
-theopinion.1-
बांग्लादेश फिर हिंसा की आग में झुलस रहा है। आरक्षण को लेकर शुरू आंदोलन हिंसक हो उठा है। आंदोलनकारी अब प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ आवामी लीग के समर्थकों के बीच रविवार को हुई हिंसक झड़पों में 14 पुलिसकर्मियों सहित करीब 100 लोगों की मौत की खबर है और सैकड़ों अन्य घायल हुए। देश में कर्फ्यू लागू है और इंटरनेट बंद है। भारत ने बांग्लादेश में रह रहे अपने नागरिकों को एडवायजरी जारी कर यात्रा आदि न करने को कहा है। डर यह है कि उन्मादी भीड़ उन्हें निशाना बना सकती है। हिंसा के कारण अधिकारियों ने मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी और अनिश्चितकाल के लिए पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया। आंदोलन की अगुवाई ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ कर रहा है। लेकिन अब इस आशंका को भी बल मिल रहा है कि पाकिस्तान बांग्लादेश में असंतोष की आग भड़का रहा है। आंदोलन आरक्षण को लेकर शुरू हुआ। छात्र 1971 के स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को सरकारी नौकरियों में दिए जा रहे 30 प्रतिशत आरक्षण का विरोध कर रहे थे। लेकिन बाद में बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में आरक्षण को कम कर दिया था। देश में हालात सामान्य होने लगे थे। ऐसे में शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की आड़ में देश को हिंसा में धकेल दिया गया है। उससे साफ है कि इस आंदोलन को बांग्लादेश विरोधी ताकतें हावा दे रही हैं।‘ स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ के बैनर तले रविवार को
शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर छात्र सड़क पर उतरे तो सरकार समर्थक अवामी लीग, छात्र लीग और जुबो लीग के कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध किया तथा फिर हिंसक झड़पें शुरू हो गई। लेकिन हिंसा ने जिस तरह से उग्र रूप धारण किया उससे इस आशंका को बल मिलता है आंदोलन में कट्टरपंथी ताकतें भी लिप्त थी। जो शेख हसीना सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में है। शेख हसीना का भारत के प्रति रुख दोस्ताना है और हाल के दिनों में भारत और बांग्लादेश के बीच कई अहम समझौते हुए हैं। वहां की कट्टरपंथी ताकतें नहीं चाहती कि भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्ते मजबूत हों। आंदोलन में जिस तरह
कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी और विपक्षी पार्टी बीएनपी के समर्थक उतरे हैं उससे पाकिस्तान की शह का शक और बढ़ रहा है। एक तरह से उन्होंने यह आंदोलन हथिया लिया है। कट्टरपंथी ताकतोें के आंदोलन में घुसने की आशंका को इस बात से भी बल मिलता है कि प्रदर्शनकारियों ने हिंदुओं को और उनके घरों को निशाना बनाया। उन्हें इधर उधर शरण लेकर अपनी जान बचानी पड़ी । यदि आंदोलन और फैलता है और कट्टरपंथी तत्व उस पर हावी होते हैं तो इससे भारत के हितों को नुकसान पहुंचने का खतरा है। शेख हसीना सरकार भारत के सुरक्षा हितों के प्रति संवेदनशील है और वह आपसी सहयोग की हिमायती है जबकि चीन अपना प्रभाव बढाने के लिए बांग्लादेश को कई ऑफर देता रहा है। वह बांग्लादेश में अपना सैन्य प्रभाव भी बढ़ाना चाहता है। ताकि भारत के विरोध में खड़ा किया जा सके । इसलिए भारत को सतर्क रहने की जरूरत है। यदि हिंसा के कारण लोगों का पलायन शुरू हुआ तो भारत में आने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है। अवैध घुसपैठ भी बढ़ सकती है। इसलिए सीमा पर भी सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।

















