
-शाहबाद का जंगल बचाने का आह्वान , पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधे
कोटा। विश्व आदिवासी दिवस पर निकटवर्ती बोराबास की बड़ी गुवाड़ी छोटी गुवाड़ी भील आदिवासी समाज ने वन अधिकार कानूनों के तहत क्षैत्र में रहने वाले आदिवासी समुदाय के अधिकार प्रदान करने की मांग उठी। हमारा तीर कमान सभी आदिवासी एक समान का नारा गुंजायमान किया।
हाड़ौती आदिम जाति विकास समिति के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में समिति अध्यक्ष प्रताप लाल मीणा ने कहा कि वनों पर निर्भर रहने वाले आदिवासी समाज से जमीन छीन कर वनों पर किसी को काबिज नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने यहां चामुंडा माता मंदिर परिसर में आयोजित सभा में वन अधिकार कानून 2005 के तहूआदिवासियो को पट्टे जारी करने की मांग की। आदिवासी मान्यता कानून 2006 के तहत बारां जिले में सहरिया आदिवासियों के अधिकार बताएं। वनों में रहने वाले आदिवासियो के अधिकार समाप्त किए जाने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। महामंत्री कौशल मीणा ने शाहबाद के जंगल बचाने के लिए वहां के आदिवासियों को हक से वंचित नहीं किया जा सकता। इस अवसर पर बाघ -चीता मित्र के संयोजक बृजेश विजयवर्गीय ने वन अधिकार मान्यता कानून को वनों के हित में बताया। उन्होंने बताया कि वनवास के दौरान भगवान राम को वनवासी समाज का साथ मिला तभी रावण का अंत हुआ। विजयवर्गीय ने वार्ड पंच अन्ना बाई भील,कालुलाल भील एवं मंदिर के पुजारी का सम्मान किया।
कार्यक्रम का संचालन रणसिंह गरासिया ने किया। गरासिया ने बताया कि यहां पर भील आदिवासी समुदाय को उनके हाथों से वंचित किया जा रहा है। कौशल मीणा ने बताया कि आगामी 15 अगस्त को ग्राम सभा का आयोजन किया जाएगा एवं भील आदिवासी समाज की समस्याओं आधार कार्ड, शमशान का भाव सामुदायिक भवन एवं भूमिहीनता पर विस्तार से प्रस्ताव बनाकर सरकार को दिया जाएगा।
पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधे- आदि वासी भील समाज ने रामदेव मंदिर में पेड़ों को राखियां बांध कर वनों को बचाने का संकल्प लिया। कौशल मीणा ने बताया कि शाहबाद के जंगल को बचाने के लिए आदिवासी समाज एक जुट होकर आंदोलन करेंगे