चाय पर मौसम का संगीत

tea

– विवेक कुमार मिश्र

vivek kumar mishra
विवेक कुमार मिश्र

सर्द मौसम, कुछ भी समझ नहीं आ रहा है
सर्द मौसम की मार और धार इतनी तेज है कि
कुछ भी नहीं सुझता न ही कुछ दिखता है
यह सर्द मौसम पूरी तरह से गला देती है
हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा
कुछ से कुछ भी करते नहीं बनता
बस सब ऐसे ही बैठे हैं
इस समय जिस तेजी से हवाएं चल रही हैं
उसमें किसी और का सहारा नहीं मिलता
इस मौसम में बस आग और चाय ही है
जो जीवन के हर हिस्से से संवाद कराती है
कहते हैं कि सर्द मौसम में
हवाएं तलवार की धार से तेज चलती हैं
हाथ पैर ठंड के मारे ऐसे कांप रहे हैं कि
कांपते हाथों को कोई और काम हो ही न
अब आप क्या कर सकते हैं
या क्या नहीं कर सकते
पर यह सर्द मौसम कहता है कि
सर्द हवाओं से बचाव के लिए
चाय लेते रहे यह मौसम
जीवन से बात करते करते
चाय की दुनिया पर आ जाता है
चाय इस मौसम की सबसे बड़ी जरूरत है
यदि चाय न हो तो आप कुछ भी नहीं कर सकते
चाय पीते पीते आप ताजगी का ही अहसास नहीं करते
चाय के साथ जीवंत हो उठता है मन
मन के साथ साथ पूरा जीवन ही चाय के रंग में रंग जाता है
चाय पर इस मौसम का सबसे सुंदर संगीत बजता है
चाय यूं ही नहीं होती न ही अकेले होती
चाय मन का , जीवन का और समय का सबसे सुंदर पाठ है।

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