
कोटा, जयपुर । ” सेन्टर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ( सी एस ई) के अनुसार राजस्थान का एक भी कोल बेस थर्मल पावर प्लांट हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को रोकने के मापदंडों की पालना नहीं कर रहा है।देश के पर्यावरण मंत्रालय ने गैस उत्सर्जन के जो नियम बनाए हैं ,देश के 61 प्रतिशत थर्मल पावर प्लांट उनकी पालना में विफल रहे हैं। बारां जिले में वर्तमान में कवाई में 1320 मेगावॉट छबड़ा में 2320 मेगावाट कुल मिलाकर 3640 मेगावॉट के थर्मल पावर प्लांट है जिनसे प्रतिवर्ष 255 लाख टन हानिकारक गैसों उत्सर्जित हो रही है । इन हानिकारक गैसों को सोखने के लिए जिले में 6650 वर्ग किलोमीटर का घना जंगल एरिया होना चाहिए जबकि बारां जिले में कुल वन क्षैत्र ही 2250 वर्ग किलोमीटर है। ऐसे में शाहबाद जंगल को काटे जाने वाले आदेश जारी कर दिए गए हैं और इसके अलावा ग्राम दडा कवाई के नजदीक अदाणी थर्मल पावर प्लांट के दूसरे चरण में थर्मल पावर प्लांट का विस्तार किया जा रहा है जिसके चलते बारां जिले वासियों का जीना दूभर हो जाएगा।” ये विचार शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति बारां के संरक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशान्त पाटनी एडवोकेट ने ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद और अडानी थर्मल पावर प्लांट कवाई को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा दी गई अनुमति के विरोध में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल बारां के क्षैत्रिय अधिकारी को दिए गए ज्ञापन के दौरान व्यक्त किए।
ज्ञापन सौंपने वाले प्रतिनिधि मण्डल में शामिल ग्राम पंचायत दडा कवाई के सरपंच अजय सिंह चौधरी ने कहा कि ” वर्तमान में अदाणी थर्मल पावर प्लांट लगाने से ग्रामवासियों और बारां जिले वासियों को कोई रोजगार नहीं मिला है और इसकी दूसरी इकाई लगा कर विस्तार करने में भी कोई फायदा जिले वासियों को नहीं मिलेगा ।ऐसे में ये प्लांट जिले वासियों में पर्यावरण प्रदूषण को फैलाने के अलावा कुछ भी नहीं करेगा।”
सोमवार को ग्राम दडा में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा की गई जन सुनवाई के बाद झालावाड़ स्थित मंडल बारां के क्षेत्रीय अधिकारी को अपनी असहमति जताते हुए और विरोध दर्ज कराने हेतु झालावाड़ सचिवालय स्थित राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल बारां के क्षेत्रीय अधिकारी को ज्ञापन सौंप कर ग्रामवासी राजेंद्र सिंह और सुरेन्द्र सिंह मीणा निमोदा ने कहा कि “3200 मेगावॉट अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट लगाने से पहले उसके द्वारा उत्सर्जित की जाने वाली तमाम हानिकारक गैसों से संबंधित सभी प्रकार के नुकसानों से आस पास के लोगों और जिले वासियों को बचाने ,जंगलों की कटाई रोकने के नीति नियमों को लागू किया जाना चाहिए तभी ऐसी परियोजनाओं की स्थापना की जानी चाहिए।
शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन के सदस्य शशांक श्रोत्रिय और उत्कर्ष शर्मा ने बताया कि ” ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद द्वारा लगाए जाने वाले पम्पड़ स्टोरेज पावर प्लांट हेतु पूर्व में ही 25 से 28 लाख पेड़ काटे जाने का आदेश जारी कर दिया गया है जिससे 22 .50 लाख मैट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड प्रति वर्ष अवशोषित होने के स्थान पर वातावरण में धुलेगी इसके बाद अडानी थर्मल पावर प्लांट की दूसरी इकाई अलग से स्थापित करने हेतु जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमे सभी लोगों को अपनी सहमति और असहमति जताने का मौका नहीं दिया गया तो शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन जैसे ही और अन्य आंदोलन भी उठ खड़े होंगे।”
-बृजेश विजयवर्गीय, स्वतंत्र पत्रकार एवं पर्यावरणविद्

















