों ने बिहार सरकार द्वारा हिंदुओं के त्यौहार में अवकाश की कमी पर चिंता व्यक्त की है तथा सरकार से अपील की है कि वह कोई ऐसा काम ना करें जिससे शिक्षकों को कम करने में परेशानी हो। यदि वह इसी तरह से तुगलकी फरमान जारी करते रहेंगे तो शिक्षकों को सड़क पर आने से कोई नहीं रोक सकते।

यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है की बिहार सरकार ने किसी अन्य मजहबी त्योहारों पर अवकाश की कटौती नही की है। वही ं पिछले दिनों ईद और बकरीद में मुस्लिम समुदायों के लोगों के लिए नमाज अदा करने के लिए 1 घंटे से भी अधिक के अतिरिक्त छुट्टी दी गई थी। वहीं बिहार के कई ऐसे जिले हैं जहां पर साप्ताहिक अवकाश रविवार के बजाय शुक्रवार को दी जाती है। ऐसे में बिहार की नीतीश सरकार पर तुष्टिकरण का आप क्यों ना लगाया जाए?

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