
बारां। ” हरियाली और पेड़ों की ताजा हवा,नदियों का साफ पानी प्रकृति से मनुष्य को मिला एक अनुपम उपहार है जिसे हम ठुकराने में लगे हुए हैं। मनुष्य स्वयं अपने को मिला हुआ इनाम समाप्त करने में लगा हुआ है। लाखों पेड़ों की कटाई की जा रही है और नदियों में गन्दे नाले छोड़े जा रहे हैं। इन सभी के लिए आप और हम जिम्मेदार हैं। यही कारण है कि आज हमें ग्लोबल वार्मिंग से बचने की आवश्यकता महसूस हो रही है। यही स्थिति शाहबाद जंगल कटने से बारां जिले की हो जायेगी।” ये विचार जन जन की आवाज उठाने वाले पर्यावरण कार्यकर्ता रॉबिन सिंह ने पेंशनर समाज बारां द्वारा उनके वैश्विक योगदान के लिए आयोजित अभिनंदन समारोह और प्रेस कॉन्फ्रेंस में व्यक्त किए।
अध्यक्षता पेंशनर समाज के अध्यक्ष दिनेश कुमार गुप्ता ने कहा कि” शाहबाद बचाओ आंदोलन केवल एक व्यक्ति का आंदोलन नहीं है यह सामूहिक रूप से जनता जनार्दन की आवाज है जिसे दबाना मुश्किल काम है। शाहबाद के जंगल काटने पर होने वाले नुकसानों का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है।”
विशिष्ट अतिथि समाजसेवी यज्ञदत्त हाडा कोटा ने कहा कि” बाइस लाख पचास हजार मीट्रिक टन कार्बन डाइ ऑक्साइड अवशोषित करने वाले जंगलों को काटने का फैसला तुगलकी फरमान है जिसमें कॉरपोरेट जगत से मिलीभगत की बू आती है।सरकार द्वारा मानवीय पहलुओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।”
पीपुल्स फॉर एनिमल्स के बूंदी संयोजक विठ्ठल सनाढ्य ने कहा कि” शाहबाद संरक्षित वन अभ्यारण्य क्षेत्र में लगभग 100 प्रकार के वन्य जीवों को शरण मिल रही है।इन सभी वन्य जीवों के आवास की पहले व्यवस्था करना चाहिए फिर उसके बाद जंगल कटाई करने के बारे में उचित निर्णय लेना चाहिए।”कोटा नगर निगम के पूर्व पार्षद और समाजसेवी युधिष्ठिर। चान सी ने कहा कि” रोबिन सिंह जी जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पर्यावरण कार्यकर्ता का बारां आना इस जंगल के पेड़ों को काटे जाने के बाद की भयावह स्थिति को दर्शाता है।” पेंशनर समाज के जिला मंत्री भैरू लाल जैन ने कहा कि” इन जंगलों पर समूची आदिवासी जनजाति की आजीविका टिकी हुई है।”
मीडिया काउंसिल ऑफ जर्नलिस्ट राजस्थान के प्रदेश उपाध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार दिलीप शाह मधुप ने कहा कि” शाहबाद राजस्थान का कश्मीर है जिसमें ईको टूरिज्म की विपुल संभावनाएं हैं। ईको टूरिज्म के विकास से यहां के लोगों का रोजगार बढ़ेगा और जंगल भी सुरक्षित रहेगा।”शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति बारां के संरक्षक
सामाजिक कार्यकर्ता प्रशान्त पाटनी कुन्जेड और बृजेश विजयवर्गीय ने कहा कि ” हम हमारे जल जंगल जमीन के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं जिसका कि संविधान में भी प्रावधान है।शुद्ध हवा और शुद्ध पानी की आवश्यकता हमारा मूलभूत अधिकार है जो हमसे छीना नहीं जा सकता है।
कार्यक्रम में पेंशनर समाज के कोषाध्यक्ष रमेशचंद शर्मा,गोविन्द तिवारी ने अतिथियों का स्वागत किया। सदस्य कुंज बिहारी शर्मा,राजेंद्रप्रसाद शर्मा ने सहभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। रामधन नागर,सीताराम सपरा और बालमुकुंद नागर ने सहयोग प्रदान किया।