बिहार के छात्रों को है राहुल का इंतजार!

congress
राहुल गांधी यदि बिहार के छात्रों से उनकी समस्याओं पर उनसे मिलकर बात करते हैं तो इसका असर सारे देश के छात्रों पर पड़ेगा, जो परीक्षा के पेपर लीक से परेशान हैं। वैसे भी राहुल गांधी पेपर लीक के विरोध में छात्रों के साथ खड़े दिखाई देते हैं और छात्रों से मिलते हैं, संवाद करते हैं उनकी समस्याओं के समाधान की बात केंद्र सरकार से करते हैं। मगर अब इंतजार राहुल गांधी का बिहार के छात्रों को है जो उन्हें भरोसा दिला सके।

-देवेंद्र यादव-

devendra yadav
-देवेंद्र यादव-

क्या राहुल गांधी को नव वर्ष 2025 में राजनीतिक शुरुआत बिहार से करनी चाहिए जहां इस साल विधानसभा के चुनाव हैं। राजनीतिक दृष्टि से बिहार महत्वपूर्ण राज्य है। खासकर कांग्रेस के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कांग्रेस बिहार की सत्ता से लगभग चार दशक से भी अधिक समय से बाहर है। वैसे भी कांग्रेस बिहार में कब तक दूसरे दलों के सहयोग से अपनी इज्जत बचाती रहेगी। बिहार में कांग्रेस को भी वापस अपनी जमीन तैयार करनी होगी। कांग्रेस के पास अपनी जमीन तैयार करने का इस समय बड़ा अवसर है। इसका कारण बिहार में दिखाई दे रही राजनीतिक उठापटक है। बिहार में सरकार के प्रति जनता का गुस्सा और स्थानीय क्षेत्रीय दलों के बीच अपने अस्तित्व को बचाने की चिंता साफ दिखाई दे रही है। भारतीय जनता पार्टी इसका फायदा उठाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। यहा तक कि भारतीय जनता पार्टी पहली बार अपने दम पर बिहार की सत्ता पर काबिज होने के मंसूबे पाले है। वहीं कांग्रेस अभी भी हाथ पै हाथ धर कर बेठी हुई दिखाई दे रही है। बिहार की जनता खासकर युवा और छात्रों का सरकार के प्रति आक्रोश बता रहा है कि उसे बिहार में मजबूत नेता और दल की जरूरत है। कहीं ना कहीं उनकी नजर कांग्रेस पर है। मगर सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी और प्रियंका गांधी बिहार जाकर वहां के छात्र और युवाओं को भरोसा दिलवा पाएंगे। बिहार में युवा और छात्रों को भरोसा दिलाने के लिए आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव आगे आए थे और बिहार के युवा और छात्रों ने गत विधानसभा चुनाव में उनका भरपूर साथ दिया था। यह बात अलग है कि तेजस्वी यादव की पार्टी की सरकार नहीं बनी। उन्हें मिली जुली सरकार में उपमुख्यमंत्री पद संभालना पडा। तेजस्वी यादव के सत्ता के करीब पहुंचने के बाद भी बिहार में बेरोजगारी और पेपर लीक अभी भी जस का तस बना हुआ है। बिहार के युवा और छात्र सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं और बिहार की पुलिस निहत्थे युवा और छात्रों पर लाठियां भांज रही है। बिहार के युवा और छात्रों का विश्वास पूर्णिया से निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव पर अधिक दिखाई दे रहा है जो सांसद बनने से पहले और सांसद बनने के बाद बिहार के युवाओं की आवाज को संसद से लेकर सड़क तक बुलंद करते हुए दिखाई दे रहे हैं। क्या राहुल गांधी को बिहार में पप्पू यादव के हौसले बुलंद नहीं करने चाहिए। पप्पू यादव सत्ता में नहीं रहे। अब पप्पू यादव ने कांग्रेस से हाथ मिलाकर बिहार में कांग्रेस को मजबूत कर कांग्रेस की बिहार की सत्ता में वापसी करने का बेड़ा उठाया है। कांग्रेस को खासकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को इसे समझना होगा और 2025 के नव वर्ष की अपनी राजनीति की शुरुआत बिहार से करनी होगी जहां उनके पास अवसर है। कांग्रेस के पास यह बड़ा अवसर है जिसे वह 2025 के विधानसभा चुनाव में भुना कर फायदा उठा सकती है।
राहुल गांधी यदि बिहार के छात्रों से उनकी समस्याओं पर उनसे मिलकर बात करते हैं तो इसका असर सारे देश के छात्रों पर पड़ेगा, जो परीक्षा के पेपर लीक से परेशान हैं। वैसे भी राहुल गांधी पेपर लीक के विरोध में छात्रों के साथ खड़े दिखाई देते हैं और छात्रों से मिलते हैं, संवाद करते हैं उनकी समस्याओं के समाधान की बात केंद्र सरकार से करते हैं। मगर अब इंतजार राहुल गांधी का बिहार के छात्रों को है जो उन्हें भरोसा दिला सके।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments