
हाट बाजार के निर्माण पर साढ़े चार करोड़ रूपए खर्च हुए थे लेकिन अब तक केफेटेरिया भी चालू नहीं हुआ। उधर इसी परिसर में लाइब्रेरी बननी थी लेकिन उस अच्छे विचार को भी ड्राॅप कर दिया गया है। कोचिंग में पढ़ने वाले छात्र अब यहां बैठकर अध्ययन नहीं कर सकेंगे। मुक्ताकाश मंच बनाया है लेकिन वहां आज तक कोई नाटक नहीं खेला गया।
-धीरेन्द्र राहुल-

हम लोग बड़े उत्साह के साथ शहर बनाते हैं, सरंचनाएं बनाते हैं, फिर उन्हें भूल जाते हैं, खण्डहर में तब्दील हो जाने के लिए।
दीया कुमारी को जब कला, संस्कृति, पर्यटन मंत्री बनाया गया और वित्त मंत्री के साथ उपमुख्य मंत्री का ओहदा भी सौंपा गया था तो लगा था कि वे समूचे राजस्थान की सुध लेंगी लेकिन कोटा के नवनिर्मित हाट बाजार की दुर्दशा देखकर तो लगता है कि दीया कुमारी का समूचा कलाप्रेम जयपुर तक सीमित है। उन्हें जयपुर से बाहर भी निकलना चाहिए।
ये सारे फोटोग्राफ कोटा के हाट बाजार के हैं, जो छत्रविलास तालाब की पाल पर स्थित है॔।
21 फरवरी 2021 को तत्कालीन नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने उजाड़ पड़े ग्रामीण हाट बाजार का अवलोकन करते हुए इसे जयपुर के जवाहर कला केन्द्र की तर्ज पर विकसित करने का निर्देश दिया था। दो साल बाद हेरिटेज लुक के साथ नया हाट बाजार भी बनकर तैयार हो गया।
रियासतकालीन बारहदरी, पुरानी छतरियां, बावड़ी को मरम्मत कर नया बना दिया गया। पहले ग्रामीण हाट बाजार में 25 जीर्ण शीर्ण दुकानें थी। जिनकी छत और स्तम्भों की मरम्मत की गई, ड्रेनेज सिस्टम सुधारा गया। नए सिरे से उद्यान में पेड़- पौधे लगाए गए, उसमें घूमने के लिए पाथ-वे बनाए गए। मेनगेट के पास ही केफेटेरिया बनाया गया।
गत वर्ष 8 जुलाई 2023 को शांति धारीवाल ने नए नकोर हाट बाजार का लोकार्पण भी कर दिया। उन्होंने शिल्पकारों और बुनकरों को बधाई देते हुए कहा था कि वे हाट बाजार के माध्यम से अपने काम को आगे बढ़ा सकते हैं।
इसके बाद चुनाव का सिलसिला शुरू हुआ। भजनलाल सरकार को भी शपथ ग्रहण करे आठ माह हो चुके हैं। लेकिन इस हाट बाजार के दिन नहीं बहुरे।

पिछले एक साल में एक बार भी हाट बाजार नहीं भरा। यह पता लगाने की कोशिश की कि क्यों नहीं भरा? तो यह जानकर दंग रह गया कि अभी तक दुकानों में बिजली का काम ही पूरा नहीं हुआ है।
हाट बाजार के निर्माण पर साढ़े चार करोड़ रूपए खर्च हुए थे लेकिन अब तक केफेटेरिया भी चालू नहीं हुआ। उधर इसी परिसर में लाइब्रेरी बननी थी लेकिन उस अच्छे विचार को भी ड्राॅप कर दिया गया है। कोचिंग में पढ़ने वाले छात्र अब यहां बैठकर अध्ययन नहीं कर सकेंगे। मुक्ताकाश मंच बनाया है लेकिन वहां आज तक कोई नाटक नहीं खेला गया।
इस पर न महामहिम की नजरें इनायत हुई हैं और न ही विधानसभा में सवाल पर सवाल दागने वाले विधायक संदीप शर्मा कीं। उन्होंने भी हाट बाजार को लेकर कोई सवाल नहीं पूछा। अभी तो चौकीदार प्रेमचंद सुमन मुस्तैदी से इसकी रखवाली कर रहे हैं लेकिन कब तक ?
मुझे नहीं लगता कि इससे अच्छा हाट बाजार राजस्थान में कहीं होगा? कम से कम जयपुर का हाट बाजार इसके सामने कहीं नहीं ठहरता है। लेकिन जयपुर का हाट बाजार सालभर गुलजार रहता है। देशभर से लोग हस्तशिल्प का अपना सामान बेचने आते हैं, वस्त्र, फर्नीचर और मसाले बेचने आते हैं। उसकी वजह से वहां व्यापार बढ़ा है लेकिन हमारा हाट बाजार सूना पड़ा है और लोग कुंभकर्णी नींद में सो रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)
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