कितना कारगर होगा केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा का दाव !

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अरविंद केजरीवाल

-देवेंद्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक अकेला सब पर भारी, के बयान का असर देश के राजनेताओं पर इतना पड़ेगा, यह तो खुद मोदी जी ने भी नहीं सोचा होगा।
जेल से रिहा होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा के साथ कहा कि उनकी ईमानदारी पर अब जनता फैसला करेगी।
केजरीवाल की इस घोषणा से दिल्ली में समय से पहले विधानसभा के चुनाव को लेकर अटकलें राजनीतिक गलियारों और मीडिया के भीतर लगाई जाने लगीं। लेकिन देश के राजनीतिक पंडित और राजनीतिक विश्लेषक अरविंद केजरीवाल के बयान पर शायद ठीक से विश्लेषण नहीं कर पाए।
अक्सर राजनीतिक गलियारों और विपक्षी पार्टीयों के राजनीतिक गलियारों में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर यह चर्चा होती सुनाई देती है कि एक मोदी अकेले भाजपा संगठन और सत्ता पर भारी है। जब तक मोदी हैं तब तक भाजपा के अंदर दूसरा कोई प्रधानमंत्री नहीं बन सकता।
अरविंद केजरीवाल ने अपने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर, मुख्यमंत्री का फैसला जनता पर छोड़कर आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को कहीं यही संदेश तो नहीं दिया कि एक अरविंद केजरीवाल सभी आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर भारी हैं। जब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल हुई थी तब उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया था, और झारखंड मुक्ति मोर्चा के इंडिया गठबंधन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ विधायक चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया था। हेमंत सोरेन चाहते तो उनकी पत्नी भी मुख्यमंत्री बन सकती थी मगर हेमंत सोरेन परिवारवाद से बचे और उन्होंने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया। अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद अचानक अरविंद केजरीवाल की पत्नी राजनीतिक पटल पर तेजी से सामने आई और लगने लगा कि शायद अरविंद केजरीवाल की पत्नी दिल्ली की मुख्यमंत्री होंगी। मगर ऐसा नहीं हुआ। जेल में रहकर भी अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहे। मगर जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री का पद छोड़ने की पेशकश कर जनता के बीच जाने का ऐलान किया।
अरविंद केजरीवाल राजनीति के उभरते हुए चाणक्य हैं, यह ठीक से उनके जेल से छुटने के बाद पता चला, जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ने की पेशकश की। उन्होंने किसी आम आदमी पार्टी के नेता को मुख्यमंत्री बनने को नहीं कहा बल्कि जनता के बीच जाने का फैसला किया। अरविंद केजरीवाल के अलावा आम आदमी पार्टी के भीतर तेज तर्रार नेता संजय सिंह मौजूद हैं। जिनकी अब देश के दिग्गज नेताओं में गिनती होने लगी है। संसद के भीतर और संसद के बाहर संजय सिंह को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को अनेक मुद्दों पर घेरते हुए देखा जा सकता है।
अरविंद केजरीवाल को मालूम था कि हेमंत सोरेन जब जेल गए थे तब उन्होंने मुख्यमंत्री का पद छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ विधायक चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनवाया था। अब जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री का पद छोड़ेंगे तब यह सवाल उनसे पूछा जाएगा की आपकी जगह आम आदमी पार्टी का कौन नेता मुख्यमंत्री बनेगा।
केजरीवाल से यह सवाल पूछते इससे पहले ही उन्होंने तमाम विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियो को सलाह दी है कि यदि उन पर कोई संकट आए तो मुख्यमंत्री का पद मत छोड़ना। मतलब जनता के बीच जाकर चुनाव जीतने के बाद एक बार फिर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही होंगे। एक अकेला सब पर भारी, मोदी के अलावा केजरीवाल होंगे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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