फाइव स्टार कल्चर से नहीं उबर रहे कांग्रेस के नेता!

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फोटो सोशल मीडिया

-देवेंद्र यादव-

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देवेन्द्र यादव

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस की कमजोरी और कांग्रेस की चुनाव में लगातार हो रही हार के कारण खोज रहे हैं। मगर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी अभी तक शायद यह नहीं खोज पाए कि कांग्रेस कमजोर क्यों है और लगातार राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा के चुनाव क्यों हार रही है। जब कांग्रेस की बैठक और वह भी प्रदेश स्तर की हो कांग्रेस के कार्यालय भवन में नहीं होकर किसी प्राइवेट भवन में होगी तो फिर कांग्रेस मजबूत होकर जीतेगी कैसे ? क्योंकि कांग्रेस के बड़े नेताओं की आदत में कांग्रेस कार्यालय शुमार नहीं है। उनमें फाइव स्टार कल्चर है। भले ही राहुल गांधी एक बार फिर से पैदल यात्रा कर लें कांग्रेस के नेताओं पर राहुल गांधी के कहने और यात्रा करने का कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि कांग्रेस के नेताओं को स्वयं की राजनीति के लिए फायदा कांग्रेस कार्यालय से नहीं होगा बल्कि फायदा हो रहा है बंद कमरों में बैठकर प्रदेश स्तर की कार्यकारिणी की बैठक की फॉर्मेलिटी करने से।
यदि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और राजस्थान कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी रंधावा को बुलाकर पूछें कि जब से वह राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रभारी बने हैं तब से राजस्थान में कांग्रेस कमेटी की बैठक कितनी बार कांग्रेस कार्यालय में और कितनी बार बैठक कांग्रेस कार्यालय से बाहर हुई है।
कांग्रेस का अपना भवन होने के बाद भी प्रदेश स्तर की बैठक कार्यालय छोड़कर बाहर क्यों की जा रही है। हाई कमान को पूछना चाहिए और सबक भी लेना चाहिए। यदि 2023 में राजस्थान के कांग्रेसी नेता बैठक कांग्रेस कार्यालय में करते और प्रत्याशियों का चयन और चुनाव लड़ने की रणनीति कांग्रेस के वार रूम की जगह कांग्रेस कार्यालय में होती और बनाई जाती तो शायद 2023 में कांग्रेस राजस्थान की अपनी सत्ता को नहीं खोती। लेकिन राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी रंधावा को वार रूम का स्वाद ऐसा लगा कि वे वार रूम से बाहर निकले ही नहीं और अभी भी शायद उन्हें कांग्रेस कार्यालय पसंद नहीं है। यही वजह है कि 16 मार्च को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक कांग्रेस कार्यालय की जगह निजी भवन में की गई। नेताओं ने प्रत्याशियों के चयन से लेकर टिकटो का बटवारा वार रूम में बैठकर ही कर लिया। नतीजा यह हुआ कि 2023 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान की जनता ने कांग्रेस को वार रूम में ही बिठा दिया। कांग्रेस राजस्थान में जीती बाजी को हार गई। 16 मार्च रविवार को जयपुर में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक आयोजित की गई। बैठक इस बार ना तो कांग्रेस कार्यालय में हुई और ना ही कांग्रेस के वार रूम में हुई बल्कि बैठक हुई एक निजी श्री हरिश्चंद्र तोतूका सभा भवन में।

इस बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट सहित प्रदेश के तमाम बड़े नेता उपस्थित हुए। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी को लेकर कार्यकर्ताओं के बीच में भ्रम था। संशय इस बात को लेकर था क्योंकि ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की स्वीकृति मिलने के बाद भी राजस्थान कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी रंधावा ने बड़ी संख्या में प्रदेश कार्यकारिणी में नियुक्तियां कर दी थी। शायद इसीलिए यह बैठक प्रदेश कांग्रेस कमेटी विस्तार का नाम देकर की गई और शायद यह रंधावा की जीत का बड़ा अवसर था इसलिए बैठक में रंगारंग कार्यक्रम भी देखने को मिला। ऐसा लग रहा था जैसे कांग्रेस अपनी भावी रणनीति नहीं बना रही है बल्कि किसी जीत का जश्न मना रही है क्योंकि राजस्थान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डोटासरा नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और राष्ट्रीय प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा मंच पर खड़े होकर केसरिया की धुन पर ठुमके लगाते हुए नजर आए। कांग्रेस के बड़े नेताओं को आजकल पार्टी की बैठकों और विशेष कार्यक्रमों में ठुमके लगाने का बड़ा शोक चढ़ा है। गत दिनों दिल्ली विधानसभा चुनाव के दरमियान भी मंच पर खड़े होकर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं ने गाने पर ठुमके लगाए थे। परिणाम क्या हुआ दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट जीतने का अवसर नहीं मिला। दिल्ली में कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की जमानत जप्त का इतिहास बनाया। राहुल गांधी भले ही कितनी भी मेहनत कर लें जब तक नेता ठुमके लगाना बंद नहीं करेंगे तब तक कांग्रेस का भला नहीं होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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