इंडिया गठबंधन के साथ आने की भूल कर बैठी कांग्रेस!

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राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को गुजरा हुआ कल भूल कर आने वाले कल पर अभी से ध्यान देना चाहिए और यह समझ जाना चाहिए कि कांग्रेस के साथ देश की जनता और कांग्रेस का जुझारू कार्यकर्ता है, जो लंबे समय से कह रहा था कि कांग्रेस को अपनी दम पर राज्यों और केंद्र में चुनाव लड़ना चाहिए।

-देवेंद्र यादव-

devendra yadav
-देवेंद्र यादव-

क्या तेरा था जिसे खोने के बाद तुझे इतना गम हो रहा है, क्या यह मन का भ्रम था कि जिसे खोया है, वह सब मेरे थे !
कांग्रेस को अब यह समझना होगा कि देश की जनता और पार्टी का जुझारू कार्यकर्ता ही केवल उसका अपना है।
कांग्रेस ने देश पर लंबे समय तक इसलिए शासन किया था क्योंकि पार्टी के पास मजबूत चुनावी रणनीतिकार और योजनाकार हुआ करते थे। ऐसे लोगों के दम पर कांग्रेस का संगठन और सरकार मजबूती के साथ खड़ी रहती थी। मगर अब कांग्रेस के पास मजबूत चुनावी रणनीतिकारों और योजनाकारों का अभाव देखा जा रहा है जिसकी झलक कांग्रेस को देश के विभिन्न राज्यों में मिल रही चुनावी हारों से स्पष्ट दिखाई देता है। कांग्रेस के रणनीतिकार यह भी ठीक से नहीं समझ पाते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के दिमाग में कांग्रेस के खिलाफ चल क्या रहा है। कांग्रेस को तब पता लगता है जब पार्टी को बड़ा नुकसान हो जाता है।
इसका स्पष्ट उदाहरण 2024 का लोकसभा चुनाव है। यदि कांग्रेस इंडिया गठबंधन रूपी जाल में नहीं फंसती और अपने दम पर चुनाव लड़ती तो लोकसभा में आज नजारा कुछ और ही होता। कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन में शामिल होकर पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। राहुल गांधी जिस समय भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा कर रहे थे तब पहली बार देश के भीतर से यह आवाज आ रही थी कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का विकल्प कांग्रेस और राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प बनेंगे। मगर उसी समय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सामने आ गए और भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला करने के लिए महागठबंधन बनाने की बात करने लगे। जब प्रमुख विपक्षी दलों ने भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए इंडिया गठबंधन का निर्माण किया तो सबसे पहले नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन कर बिहार की सत्ता में बैठ गए। तभी कांग्रेस के नेताओं और रणनीतिकारों को समझ जाना चाहिए था कि इंडिया गठबंधन कांग्रेस के लिए बुना गया एक जाल था। देशभर में भाजपा सरकार के खिलाफ राहुल गांधी और कांग्रेस ने जो माहौल बनाया था इसका फायदा इंडिया गठबंधन के घटक दलों ने उठाया और अब वह दल कांग्रेस को आंख दिखाते नजर आने लगे।
कांग्रेस के नेता और रणनीतिकारों ने यह समझने में भी शायद भूल की कि जो राजनीतिक दल भाजपा सरकार को महागठबंधन बनाकर 2024 के लोकसभा चुनाव में शिकस्त देने की बात कर रहे थे, उनमें से ज्यादातर दलों का निर्माण किसी समय कांग्रेस को अपने-अपने राज्यों और केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए हुआ था। इन दलों ने अटल बिहारी वाजपेयी को अपना समर्थन देकर भारतीय जनता पार्टी की केंद्र में सरकार बनवाई थी। जिन दलों का निर्माण कांग्रेस को सत्ता से दूर करने के लिए हुआ हो उनसे कांग्रेस के नेताओं ने और रणनीतिकारों ने कैसे उम्मीद कर ली थी कि वह दल कांग्रेस की सत्ता में वापसी में मदद करेंगे।
कांग्रेस के पास 2024 का आम चुनाव सुनहरा अवसर था जब वह सत्ता में वापसी कर सकती थी मगर कांग्रेस के नेता और रणनीतिकार मुगालते में रहे और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मेहनत को समझ ही नहीं पाए। राहुल गांधी की दोनों यात्राएं और मल्लिकार्जुन खड़गे के संविधान बचाओ आरक्षण बचाओ अभियान ने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की जमीन हिला दी थी मगर कांग्रेस इसे ठीक से समझ नहीं पाई और इंडिया गठबंधन के साथ आने की भूल कर बैठी।
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को गुजरा हुआ कल भूल कर आने वाले कल पर अभी से ध्यान देना चाहिए और यह समझ जाना चाहिए कि कांग्रेस के साथ देश की जनता और कांग्रेस का जुझारू कार्यकर्ता है, जो लंबे समय से कांग्रेस के नेताओं से कह रहा था कि कांग्रेस को अपनी दम पर राज्यों और केंद्र में चुनाव लड़ना चाहिए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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