
-शैलेश पाण्डेय-
कोटा में रविवार, 14 दिसंबर का दिन सचमुच यादगार बन गया। हम तीन परिवारों ने पूरे दिन को घुमक्कड़ी और आत्मीय साथ में बिताया। सीनियर जर्नलिस्ट पुरुषोत्तम पंचोली और धीरेन्द्र राहुल जैसे साथी हों तो फिर कहना ही क्या। पंचोली जी के ठहाकों और धीरेन्द्र राहुल जी के रोचक किस्सों के बीच समय पंख लगाकर उड़ता रहा—यह एहसास ही नहीं हुआ कि शाम कब हो गई और घर लौटने का वक्त आ गया।
रमा जी का साथ हो तो लजीज व्यंजनों का आनंद मिलना तय था। इसी बहाने पहली बार नीलिमा जी से मुलाकात हुई। उनकी स्पष्टवादिता और सहजता ने गहरा प्रभाव छोड़ा। मैं, शैलेश पाण्डेय, और मेरी पत्नी नीलम—इन सभी विभूतियों के सान्निध्य का भरपूर आनंद लेते रहे।

















